Bhopal Property Fraud: फ्लैट का पैसा लेकर दूसरे ग्राहक को रजिस्ट्री कराई, ग्राहक डिफॉल्टर हुआ तो यूनियन बैंक ने संपत्ति तीसरे को नीलाम कर दी
भोपाल। यदि आप छोटी कॉलोनी में संपत्ति खरीदने जा रहे हैं तो यह समाचार आपसे जुड़ा है। मामला एक फ्लैट के तीन खरीददारों से जुड़ा है। जिसमें दो ग्राहक बैंकों की लापरवाही के चलते बीच में फंस गए। ऐसा नहीं होता जब बैंक ने गंभीरता से प्रकरण को नहीं लिया होता। फर्जीवाड़े की शुरुआत कॉलोनाइजर की योजना से हुई थी। इसमें बैंक के एक मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। घटना भोपाल (Bhopal Property Fraud) सिटी के कोलार थाना क्षेत्र की है। पीड़ित मामा—भांजे हैं जिन्होंने फ्लैट खरीदा था। उनके फ्लैटों को बिल्डर ने दूसरे व्यक्तियों को बेच दिया।
बैंक को लेकर इसलिए है शक
कोलार थाना पुलिस के अनुसार इस मामले में 1 जून की शाम लगभग 7 बजे 456/22 धारा 420 (जालसाजी) का मामला दर्ज किया गया है। शिकायत विपिन शर्मा पिता दुर्गा प्रसाद शर्मा उम्र 55 साल ने दर्ज कराई है। वे रायसेन रोड स्थित अशोका इंकलेव में रहते हैं। विपिन शर्मा (Vipin Sharma) का हार्डवेयर का कारोबार है। इस मामले में आरोपी रमेश कुशवाह पिता मंगल सिंह कुशवाहा है। वह सिद्धार्थ टॉवर गेहूंखेड़ा कोलार इलाके में रहता है। रमेश कुश्वाह की जेके इंफ्राका बिल्डर्स एंड डेव्हल्पर्स (JK Infraka Builders & Developers) नाम की कंपनी है। इस कंपनी ने गेहूंखेड़ा इलाके में सिद्धार्थ टॉवर नाम से बहुमंजिला इमारतें बनाई थी। जिसमें से एक फ्लैट विपिन शर्मा ने मार्च, 2013 में पसंद किया था। इसका सौदा 16 लाख रुपए में तय हुआ था। सौदे की रकम के लिए पीड़ित ने मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक की बैरागढ़ चीचली शाखा से लोन लिया था। उस वक्त बैंक ने रजिस्ट्री नहीं कराई थी। विपिन शर्मा ने जब रजिस्ट्री कराने के लिए 2018 में प्रयास किया तो वह टालने लगा था।
ऐसे एक—एक करके फंसते चले गए परिवार
विपिन शर्मा के साथ—साथ उनके राजहर्ष कॉलोनी में रहने वाले भांजे सुनील उपाध्याय (Sunil Upadhayay) ने भी फ्लैट खरीदा था। यह फ्लैट 17 लाख रुपए में खरीदा गया था। रमेश कुश्वाहा को उनके खाते में रकम भी जमा हो गई थी। जब रजिस्ट्री नहीं कराई गई तो पुलिस से शिकायत हुई। यह शिकायत 2018 में हुई। जिसके बाद दोबारा 2020 में शिकायत पुलिस से की गई। आरोपी रमेश कुश्वाहा के फर्जीवाड़े की जांच में पता चला कि विपिन शर्मा ने जिस फ्लैट को खरीदा था उसे आईबीडी हॉलमार्क सिटी निवासी हिमाद्री पाल पिता अमरनाथ पाल को बेच दिया गया था। हिमाद्री पाल (Himadri Pal) ने तत्कालीन आंध्रा बैंक अभी यूनियन बैंक से 20 लाख रुपए का लोन लिया था। लोन नहीं चुकाने पर यूनियन बैंक ने फ्लैट अवधपुरी निवासी हेमराज पांडे पिता संजय त्रिपाठी को बेच दिया। हेमराज पांडे (Hemraj Pandey) ने यह फ्लैट सरफेसी एक्ट में जब्त संपत्ति को खरीदा था।
पीड़ित का आरोप सबसे बड़ी बैंक की चूक
रमेश कुश्वाह के मामले की हुई जांच में यह साफ हो गया है कि यह फर्जीवाड़ा करोड़ों रुपए का है। पीड़ित विपिन शर्मा का आरोप है कि उस वक्त बैंक मैनेजर मनोज चुघ थे। उसी बैंक से मामा—भांजे को लोन दिलाया गया था। बैंक विरोध करने पर हमारी चूक बताकर हमें ही दोषी ठहरा रहा था। उसी बैंक से हिमाद्री पाल को फ्लैट बेचा गया। इसलिए बैंक मैनेजर को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती है। उनकी बैंक प्रबंधन जांच भी कर रहा है। हालांकि जिस शाखा के जरिए यह फर्जीवाड़ा हुआ उसी ब्रांच में एक दिन पहले वापस आमद दे दी है। इन आरोपों पर मनोज चुघ (Manoj Chugh) ने बताया कि फ्रॉड मामा—भांजे ने बिल्डर के साथ मिलकर किया है। हमने नियमानुसार बैंक की कार्रवाई की है। बैंक ने चेक बाउंस का केस लगा रखा है। जिसके बाद पीड़ितों को अपने साथ हुए फर्जीवाड़े का संज्ञान आ रहा है। मामले की जांच पुलिस कर रही है। पुलिस जैसा सहयोग चाहेगी वह हम देंगे।
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