MP Tuberculosis Disease Programme: कोरोना को काबू में करने के लिए किए गए एक्सपैरिमंट की तरह इगरा टेस्ट को मुफ्त में कर रही सरकार, प्रदेश के सभी संभागों को केंद्र सरकार ने मुहैया कराई अत्याधुनिक मशीन
भोपाल। क्षय रोग यानि टीबी (MP Tuberculosis Disease Programme) के लक्षण आप दो साल पहले जान सकेंगे। यह संभव हो सका है एक आधुनिक मशीन के कारण। इसमें टेस्ट कराने वाले व्यक्ति को खून के नमूने देने होते हैं। जिसका दो दिनों तक परीक्षण के बाद रिपोर्ट दी जाती है। ऐसी ही मशीन केंद्र सरकार ने क्षय रोग उन्मूलन मिशन के तहत कई राज्यों को दी है। यह मशीन फिलहाल हर संभाग में स्थापित की गई है। भोपाल के जिला क्षय अस्पताल में भी यह मशीन लगाई गई है। इसके इस्तेमाल और परिणाम को जानने के तकनीक को बकायदा कार्यशाला के जरिए लैब में काम करने वाले कर्मचारियों को बताया जा रहा है।
सरकार की यह है योजना
जानकारी के अनुसार टीबी रोग को नियंत्रित करने का लक्ष्य 2025 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रखा है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन चाहता है कि यह दुनिया के नक्शे से 2030 में खत्म हो सकेगा। इसी असाध्य लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री ने हर राज्यों के बीच होड़ पैदा करने 24 मार्च को अच्छा काम करने वाले राज्य और जिलों को इनाम देने की भी घोषणा की है। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से बकायदा जांच के लिए सीबी नाट और ट्रू नॉट जैसी मशीनें बांटी गई है। यह मशीन क्षय मरीजों की जांच में काम आती है। लेकिन, सरकार ने तय किया है कि अब मरीजों के संपर्क में आने वाले मरीजों की भी जांच की जाएगी। इसके लिए मरीजों के साथ रहने से संबंधित प्रमाण जिला क्षय अस्पताल को देना होंगे। जिसके बाद निशुल्क इगरा (IGRA) टेस्ट किया जाएगा।
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प्रतिदिन हो रहे चार दर्जन से अधिक टेस्ट
जिला क्षय अस्पताल में प्रभारी डॉक्टर मनोज वर्मा (Dr Manoj Verma) ने बताया कि यह व्यवस्था को शुरू किए गए लगभग दो महीना बीत चुका है। टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को इगरा टेस्ट कराया जाना लाभकारी होगा। यह अंग्रेजी के एक—एक शब्दों के शार्टकट नाम है। इसका पूरा नाम इंटर्नफेरन गामा रिलीज एसेस है। इसमें मरीजों को यदि टीबी दो साल बाद भी होनी है तो वह आज पता चल जाएगा। इस कारण उससे निपटने के लिए तुरंत दवा देने का काम शुरू कर दिया जाएगा। यह परीक्षण निजी लैब में ढ़ाई से तीन हजार रूपए में होता है। जबकि केंद्र सरकार इसे निशुल्क कर रही है।
इसलिए खतरनाक है यह बीमारी
डॉक्टर मनोज वर्मा ने बताया कि इगरा टेस्ट पॉजिटिव मरीजों के साथ रहने वाले व्यक्ति को अवश्य कराना चाहिए। क्योंकि उसमें संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। इस तरह के मरीजों में मिलने वाले लक्षण को चिकित्सीय भाषा में लैटिंट टीबी कहा जाता है। इसमें वायरस शरीर के भीतर प्रवेश कर जाता है लेकिन, वह असर दो साल बाद दिखाता है। इगरा टेस्ट भोपाल में एक साथ 96 हो सकते हैं। यह कैसे करना है और किस तरह की सावधानी परीक्षण के दौरान रखनी है उसका प्रशिक्षण कार्यक्रम भोपाल में शुरू कर दिया है। इगरा टेस्ट के मामले में अभी राजधानी ही अव्वल नंबर पर है।
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