परेशान पत्नी ने काउंसलर से मांगी मदद, बोली- बच्चे सड़क पर आ जाएंगे
भोपाल। भारतीय समाज पर सिनेमा की छाप दशकों से दिखाई देती है। लोग एक्टर-एक्ट्रेस की एक्टिंग, कपड़ों और हेयर स्टाइल को कॉपी करने लगते है। इसी तरह टीवी सीरियल का असर भी समाज पर दिखता है। आध्यात्मिक चैनल देखकर लोग धार्मिक होने लगते है। लेकिन प्रवचन का असर हद से पार हो जाए तो क्या किया जाए। ऐसी ही समस्या भोपाल के एक परिवार के सामने खड़ी हो गई है। लॉकडाउन के दौरान आध्यात्मिक चैनल देखते-देखते एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) का वैराग्य जाग उठा है। अब वो सबकुछ दान करके वैरागी जीवन जीना चाहता है। लेकिन सीए की इस जिद ने उसकी पत्नी और बच्चों को परेशान कर दिया है।
तनाव दूर करते-करते टेंशन दे दी
शहर की काउंसलर दिव्या दुबे मिश्रा के पास नए शहर के एक दंपति का दिलचस्प मामला काउंसलिंग के लिए पहुंचा है। जहां मान्यतानुसार परिवार को बांधने वाला धर्म और अध्यात्म ही परिवार के टूटने का कारण बन गया है। मामले में पत्नी ने अपने और अपने दो बच्चों की आर्थिक सुरक्षा का हवाला देते हुए काउंसलर से मदद मांगी। पत्नी ने बताया कि लॉकडाउन में पति ने तनाव दूर करने के लिए आध्यात्म और मेडिटेशन आदि का सहारा लिया और अब यह इस कदर उनपर हावी हो चुका है कि पति सन्यास लेने और अपनी पूरी प्रॉपर्टी दान करने की बात कर रहे हैं। मामले में पति की काउंसलिंग जारी है, लेकिन वह अपनी जिद पर कायम है।
यह है मामला
दरअसल, गुलमोहर क्षेत्र में रहने वाले दंपति की शादी को 13 साल हुए हैं और उनका 11 साल का बेटा और 7 साल की एक बेटी है। मामले में पत्नी ने काउंसलर को बताया कि पति चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और उसके अंडर में अनेक लोग काम करते हैं। लॉकडाउन के दौरान पति बेहद परेशान थे और उन्हें अपने अंडर काम करने वाले लोगों की आजीविका का भी मानसिक तनाव था। इस तनाव को दूर करने पहले उन्होंने मेडिटेशन शुरू किया फिर आध्यात्मिक और धार्मिक चैनल देखते हुए वह रोज 16 हजार पाठ करने लगे। धीरे-धीरे पति का पूरा समय इसी में बीतने लगा यहां तक कि वह बच्चों और पत्नी को भी समय नहीं देते थे।
पत्नी से आध्यात्मिक भाषा में करता है बात
पत्नी ने बताया कि वह जब भी पति से इस बारे में बात करती तो वह आध्यात्मिक भाषा में उससे बात करते और कहते कि वह जीवन की मोह-माया से ऊपर जा रहे हैं। पत्नी के मुताबिक पहले पति व्यायाम-प्राणायाम करते थे, लेकिन उसने सोचा ही नहीं था कि वह वैराग्य की दुनिया की ओर बढ़ जाएंगे। पत्नी ने कहा कि पति के इस फैसले से न केवल वह और उसके बच्चे सड़क पर आ जाएंगे, बल्कि उनकी पूरी जिंदगी तबाह हो जाएगी।
पति ने दिया बुद्ध और तुलसीदास का उदाहरण
मामले में काउंसलर ने जब पति को समझाया और वैराग्य की जिद त्यागने के लिए कहा तो पति ने काउंसलर को बुद्ध और तुलसीदास के उदाहरण दिए और कहा कि यह लोग महान हुए क्योंकि इन्होंने संसार को परिवार माना और उनके लिए काम किया। पति ने कहा कि वह चाहता है कि उसने आजतक जो भी कमाया है वह जनकल्याण के काम आए। जब पति से उसके परिवार के भविष्य के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि बिना बलिदान के जनकल्याण नहीं हो सकता।
किसी की सुनने को तैयार नहीं
अब तक परिवार के साथ सुखी जीवन बिता रहा यह व्यक्ति वैराग्य की बातें करने लगा है। उसका साफ कहना है कि अब परिवार की जिम्मेदारी उसकी नहीं। अब तक काउंसलिंग में पॉजिटिव रिजल्ट नहीं आया है, लेकिन कोशिश जारी है।
दिव्या दुबे मिश्रा, काउंसलर
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