Bhopal Property Fraud: सवा साल तो पुलिस कमिश्नर प्रणाली को शुरू हुए हो चुके हैं, तीन—तीन आईपीएस पर्यवेक्षण के लिए उसके बाद भी यह है मैदानी हालात
भोपाल। मध्यप्रदेश के दो जिलों भोपाल और इंदौर शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई थी। मकसद था कि जनता को सुरक्षित महसूस कराने के लिए अपराधियों पर नकेल कसी जाए। हालात यह है कि अपराधी तो दूर आवेदनों का ही निराकरण नहीं किया जा रहा। ताजा घटनाक्रम भोपाल (Bhopal Property Fraud) शहर के कोहेफिजा थाने से सामने आया है। यहां प्रॉपर्टी फ्रॉड के एक मामले में पुलिस के अधिकारी छह साल से मामले की जांच कर रहे थे। इसमें एक मृत व्यक्ति को जीवित बताकर प्लॉट बेचा गया था। यह सच है या नहीं सिर्फ यह पता लगाने में पुलिस ने इतना समय बिता दिया।
पति के कारण आरोपियों से हुई पहचान
एफआईआर में हुई देरी पर चुप्पी साधी
जुबेर ने प्लॉट देवेंद्र दुबे (Devendra Dubey) का बताया। उसने बताया कि वह प्लॉट उसने आनंद गोयनका (Anand Goyanka) से खरीदा है। प्लॉट पसंद आने पर सौदा (Bhopal Property Fraud) चार लाख रूपए में तय हुआ। एडवांस रकम देने के साथ ही किस्तों में बाकी रकम देना तय किया गया। संपूर्ण राशि के भुगतान होने पर रजिस्ट्री का करार किया गया था। लेकिन आरोपी रकम लेने के बाद रजिस्ट्री नहीं करा रहे थे। इसके बाद सरिता मेहोनी ने पड़ताल की तो पता चला कि देवेंद्र दुबे जिससे करार किया उसकी बहुत पहले ही मौत हो चुकी है। जबकि देवेंद्र दुबे बनकर जालसाज ने जमीन के असली दस्तावेज पीड़िता को सौंपे थे। इस मामले की शिकायत पीड़िता ने दिसंबर, 2016 में दर्ज कराई थी। जिसकी जांच भोपाल पुलिस कर रही थी।
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