Firm & Society Scam: राजधानी में कांग्रेस नेत्री पर लगे गंभीर अनियमितताओं के आरोप, उनकी बहन और रिश्तेदार फर्जीवाड़े में फंसे, आरटीआई से दस्तावेज निकालकर जेठ ने थाने में दर्ज कराई एफआईआर, दो बार पार्षद का चुनाव लड़ चुकी है कांग्रेस की नेता
भोपाल। स्कूल चलाने के लिए बनी समिति में फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगे हैं। बताया जाता है कि मुख्य सूत्रधार महिला कांग्रेस नेत्री है। जिन्होंने दो नंबर के रास्ते अपने रिश्तेदारों की एंट्री समिति में कराई। घटना भोपाल (Firm & Society Scam) शहर के हनुमानगंज थाना क्षेत्र की है। कांग्रेस नेत्री ने मृतकों को समिति में जीवित सदस्य बताकर सरकारी अनुदान प्राप्त किया है। यह समस्त आरोपों के दस्वावेज आरटीआई के जरिए निकाले गए थे। जिसकी शिकायत सौलह महीने पहले अधिकारियों से की गई थी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के एक विधायक के दबाव में एफआईआर को लटकाया जा रहा था। जिसमें अब प्रकरण दर्ज करने का निर्णय लिया गया है।
इस तरह से किया जा रहा था फर्जीवाड़ा
हनुमानगगंज थाना पुलिस के अनुसार इस मामले की शिकायत शैलेन्द्र उपाध्याय (Shailendra Upadhyay) पिता स्वर्गीय लीलाधर उपाध्याय उम्र 59 साल ने दर्ज कराई। वे पुष्पा नगर कॉलोनी (Pushpa Nagar Colony) में रहते हैं और मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (MPEB) में नौकरी करते हैं। शैलेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने इस फर्जीवाड़े की शिकायत दिसंबर, 2021 में पुलिस को दी थी। आरोप सरदार पटेल शिक्षा समिति (Sardar Patel Shiksha Samiti) के पदाधिकारियों पर लगाए गए हैं। इस समिति का पंजीयन 1974 मं किया गया था। इस समिति के वर्तमान पदाधिकारी प्रतिभा उपाध्याय, राकेश शर्मा, कनक पटेरिया है। प्रतिभा उपाध्याय (Pratibha Upadhyay) शिकायत दर्ज करने वाले पीड़ित की रिश्ते में बहू हैं। वहीं इंदौर निवासी कनक पटेरिया (Kanak Pateriya) , प्रतिभा उपाध्याय की बहन हैं। समिति के दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत निकाले गए थे। जिसमें पता चला कि कई लोगों के नकली हस्ताक्षर करके समिति ने फर्म एवं सोसायटी में जमा कराए थे।
फर्जीवाड़ा पकड़ में न आए इसके लिए सरकारी दस्तावेज गायब
शैलेंद्र उपाध्याय का आरोप है कि चूना भट्टी निवासी प्रतिभा उपाध्याय ने पूरी साजिश रची थी। समिति में सरकारी कर्मचारी रहे रामचंद्र मिश्र (Ramchandra Mishra) और रामकली उपाध्याय (Ramkali Upadhyay) के हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें से एक हस्ताक्षर व्हीडी वर्मा (VD Verma) के नाम से किए गए। जबकि उनका निधन 1995 में हो गया था। लेकिन, दस्तावेजों में 2006 तक उन्हें जीवित दर्शाया गया। जमुना प्रसाद उपाध्याय (Jamuna Prasad Upadhyay) को भी जीवित दर्शाकर 2006 तक कागजों में पदाधिकारी बनाया गया। जबकि उनकी मौत 2002 में हो चुकी थी। शैलेंद्र उपाध्याय का आरोप है कि इसमें फर्म एवं सोसायटी के कर्मचारियों की भी भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि आरटीआई में मांगी गई जानकारी में यह लिखकर दिया गया है कि 2016 से 2021 के बीच दस्तावेज कार्यालय में नहीं हैं। जबकि इस अवस्था में थाने में प्रकरण दर्ज कराया जाना था।
छह महीने के भीतर हुई मौत
शैलेंद्र उपाध्याय ने पुलिस को बताया है कि उनकी मां प्रेमलता उपाध्याय और उनके पिता लीलाधर उपाध्याय समिति (Firm & Society Scam) में पदाधिकारी रहे। पीड़ित के अलावा तीन भाई धर्मेंद्र उपाध्याय, जितेंद्र उपाध्याय और प्रियतेंद्र उपाध्याय हैं। शैलेंद्र ने बताया कि उनके भाई धर्मेंद्र उपाध्याय (Dharmendra Upadhyay) की दिसंबर, 2020 में मौत हुई थी। उन्हें शुगर था और एक चोट लगने के कारण उसमें ध्यान न देने से मौत हुई थी। उनके साथ मेरी मां प्रेमलता उपाध्याय (Premlata Upadhyay) भी रहती थी। जिनका निधन जून, 2021 में हो गया। इससे पूर्व पीड़ित ने चूना भट्टी थाने में मां से मुलाकात कराने के लिए पुलिस को आवेदन भी दिया था। लेकिन, दबाव के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका था। इन घटनाओं को लेकर शैलेंद्र उपाध्याय का दावा है कि असामायिक नहीं हैं। जिसको लेकर मेरी तरफ से पड़ताल की जा रही है। बहरहाल, हनुमानगंज थाना पुलिस ने 10 अप्रैल की दोपहर लगभग पौने एक बजे 226/23 धारा 420/467/468/471/120—बी (जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल और साजिश के तहत प्रकरण) दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि अभी समिति के कार्यप्रणाली की लिखित में जानकारी लेने के बाद उस पद्धति का मिलान फर्म एवं सोसायटी से कराया जाएगा। जिसके बाद प्रकरण में वास्तविक आरोपियों के नाम जोड़ने और घटना की प्रक्रिया होगी।
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