Bhopal Property Fraud: छह साल बाद जालसाजी का प्रकरण दर्ज 

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Bhopal Property Fraud: सवा साल तो पुलिस कमिश्नर प्रणाली को शुरू हुए हो चुके हैं, तीन—तीन आईपीएस पर्यवेक्षण के लिए उसके बाद भी यह है मैदानी हालात

Bhopal Property Fraud
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश के दो जिलों भोपाल और इंदौर शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई थी। मकसद था कि जनता को सुरक्षित महसूस कराने के लिए अपराधियों पर नकेल कसी जाए। हालात यह है कि अपराधी तो दूर आवेदनों का ही निराकरण नहीं किया जा रहा। ताजा घटनाक्रम भोपाल (Bhopal Property Fraud) शहर के कोहेफिजा थाने से सामने आया है। यहां प्रॉपर्टी फ्रॉड के एक मामले में पुलिस के अधिकारी छह साल से मामले की जांच कर रहे थे। इसमें एक मृत व्यक्ति को जीवित बताकर प्लॉट बेचा गया था। यह सच है या नहीं सिर्फ यह पता लगाने में पुलिस ने इतना समय बिता दिया।

पति के कारण आरोपियों से हुई पहचान

कोहेफिजा थाना पुलिस के अनुसार 20 फरवरी की रात  लगभग साढ़े नौ बजे 119/23 धारा 420/406 जालसाजी और गबन का प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच एसआई प्रदीप गुर्जर (SI Pradeep Gurjar) ने की थी। शिकायत 25 जनवरी, 2023 को थाने में आई थी। पीडिता सरिता मिहानी (Sarita Mihani) पत्नी एसके मिहानी उम्र 48 साल है। वे इंद्र विहार कॉलोनी में रहती है। जांच के आदेश डीसीपी जोन—3 कार्यालय से हुए थे। मामले में आरोपी जुबेर और देवेंद्र दुबे नाम के व्यक्ति है। जिन्होंने पीड़िता से एक लाख एक हजार रूपए मई, 2016 में एडवांस लिए थे। पीड़िता के पति एसके मिहानी (SK Mihani) आरोपियों में शामिल जुबेर पिता नूर मोहम्मद को पहले से जानते थे। वह बुधवारा स्थित भोईपुरा इलाके में रहता था। जुबेर (Zuber) ने ही बताया था कि ग्राम नयापुरा में एक प्लॉट बिक रहा है।

एफआईआर में हुई देरी पर चुप्पी साधी

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कोहेफिजा थाना, जिला भोपाल—फाइल फोटो

जुबेर ने प्लॉट देवेंद्र दुबे (Devendra Dubey) का बताया। उसने बताया कि वह प्लॉट उसने आनंद गोयनका (Anand Goyanka) से खरीदा है। प्लॉट पसंद आने पर सौदा (Bhopal Property Fraud) चार लाख रूपए में तय हुआ। एडवांस रकम देने के साथ ही किस्तों में बाकी रकम देना तय किया गया। संपूर्ण राशि के भुगतान होने पर रजिस्ट्री का करार किया गया था। लेकिन आरोपी रकम लेने के बाद रजिस्ट्री नहीं करा रहे थे। इसके बाद सरिता मेहोनी ने पड़ताल की तो पता चला कि देवेंद्र दुबे जिससे करार किया उसकी बहुत पहले ही मौत हो चुकी है। जबकि देवेंद्र दुबे बनकर जालसाज ने जमीन के असली दस्तावेज पीड़िता को सौंपे थे। इस मामले की शिकायत पीड़िता ने दिसंबर, 2016 में दर्ज कराई थी। जिसकी जांच भोपाल पुलिस कर रही थी।

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