Bhopal Cyber Fraud: डेढ़ महीने बाद भी जांच के स्टेट्स पर सस्पेंस

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Bhopal Cyber Fraud: ‘साहब मैं सांसद या मंत्री होता तो सबकुछ हो जाता, कंपनी बोलती है पुलिस को देंगे कॉल रिकॉर्ड, मुझे प्रीति को देखना हैं और उसे सजा दिलानी है’

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भोपाल। सरकारी व्यवस्थाओं में हैसियत, पहुंच, रिश्वत ऐसे तमाम शब्द हैं जिनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। लेकिन, वह कार्य में उजागर होने लगे तो इसे फिर क्या कहिएगा। मामला सेक्सोटॉर्शन गिरोह के जाल में फंसे एक युवक की आत्महत्या से जुड़ा है। यह घटना भोपाल (Bhopal Cyber Fraud) सिटी के गोविंदपुरा इलाके में 3 जनवरी को हुई थी। थाने में छात्र की मौत से ही पुलिस के मर्ग कायमी की शुरुआत भी हुई थी। पुलिस की जांच से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए उसने कई बार अपने स्तर पर पता लगाने का प्रयास भी किया। पीड़ित ने तंज मारते हुए कहा सांसद या मंत्री होता तो मेरा मामला अब तक सुलझ गया होता।

इसलिए नाखुश है परिवार

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गोविंदपुरा थाना क्षेत्र स्थित कस्तूरबा नगर इलाके में संतोष रजक (Santosh Rajak) का परिवार रहता है। वह प्रेस में लॉड्री का काम करता है। आर्थिक हालत ठीक न होने के बावजूद उन्होंने 18 वर्षीय बेटे शुभम रजक को पढ़ाया था। शुभम रजक ने 3 जनवरी को फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली थी। कमरे की तलाशी में एक सुसाइड नोट सायबर क्राइम को संबोधित मिला था। इसमें लिखा था कि प्रीति को 40,800 रुपए दिए। जिसमें से 30 हजार रुपए वापस मिलने थे। पूरे सुसाइड नोट का पुलिस ने किरकिरी होने से खुलासा भी नहीं किया। हालांकि पुलिस सूत्रों ने बताया कि शुभम रजक (Shubham Rajak) के मोबाइल से 17 से 22 नवंबर के बीच प्रीति नाम की लड़की के साथ सेक्स चैट हुए थे। जिसके बाद पैसा दिया गया था। शुभम रजक बीयू से सिविल इंजीनिय​रिंग भी कर रहा था। पिता पुलिस की कार्रवाई से नाखुश है। उन्होंने कहा कि मैं मोबाइल कंपनी के दफ्तर भी गया था। मुझे कॉल रिकॉर्ड देने से यह बोलकर मनाकर दिया गया कि वह पुलिस को ही दिया जाएगा। पुलिस कुछ बताती ही नहीं है कि मेरे बेटे की मौत केे मामले में क्या हुआ।

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पुलिस ऐसे करती है छोटा—बड़ा

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भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह (Sadhvi Pragya Singh) को भी सेक्सोटॉर्शन गिरोह के लोगों ने फंसाने की कोशिश की थी। जिसका खुलासा होने के बाद बंगले में पहुंचकर टीटी नगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। ऐसा करने के एक सप्ताह बाद ही पुलिस ने मोबाइल की पड़ताल करने के बाद आरोपियों को राजस्थान से तलाश लिया था। इस मामले के खुलासे की जमकर मीडिया रिपोर्टिंग भी हुई थी। आरोपियों को हिरासत से लेकर भोपाल की जिला अदालत में पहुंचाने तक की खबरें मैन स्ट्रीम मीडिया में मिली थी। जबकि भोपाल सांसद की खबर के बीच शुभम रजक का मामला न पूछा गया न ही बताया गया। गोविंदपुरा थाने में इस मामले की जांच एसआई राजकुमार शर्मा (SI Rajkumar Sharma) के पास है। थाना पुलिस ने सायबर क्राइम को इस संबंध में जांच में सहयोग के लिए आग्रह किया है। हालांकि हमारे सवालों के सामने जवाब देने कोई नहीं आया।

गिनती कर रही है पुलिस

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

ऐसे ही सायबर फ्रॉड की पीड़ित युवती की मौत का मामला भोपाल के ही कोलार इलाके का भी है। यहां अदिति नाम की युवती ने आत्महत्या कर ली थी। उसके साथ भी सायबर फ्रॉड हुआ था। पुलिस ने उसकी मौत के बाद कोलार थाने में आवेदन दिया था। जबकि सायबर क्राइम आवेदन पर जांच करने का दावा कर रही थी। इस फाइल को दबाकर रखने वाले अफसर से कोई जवाब नहीं लिया गया। इतना ही नहीं सायबर क्राइम की मदद से एक—एक करके अब तक पुलिस 16 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। पीड़ित परिवार पुलिस की कार्रवाई से अब संतुष्ट हैं। लेकिन, परिवार का कहना है कि यदि यह पहले हुआ होता तो बेटी आज उनके सामने होती। पुलिस को इस मामले (Bhopal Cyber Fraud) में अभी आधा दर्जन अन्य आरोपियों की तलाश है। पुलिस के अफसरों ने इस मामले का मीडिया को अभी आधिकारिक खुलासा नहीं किया है। गिरफ्तारी की कार्रवाई कोलार थाना पुलिस को करना है। जबकि निगरानी सायबर क्राइम कर रही है।

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