MP Political Joke: कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, ब्राह्मण समाज को लेकर अमर्यादित टिप्पणी, फिर भाजपा नेता ने दिखाया आईना, पार्षद के बाद अब विधायक बनने की फील्डिंग शुरू
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में काफी कुछ भीतर ही भीतर चल रहा होता है। यह कानाफूसी कभी—कभी बड़े समाचार की तरफ इशारा करती है। कुछ ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक नियमित कॉलम एमपी पॉलिटिकल जोक (MP Political Joke) है। जिसमें भाजपा—कांग्रेस समेत अन्य दलों के भीतर चल रही खींचतान शामिल है। इस बार प्रदेश में आम आदमी पार्टी भी घमासान करना चाहती है। हालांकि उनके प्रदेश अध्यक्ष ज्यादा सक्रिय फिलहाल नहीं दिख रहे हैं। लेकिन, जो खबरें सामने आ रही है उससे वे हमारे इस बार कॉलम में जरूर आ गए हैं।
न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी
आप आए बहार आई…
मध्यप्रदेश में लगभग दस महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। यह बातें ब्यूरोक्रेसी के अलावा सभी दलों के नेता जानते भी है। कुछ नेता अपने पुराने काले कारनामों को व्हाईट करने में जुट गए हैं। सबसे ज्यादा खतरा भाजपा को समझ आ रहा है। इसलिए संगठन अपने स्तर पर भीतर ही भीतर सर्वे करा रहा है। जिसमें यह भी पता लगा रहा है कि ऐनवक्त में कौन मेंढ़क बन सकता है। वहीं खबर है कि ऐसे मेंढ़क कांग्रेस की बजाय आप पर डोरा डाल रहे हैं। इस बात की निगहबानी उनके प्रदेश अध्यक्ष भी कर रहे हैं। मतलब साफ है कि इस वक्त जो भी दिल्ली का दौरा कर रहा है वह अपने कार्यालय के साथ—साथ केजरीवाल कनेक्शन वाले नेताओं के दरबार पर भी माथा टेक रहा है। बहरहाल, गुजरात सदमे से उबर नहीं पा रहे केजरीवाल एमपी में दोनों ही दलों से किनारा करके अपनी पगडंडी बनाना चाह रहे हैं। क्योंकि गुजरात के चुनाव परिणामों में दोनों दलों के असंतुष्टों को शामिल करने पर उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ गई है।
हुजूर की खिदमत यूं ही नहीं
पार्षद लगा रहे विधायक बनने के लिए जोड़—तोड़
कांग्रेस के पार्षद इन दिनों एक बार फिर सक्रिय हैं। वह भारत जोड़ो यात्रा हो या फिर मुद्दों पर दिखना। सभी जगह वे मौजूद होते हैं और भारी संख्या के साथ। दरअसल, इसके पीछे दस महीने बाद होने वाले चुनाव का समीकरण (MP Political Joke) है। खास बात यह है कि पार्षद जहां रहते हैं वहां कांग्रेस का विधायक है। उनकी नजर एक ऐसे विधानसभा क्षेत्र में जहां भाजपा का वर्चस्व है। वह तिलिस्म तोड़ने के लिए अपने पुराने रूठे मित्रों को मनाने में जुटे हैं। अपना इरादा वे शेर के पुतले पर बैठकर जता भी चुके हैं। इसके अलावा वे भीतर ही भीतर कार्यकर्ताओं को सक्रियता दिखाने के लिए तैयार भी कर रहे हैं। इन पार्षद महोदय की खासियत यह है कि वे पचौरी के साथ—साथ दिग्विजय खेमे के भी काफी नजदीकी हैं। दो बार पार्षद रह चुके यह कांग्रेस नेता क्या चमत्कार दिखा पाएंगे यह भविष्य में जरूर पता चल जाएगा।
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