Bhopal Crime Trend : सरकारी योजनाओं के तहत लगे कैमरों से नहीं मिल पा रही कोई सफलता
भोपाल। चौकसी के नाम पर जनता के खून पसीने से जमा करोड़ों रुपए की रकम यूं ही बर्बाद होती नजर आ रही है। दरअसल, इन कैमरों से क्राइम कंट्रोल की बात हो रही थी। लेकिन, ऐसा हो नहीं (Bhopal Crime Trend) पा रहा। मध्य प्रदेश (MP Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) में पिछले एक पखवाड़े से सरप्राइज चैकिंग (Bhopal Cop Surprise Checking) की जा रही है। इस चैकिंग के दौरान मैदानी अमले ने आधा दर्जन से अधिक ऐसे वाहन जब्त किए हैं जो फर्जी नंबर प्लेट पर चल रहे थे। यानि साफ है कि सरकार ने जिन दावों के आधार पर हाईटेक कैमरे (Bhopal CCTV Ground Report) लगाए थे वह केवल सड़कों के शो पीस बन गए हैं।
फर्जी नंबर की बाइक खरीदी
हबीबगंज पुलिस ने 1 जुलाई को 12 नंबर बस स्टाप के पास दो बाइक को चैक किया। इन वाहनों के नंबर का आरटीओ की वेबसाइट से मिलान किया गया। यह दोनों वाहन फर्जी नंबर (Bhopal Fake Number Plate) पर चलते पाए गए। यह बाइक शुभम कुशवाहा (Shubham Kushwah) पिता मान सिंह कुशवाहा उम्र 27 साल निवासी गौरव नगर और विकास गूर्जर (Vikas Gurjar) पिता विशाल सिंह गूर्जर उम्र 20 साल सेंकड स्टाप टीटी नगर चला रहे थे। यह वाहन आकाश अहिरवार (Akash Ahirwar) से खरीदना बताया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जालसाजी (Bhopal Fraud News) का मुकदमा दर्ज किया।
यह पहला मामला नहीं
यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी पुलिस ने वाहन चैकिंग के दौरान वाहन दबोचे थे। हनुमानगंज पुलिस ने काजी कैंप निवासी आदिल (Aadil Nakli Number Plate Ka Mamla) को चोरी की बाइक के साथ गिरफ्तार किया था। वह फर्जी नंबर पर बाइक चला रहा था। इसी तरह आनंद नगर निवासी प्रताप सिंह (Pratap Singh) और अरवलिया निवासी रमजानी को टीलाजमालपुरा थाना पुलिस ने दबोचा था। यह भी फर्जी नंबर पर बाइक चला रहे थे। इसी तरह की कार्रवाई चूना भट्टी और कोलार थाना पुलिस ने भी की थी। मतलब साफ है कि यह सारे वाहन पुलिस के शहरों में लगे सीसीटीवी कैमरे (MP CCTV Surveillance System Fact) में कैद भी हुए लेकिन, उतनी बारीकी से मॉनिटरिंग नहीं की जा सकी।
यह भी कारण
इधर, इन अपराधों से एक ट्रेंड क्राइम (Bhopal Crime Trend) का ओर निकलकर सामने आ रहा है। जिन बाइक सवारों को रोका गया वह फायनेंस कराए गए थे। फायनेंस की किस्त (Bhopal Bike EMI Fraud Case) न चुका पाने के कारण उसके सीज होने का खतरा था। जिससे बचने के लिए कई लोगों ने फर्जी नंबर बाइक पर लगा लिए थे। यह बदलाव की खबर मैदानी अफसरों की मुस्तैदी की वजह से ही सामने आ सकी है।
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