Bhopal Loan Fraud: बैंक मैनेजर को छोड़कर फर्म से जुड़े व्यक्तियों को सीधे बनाया गया आरोपी, मुख्यमंत्री कार्यालय में लोन के लिए लगाया था आवेदन, जिसके बाद फुटपाथ के फुटवियर कारोबारी को कलेक्टर—कमिश्नर ने सिर्फ दिया था ज्ञान
भोपाल। सिंडिकेट बैंक से भुगतान हुए एक 7 लाख रुपए के लोन के मामले में एफआईआर हुई है। इस प्रकरण में बैंक के मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध है। हालांकि पुलिस ने उसको अभी सीधे आरोपी नहीं बनाया है। यह घटना भोपाल (Bhopal Loan Fraud) सिटी के हनुमानगंज थाना क्षेत्र की है। पीड़ित फुटपाथ पर फुटवियर का कारोबार करने वाला व्यक्ति हैं। वह गुमठी बनाने के लिए बैंक में लोन मांगने गया था। इससे पहले वह मुख्यमंत्री निवास से लेकर कई सरकारी दफ्तरों में आवेदन कर चुका था। पीड़ित अशिक्षित है जिसके दस्तावेजों की मदद से यह घोटाला किया गया है।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला
मैनेजर ने मांगा था कमीशन
कन्हैया लाल डाबी ने पुलिस को बताया कि उसने अगस्त, 2018 में मुख्यमंत्री निवास में गुमठी आवंटन के लिए आवेदन किया था। यह आवेदन (Bhopal Loan Fraud) भोपाल कलेक्टर के जरिए नगर निगम कमिश्नर के पास पहुंचा। भोपाल निगम कमिश्नर ने मदद करने की बजाय उसे सलाह दी। निगम ने कहा कि शहरी आजीविका मिशन के जरिए उसको वित्तीय सहायता मिल सकती है। इसके बाद कन्हैया लाल डाबी ने दोबारा मुख्यमंत्री निवास में आवेदन किया। लेकिन, उसे फिर कोई सहायता नहीं मिली। लोन के सिलसिले में ही वह फरवरी, 2020 में सिंडिकेट बैंक पहुंचा था। यहां उससे आरोपी जमुना प्रसाद चौधरी (Jamuna Prasad Chaudhry) टकराया था। इससे पहले पीड़ित को मैनेजर ने लोन का टारगेट पूरा होने का बोलकर उसे लोन देने से इंकार कर दिया था। जमुना प्रसाद चौधरी ने पीड़ित से दावा किया कि वह उसको लोन दिलवा देगा। इसके बाद वह मैनेजर देवेन्द्र साहू (Devendra Sahu) के पास ले गया। जिसने पैसा लेकर लोन दिलाने की बात बोली।
खाली खाते का चेक थमाया
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