MP Freedom Of Religion Bill: जानिए लव जिहाद की खबर मिलने के बाद भी सिस्टम काम नहीं कर सका
भोपाल। मध्य प्रदेश में लव जिहाद का हल्ला मचा हुआ है। इस संबंध में भोपाल (Bhopal Love Jihad News) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी कई बार बयान दे चुकी है। जिसके बाद प्रदेश में लव जिहाद का कानून (MP Freedom Of Religion Bill) भी बना। लेकिन, वह पारित नहीं हो सका। अगर हो जाता तो भोपाल पुलिस इस कानून की पहली एफआईआर करने वाली पुलिस भी बन जाती। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि इस बिल के लिए हम जल्द ही अध्यादेश लेकर आएंगे।
यह है तकनीकी पेंच
मध्य प्रदेश में लव जिहाद को लेकर कुछ दिन पहले ही कानून बना। इस कानून के तहत धर्म छुपाकर शादी करने वाले आरोपी को कम से कम पांच और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इस बिल को मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक कहा गया है। केबिनेट की मंजूरी के बाद यह विधानसभा में 28 दिसंबर को पारित किया जाना था। लेकिन, कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए सदन स्थगित किया गया। इसलिए बिल सदन में नहीं लाया जा सका। अब शिवराज सिंह चौहान सरकार दावा कर रही है कि इस संबंध में अध्यादेश लाकर बिल को लागू किया जाएगा।
हिंदू संगठनों को मिली थी खबर
कोलार थाना पुलिस ने सोमवार को शून्य पर जालसाजी (Bhopal Fraud Marriage Case) का मुकदमा दर्ज किया है। मामला रायसेन (Raisen) जिले का होने का कारण केस डायरी वहां भेजी गई है। होशंगाबाद (Hoshangabad) के ईदगाह मोहल्ले में रहने वाले रवि यादव उर्फ मोहम्मद रफीक (Ravi Yadav@Mohmmed Rafiq) को आरोपी बनाया गया है। आरोपी की पहचान एक युवती से हुई थी। वह उस युवती के पैर की बीमारी को झाड़—फूंक के बहाने दूर करने का दावा करता था। उसने युवती को शादी के लिए मना लिया था। मोहम्मद रफीक हिंदू धर्म की सारे नियमों को करता था। कलावा बांधने, तिलक लगाने के अलावा उसने नाम भी हिंदू धर्म के अनुसार रख लिया था। इस बात की जानकारी हिंदू संगठनों को लग गई थी।
तो कोलार में दर्ज होती पहली एफआईआर
हिंदू संगठनों ने आधार कार्ड की मदद से उसके बारे में जानकारी जुटाई। जिसके बाद रफीक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। घटना रायसेन जिले की थी। आरोपी कोलार इलाके में एक मंदिर में आया था। यहां से उसको हिरासत में लेकर शादी रुकवाई गई थी। यदि पुलिस ने यह मुकदमा लव जिहाद (Kolar Love Jihad News) में दर्ज किया होता तो यह प्रदेश की पहली एफआईआर में शामिल होता।
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