डिफाल्टर था या दी थी सुपारी आज भी अनसुलझी कहानी

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देना बैंक के तत्कालीन एजीएम एस सुंदर राजन हत्याकांड की फाइल बंद, दो दर्जन से  अधिक अफसरों ने सवा सौ से अधिक लोगों से की थी पूछताछ

भोपाल। जिस घटना में मध्यप्रदेश के तत्कालीन डीजीपी एसके राउत मौके पर पहुंचे थे उस मामले को भोपाल पुलिस आज तक नहीं सुलझा पाई है। उनके जाने के बाद चार नए डीजीपी प्रदेश में बन गए। पर आज तक इस मामले की फाइल जस की तस है। यह है एस सुंदरराजन की गोली लगने से हुई मौत का मामला। वे बैंक आॅफ बड़ौदा (तब देना बैंक) में एजीएम  हुआ करते थे। इस मामले में कोई सबूत और गवाह न मिलने के कारण प्रकरण में खात्मा लगा दिया गया है।

डीजीपी से मुलाकात के बाद हत्या

ईदगाह हिल्स के मकान नम्बर 2 में राजन का परिवार रहता था। इस घटनाक्रम का एक पहलू यह भी है कि हत्या से 2 दिन पहले राजन तत्कालीन डीजीपी एसके राउत से मिलने गए थ। यह आज तक  साफ नहीं हो  सका है कि दोनों के बीच बंद कैबिन में किस विषय पर बातचीत हुई थी।

क्या है मामला

एस. सुंदरराजन आफिस के लिए घर से निकल रहे थे। घटना 31  मार्च, 2009 की  सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर हुई थी। उस वक्त पत्नी विजयलक्ष्मी कार में बैठ चुकी थीं। ड्राइवर बशीर वसारत घर के मेन गेट पर ताला लगा रहा था। राजन कार में बैठते उसके पहले पीठ के बल नीचे जमीन गिर पड़े। विजय लक्ष्मी ने ड्राइवर से चिल्लाकर कहा कि देखो साहब को हार्टअटैक तो नहीं आ गया। फिर दोनों उन्हें तुरंत मेयो हॉस्पिटल ले गए। वहां हार्टअटैक मानकर ही उनका इलाज चलता रहा। दोपहर 2 बजे के करीब उनकी मौत हो गई। बाद में उन्हें हमीदिया अस्पताल ले जाया गया। वहां पोस्टमार्टम हुआ, तब जाकर पता चला कि उन्हें  पाइंट 22 की गोली मारी गई है।

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कितनों से हुई पूछताछ 

मामले की पड़ताल के लिए आला अफसर तैनात किए गए। घर के आसपास रहने वाले करीब 100 लोगों से पूछताछ की गई। यह वह लोग थे जिनके पास लाइसेंसी हथियार थे। इसके बावजूद हत्यारे और हथियार का पता नहीं चला। खास बात यह है कि उस समय लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी थी और सारे लाइसेंसी हथियार थाने में जमा थे। फिर उनकी हत्या किस हथियार से हुई, यह पुलिस अभी तक पता नहीं लगा पाई है? क्या हथियार और हत्यारे बाहर से आए थे? निशाना इतना सधा हुआ था कि दूसरी गोली चलाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। गोली सीधे पीठ से घुसकर दिल के अंदर फंस गई।

बैंक से जुड़ा है राज

राजन देना बैंक में असिस्टेंट जनरल मैनेजर थे। उनकी ही रजामंदी के बाद बैंक बड़े लोन को मंजूर करती थी। पुलिस ने उनकी तरफ से मंजूर और डिफाल्टर होने वाले ग्राहकों का भी ब्योरा जुटाया था। राजन की एक बेटी है जो बाहर  रहती है। पत्नी विजय लक्ष्मी चेन्नई में हमेशा के लिए रहने चली गई हैं। हालांकि उन्होंने कहा था कि मैं जानना चाहती हूं कि आखिर कौन है वो, जिसने हमारी हंसती-खेलती जिंदगी उजाड़ दी। वो कौन है, जिसने मेरे बच्चों से उनकी हंसी छीन ली।

इन अफसरों ने की थी जांच 

इस मामले में सात से अधिक विवेचना अधिकारी हो  चुके हैं। लेकिन, कोई भी मुकाम पर नहीं पहुंच सका। आखिरी बयान एस सुंदर राजन की नौकरानी सुनीता के हुए थे। यह बयान महिला  अफसर सारिका शुक्ला ने लिए थे। सुराग देने वाले को 25 हजार रुपए के  इनाम  का ऐलान किया गया है। मामले की जांच तत्कालीन शाहजहांनाबाद टीआई राजीव चतुर्वेदी, तत्कालीन सीएसपी आशीष खरे, अरुण मिश्रा, एएसपी एके पांडे, डीएसपी संजीव कंचन, टीआई अतीक खान, अलीम खान से लेकर कई अन्य कर चुके हैं।

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तमाम रिपोर्ट नहीं आई काम

पुलिस ने पड़ताल के लिए पूरे घटनाक्रम का  नाटय  रूपातंरण  भी किया था। इस काम में मेडिको  लीगल के तत्कालीन निदेशक डाॅक्टर डीके सत्पथी, फोरेंसिक के  वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅक्टर हर्ष शर्मा समेत कई विशेषज्ञों ने दिनरात परिश्रम किया था। पुलिस ने बैलेस्टिक रिपोर्ट के आधार पर संभावित दूरी पर भी शोध किया था।

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