Electrol Bond Scam: ब्यूरोक्रेसी और एजेंसियों की जवाबदेही तय करने की मांग 

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Electrol Bond Scam: इलेक्टोरल बांड से लिए चंदे के मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका हुई स्वीकार, सेवानिवृत्त विषय विशेषज्ञों की अगुवाई में एसआईटी बनाने की मांग, अधिवक्ता प्रशांत भूषण और आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने दी मीडिया को जानकारी

Electrol Bond Scam
भोपाल में स्थित गांधी भवन में पत्रकार वार्ता में जानकारी देने पहुंचे अधिवक्ता प्रशांत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज।

भोपाल। भारत में बांड के जरिए चंदा लेने के मामले में नया घटनाक्रम सामने आ गया है। अब कंपनियों की दान राशि के बाद उन्हें मिली सुविधाओं की जांच की मांग उठने लगी है। इस संबंध में बकायदा सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) में याचिका भी दाखिल की गई है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार लिया है। इस मुद्दे पर अगले महीने सुप्रीम कोर्ट में जिरह होना संभव हैं। यह बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषण और आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने संयुक्त रुप से पत्रकारों को जानकारी दी। दोनों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि बांड (Electrol Bond Scam) पर बकायदा ट्रैकिंग की जा रही थी। दोनों ने यह भी आरोप लगाया कि यह बात भारतीय स्टेट बैंक को पूरी जानकारी पता थी।

दवा कंपनिया ने घूस के रुप में दिया चंदा

प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने बताया कि काला धन रोकने की सिर्फ बात की गई है। लेकिन, राजनीतिक पार्टियां (Political Parties) आज भी वैसे ही चंदा ले रही है। पूर्व में कंपनियां लाभ का सात फीसदी चंदा देने का प्रावधान था। लेकिन, सरकार ने इसको बदल दिया था। वहीं जनता के जानने के अधिकार को रोकने का बहुत प्रयास किया था। इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI Bank) ने कई दलीले पेश की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कंपनियों ने भाजपा, टीएमसी समेत कई अन्य पार्टियों को चंदा दिया। प्रशांत भूषण ने इसे घूस कहते हुए बोला कि ईडी, आईटी और सीबीआई की जांच से बचने के लिए सत्तारुण सरकार को दिया गया। प्रशांत भूषण ने गुजरात (Gujrat) के केडिला कंपनी के रेमडेसिवर इंजेक्शन के इस्तेमाल को लेकर उदाहरण भी पेश किया। उन्होंने बताया कि उसी कंपनी ने काफी चंदा सरकार को ​दिया। जिसके बाद सरकार ने रेमडेसिवर (Remdesivir) इंजेक्शन को बिकने से नहीं रोगा। जबकि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने भी उसे खतरनाक साबित कर दिया था। ऐसी फामॉस्युटिकल कंपनियों की संख्या दो दर्जन से अधिक है।

सरकार में बैठे लोगों को बेनकाब करने की आवश्यकता

प्रशांत भूषण ने बताया कि चंदा लेकर चुप्पी साधने वाले वे लोग जिनको एक्शन लेना थे। उन्हें बेनकाब करने की आवश्यकता है। इसलिए यह जांच सीबीआई, आईटी, ईडी नहीं कर सकती है। ताकि यह पता चल सके उस वक्त कौन लोग जवाबदेह थे। उन्होंने यह भी कहा कि घूस लेने वाली पार्टियों से रिकवरी की मांग भी उन्होंने उठाई। उन्होंने बताया कि कॉर्पोरेट चंदा गैरकानूनी नहीं था। लेकिन, यह चंदा रिश्वत (Electrol Bond Scam) के रुप में लिया गया है इसलिए रिकवरी की जा सकती है। अंजली भारद्वाज (Anjali Bharadwaj) ने बताया कि पारदर्शिता की आड़ में इस स्कीम में गैरसंवैधानिक काम किया गया। यह संविधान की आजादी का यह कानून उल्लंघन कर रहा था। एसबीआई बांड की ट्रैकिंग की जा रही थी। इसमें सत्तारुण सरकार को क्लीनचिट नहीं दी जा सकती। उन्होंने बताया 14 हजार करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट मेधा इंजीनियरिंग कंपनी (Medha Engineering Company) को मिला। इससे पहले कंपनी ने भाजपा (BJP) को चंदा दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2जी स्पैक्ट्रम फैसले को पलटने के लिए सरकार ने अर्जी लगाई है। भारद्वाज का आरोप है कि भारतीय टेलीकॉम कंपनी (Telecom Company) ने भाजपा को 150 करोड़ रुपए का चंदा दिया। यह देते साथ सरकार कंपनी के समर्थन वाली पॉलिसी बनाने लगी है।

केजरीवाल के साथ—साथ वाला चंदा देकर उतना गुनाहगार नहीं

अंजली भारद्वाज ने बताया कि चुनावी बांड के डेटा से साफ है कि ईडी, सीबीआई और आईटी छापों के बाद कंपनियों ने चंदे दिए हैं। उन्होंने एक्सटॉर्शन वसूली का भी आरोप जांच एजेंसियों पर लगाया। उदाहरण के साथ उन्होंने कहा कि दो मुख्यमंत्री जेल में डाल दिए गए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) जिस मामले में गिरफ्तार है उसी मामले में दूसरे आरोपी जो कि अरविंदो फार्मा कंपनी (Arvindo Pharma Company) के संचालक शरद चंद्र रेड्डी हैं वह जमानत पर है। रेड्डी के जरिए शराब नीति बनाने में रियायत देने के केजरीवाल पर आरोप लगाए हैं। शरद चंद्र रेड्डी (Sharad Chandra Reddi) ने भाजपा को चंदा भी दिया है। उन्हें जमान​त का लाभ पर रिहा कर दिया जाता है। क्योंकि ईडी की तरफ से जमानत का अदालत में विरोध नहीं किया गया। यह सबकुछ खोजी पत्रकारिता के जरिए बाहर आ चुका है। हालांकि यह खबर मैन स्ट्रीम मीडिया से गायब है। दिल्ली (Delhi) की बजाय भोपाल में यह जानकारी मीडिया से साझा करने के सवाल पर प्रशांत भूषण ने कहा कि यह भ्रष्टाचार (Corruption) का मामला देश के हर कोने में जाना चाहिए।

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