MP Cop Gossip: गुपचुप पूर्व डीजीपी की हो गई विदाई

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MP Cop Gossip: छह साल पहले दिए गए एक आवेदन की सुनवाई नहीं होने के कारण सेवानिवृत्त पुलिस अफसर ने गवाई अपनी कुर्सी

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग काफी बड़ा होता है। इसमें अपराध से संबंधित रिपोर्टिंग ही पूरी नहीं हो पाती। कई विभागीय गतिविधियां दैनिक क्राइम रिपोर्टिंग में दबी रह जाती है। ऐसे ही विषयों पर हमारा नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। इस विषय के जरिए हमारा मकसद उन बातों को बताना है जिसके पीछे लंबी कहानी होती है। इन बातों से किसी व्यक्ति अथवा संस्था को छोटा—बड़ा दिखाना भी नहीं होता।

डीजीपी रहते सामने आई थी फाइल

पिछले दिनों एक विभाग में तैनात रहे पूर्व पुलिस महानिदेशक की कुर्सी चली गई। इसकी वजह एक आरटीआई एक्टिविस्ट रहे। दरअसल, वे जिस मुद्दे को उठा रहे थे उस वक्त पूर्व पुलिस महानिदेशक कुर्सी पर बैठे थे। उन्होंने भी मामले का निराकरण नहीं किया था। आरटीआई एक्टिविस्ट ने उनके कार्य के लिए चयन और फाइल को न जांचने योग्य विषय को लेकर भारी पत्राचार किया। यह मामला हाईकोर्ट जाता उससे पहले पूर्व पुलिस महानिदेशक ने भारी मन से अपनी कुर्सी मर्जी से छोड़ दी। अब उस कुर्सी पर कुछ चुनिंदा रिटायर अफसरों की नजर टिकी है।

ट्रैफिक वाले अफसर कुर्सी के साथ भवन का कर रहे इंतजार

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सड़क पर हेलमेट चैकिंग करते वक्त एक अधिकारी का काफी रूआब रहता है। उनके सामने अच्छों—अच्छों की कभी नहीं चलती है। हालांकि अंदरखाने की खबर है कि वे सड़क पर जो रूतबा दिखाते हैं वह उनकी खींझ होती है। क्योंकि उन्हें एक सरकारी भवन बकायदा बजट बनाकर बना था। लेकिन, उसका फीता कटता या फिर वे कुर्सी जमाकर बैठते उससे पहले भवन और कुर्सी दूसरे अधिकारी (MP Cop Gossip) ने छीन ली। यह बात ट्रैफिक के इन अधिकारी को काफी जी मचलाती है। इसलिए वे उन बातों के सामने आते ही यातायात नियमों की अवहेलना कर रहे चालकों पर उतार देते हैं। ऐसा उनके आस—पास तैनात रहने वाले कर्मचारी बातचीत में बताते हैं।

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जिस दिन ऊर्जा की समीक्षा हुई तो पुर्जा—पुर्जा निकल जाएगा

मध्यप्रदेश में महिला अपराधों की स्थिति क्या है यह बात किसी से छुपी नहीं है। इसके बावजूद कई घोषणाएं सरकार करती आ रही है। ऐसी ही घोषणा प्रत्येक थानों में ऊर्जा डेस्क खोलने को लेकर की गई। कई जगह थानों में मौजूद विवेचक कक्ष को मिटाकर महिला ऊर्जा डेस्क लिखकर अफसरों को काम चलाना पड़ रहा है। लेकिन, जिस दिन कोई मंत्री यहां पहुंच गया तो कई पुर्जा—पुर्जा हो जाएंगे। मंत्री के जल्द थानों में घुमने का समय आ भी रहा है। देर सबेर घोषणाओं का हश्र क्या होता है यह सामने आने वाला है।

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