NGO Campaign News: सोहा मोइत्रा की अगुवाई में एक महीने तक चलेगी मुहिम, पुलिस, आशा कार्यकर्ता समेत एक हजार लोगों को किया गया जागरूक, गरीब परिवारों के बच्चों को लेकर समाज में फैल रही भ्रांतियों को दूर करने का आंदोलन
भोपाल। बाल श्रम अपराध है लेकिन, गरीब परिवार को मदद की आड़ में बच्चों से काम लिया जा रहा है। इस धारणा को बदलने के लिए अशासकीय संस्था (NGO Campaign News) की तरफ से एक महीने मुहिम चलाई जा रही है। यह मुहिम भोपाल, इंदौर समेत एमपी के कई शहरों में बुधवार को एक साथ लांच की गई। भोपाल में अशासकीय संस्था के कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और विधायक पीसी शर्मा (MLA PC Sharma) भी पहुंचे। उन्होंने इस मुहिम को सराहनीयत बताते हुए समाज की विचारधारा में बदलाव की इसे शुरूआत बताया।
सीखने, खेलने और खुशहाल बचपन जीने के अवसर दिलाना
अशासकीय संस्था की तरफ से ‘डॉन्ट हेल्प चिल्ड्रन– बाए एमपलोइंग देम’ अभियान शुरू किया गया है। जिसका मतलब है ‘बच्चों को रोजगार देकर मदद न करें’। इसकी शुरूआत विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के उपलक्ष्य में की गई। अभियान के पहले दिन संस्था की तरफ से करीब 1000 से अधिक बच्चों, पुलिस कर्मियों, आशा कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने भागीदारी दर्ज की। इंदौर के पलासिया स्थित महिला थाना के सभी पुलिस कर्मियों ने हस्ताक्षर अभियान में बढ़—चढ़कर भाग लिया। प्रदेश में कई जगहों पर हस्ताक्षर अभियान और रैली भी निकाली गई। यह कैंपेन एक महीने चलेगा। अशासकीय संस्था की डायरेक्टर सोहा मोइत्रा (Soha Moitra) ने कहा बच्चों का किसी भी प्रकार के कॉमर्शियल काम में शामिल होना, उनका बचपन छीन लेता है। यह उन्हें वयस्कों की जिम्मेदारियां ढोने पर मजबूर करता है। उन्हें पढ़ाई के साथ खेलों से भी वंचित करता है। उन्होंने बताया ज्यादातर लोगों को लगता है कि गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों का काम करना ठीक है। वे भुखमरी और गरीबी से लड़ने में अपने परिवार की मदद कर रहे हैं। इस मानसिकता को बदलने के लिए यह काम किया जा रहा है। इसके माध्यम से समुदाय में बच्चों को रोजगार से न जोड़ उन्हें सीखने, खेलने और खुशहाल बचपन जीने के अवसर दिलाना है। चाइल्ड राइट एंड यू यानि क्राइ नाम की संस्था यह अभियान छेड़े हैं।
बाल श्रमिक दिखने पर क्या करें यह लोगों को नहीं पता
संस्था की तरफ से पिछले दिनों एक सर्वे (NGO Campaign News) कियाा गया है। जिसमें दावा किया गया है कि लगभग 45 प्रतिशत मानना है की बच्चों को शिक्षा को जारी रखते हुए परिवार को सहयोग प्रदान करने के लिए काम करना सही है। वहीं 72 फीसदी का यह मत है कि बाल श्रमिकों को बीमारियाँ होने का अधिक खतरा होता है। जबकि 23 फीसदी इस कारण होने वाले जोखिम से अनजान थे। इसके अलावा सर्वे में यह पता चला है कि 31 फीसदी लोगों को यह पता ही नहीं है कि बाल श्रम पर रोक लगाने वाले कानून पर कौन कार्रवाई करेगा। अभियान के माध्यम से क्राई बाल श्रम की रिपोर्ट करने के लिए मौजूदा रिपोर्टिंग तंत्र के बारे में नागरिकों को संवेदनशील बनाना चाहता है। संस्था का मकसद बाल श्रम के मामलों की सूचना pencil.gov.in या 1098 पर पहुंचे। यह रैपिड असेसमेंट सर्वे मध्य प्रदेश समेत 26 राज्यों में किया गया था। इस दौरान लगभग 3700 लोगों से उनकी राय ली गई थी।
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