Bhopal Land Fraud: लंबी जद्दोजेहद के बाद पुलिस ने दर्ज किया जालसाजी का केस, तीसरे आरोपी का नाम अभी अन्य पर डाला
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज (Bhopal Land Fraud) बिल्डर लॉबी से मिल रही है। मामला फर्जी तरीके से जमीन हथियाने और उसकी रजिस्ट्री करने का है। जिसमें शहर के एक प्रतिष्ठित बिल्डर का उसमें प्रोजेक्ट भी चल रहा है। इस केस को दर्ज कराने के लिए जमीन मालिक को काफी मशक्कत करना पड़ी। फर्जीवाड़े में पीड़ित का बड़ा भाई भी बिल्डर लॉबी से हाथ मिला चुका है। पुलिस ने उसको भी आरोपी बनाया है।
जमीन का पिता ने किया था करार
शाहपुरा थाना पुलिस के अनुसार 8 जून की रात लगभग 10 बजे धारा 420/406/34 (जालसाजी, गबन और एक से अधिक आरोपी) के तहत केस दर्ज किया गया है। इस मामले की एफआईआर बाबू खान पिता फत्तू खान उम्र 63 साल ने दर्ज कराई है। वह ऐशबाग स्थित नवीन नगर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि वे छह भाई है। पिता फत्तू खान ने बावड़िया कला स्थित जमीन की पॉवर आफ अटॉर्नी तेजपाल पाटीदार (Tejpal Patidar) के साथ की थी। वह बिल्डरों और किसानों के बीच मध्यस्थता करने का काम करता है। पिता का 2001 में निधन हो गया। इसलिए जमीन खरीदने—बेचने का अनुबंध करने के लिए छह बेटों से मंजूरी लेना आवश्यक थी। लेकिन, तेजपाल पाटीदार ने ऐसा नहीं किया।
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तीसरे नाम को रहस्य बनाया
बाबू खान (Babu Khan) ने बताया कि आरोपी तेजपाल पाटीदार ने 2002 में जमीन की रजिस्ट्री करा दी। जबकि बड़े भाई सलीम खान (Salim Khan) की मदद से दूसरी जमीन की रजिस्ट्री 2006 में करा दी गई। यह रजिस्ट्री हंसराज कामदार ने कराई थी। दूसरी जमीन की जो रजिस्ट्री हुई उसमें बाबू खान को हिस्से में मिली जमीन का हिस्सा भी फर्जी तरीके से बेचा गया। परिवार के पास लगभग 29 एकड़ जमीन थी। जिसमें से सभी भाईयों को करीब चार एकड़ जमीन मिली थी। पुलिस ने तेजपाल पाटीदार, सलीम खान और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया है। जबकि बाबू खान का कहना है कि उसने हंसराज कामदार (Hansraj Kamdar) से जुड़ी जानकारी भी आवेदन में दी है।
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इस कारण एफआईआर में हुई देरी
बाबू खान का कहना है कि उसकी जमीन पर अभी आकृति बिल्डर की मल्टी बन रही है। हंसराज कामदार ने पहले होटल बनाए थे। वे काफी रसूखदार भी है। इसके अलावा कई बड़े बिल्डर लॉबी से उसकी सीधी पेंठ है। एफआईआर पर देरी की वजह पर उसका कहना था कि वह अशिक्षिति है। कई बातें उसे बाद में मालूम हुई। इस फर्जीवाड़े के खिलाफ उनके चार भाईयों ने समर्थन किया था। जिसके बाद वह कानूनी लड़ाई लड़ते हुए केस दर्ज करा सके। उन्होंने अदालत में भी इस प्रकरण को लेकर शिकायत की थी। जिसमें से एक रजिस्ट्री पहले ही शून्य कर दी गई है।