MP PHQ News: दलितों पर अत्याचार रोकने, यह दो नुस्खे आएंगे काम

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MP PHQ News: दो दिवसीय वेबिनार के समापन अवसर पर एडिशनल डीसीपी ने एफआईआर से लेकर चार्जशीट दाखिल में की जाने वाली लापरवाहियों की फेहरिस्त बताई

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राजेश सिंह भदौरिया, एडिशनल डीसीपी जोन—3, भोपाल फाइल फोटो— टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश में दलित अत्याचार निवारण अधिनियम को लेकर दो दिनों से मंथन चल रहा है। जिसके बाद दो महत्वपूर्ण नुस्खे निकलकर सामने आए हैं। उसे योजना बनाकर अब मध्यप्रदेश (MP PHQ News) के सभी जिलों को दिया जाएगा। ऐसा करने के लिए उन जगहों पर ज्यादा फोकस होगा जहां एट्रो सिटी से जुड़े मामलों का हॉट स्पॉट है। वेबिनार के जरिए प्रशिक्षण सत्र के समापन अवसर पर भोपाल एडिशनल डीसीपी राजेश सिंह भदौरिया ने एफआईआर से लेकर चार्जशीट में सामने आने वाली लापरवाहियों की जानकारी साझा की। इसको दूर करने के लिए भी उन्होंने तरीके बताए।

पीड़ित और गवाह के बीच समन्वय बनाएं

पुलिस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार एडीजी अजाक राजेश गुप्‍ता ने बताया कि हमें इन वर्गों के प्रति संवेदनशीलता बरतनी चाहिए है और हॉट स्‍पॉट के अपराधों में कमी लाना हमारी सबसे बड़ी सफलता होगी। इसके मूल में जाकर समाधान करना होगा। आने वाले वक्त में ऐसी जगहों के लिए कैज्युल कॉन्‍टेक्‍ट और कमेटी ऑब्‍जर्वर भी नियुक्त होंगे। साक्षी संरक्षण के तहत अब दो अपराधों को चिन्हित करने का प्रस्ताव भी ​सामने आया। जिसकी बदौलत सजा की संख्या में वृद्धि हो सकेगी। एडिशनल डीसीपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि एफआईआर लिखने से लेकर चालान पेश होने तक वे कौन-कौन सी गलतियाँ होती हैं। जिनका लाभ अपराधी को मिलता है। उन्होंने स्वतंत्र साक्ष्य संकलन की आवश्यकता और उसके वैधानिक महत्व पर प्रकाश डाला। एडिशनल डीसीपी ने एफआईआर लिखने का तरीका बताते हुए कहा कि मजमून में अधिक से अधिक तथ्य आना चाहिए। फरियादी व गवाहों को 160 का नोटिस देकर उस पर हस्ताक्षर कराये तथा 161 व 164 के कथन में तथ्य अलग-अलग न हो। इसके लिये फरियादी से समन्वय बनाये।

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