मैनिट की एमटेक छात्रा की मौत का मामला, परिजन का दावा बेटी की हुई है हत्या
भोपाल। मैनिट मौलाना अब्दुल कलाम आजाद विवि (MANIT) की छात्रा लक्षिका मेहरा (Lakshika Mehra) की मौत के मामले में परिजनों ने रातीबड़ पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए है। मामला मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) के रातीबड़ थाना क्षेत्र का है। परिवार का दावा है कि लक्षिका ने सुसाइड (Lakshika Suicide) नहीं किया है, बल्कि उसकी हत्या हुई है। पुलिस जांच की दिशा बदलकर आरोपी को बचाने का प्रयास कर रही है।
लक्षिका के पिता रामराज मेहरा (Ramraj Mehra) ने बताया कि उनकी बेटी पर एसिड अटैक (Acid Attack) हुआ है। तीन साल से वह अनिल तिवारी की दोस्त थी। अनिल तिवारी (Anil Tiwari) उससे मिलना चाहता था। यह बात उसने अपनी सहेली को बताई थी। सहेली ने लक्षिका की वाइस रिकार्डिंग भी उन्हें सौंपी है। अनिल तिवारी, लक्षिका को प्रताड़ित कर रहा था और उसकी गर्लफ्रेंड (महिला मित्र) भी उसका साथ दे रही थी। उसने एक महीने पहले ही लक्षिका को मोबाइल पर धमकी देकर कहा था कि सुनील तिवारी से संपर्क खत्म कर दे।
घटना से पूर्व रात में सुनील तिवारी (Sunil Tiwari) ने लक्षिका को कॉल किया था। कॉल पर उसने लक्षिका से मिलने की बात कही थी और लक्षिका को रातीबड़ बुलाया था। घटना के बाद लक्षिका सुनील तिवारी को सुबह दस बजे से साढ़े दस बजे तक लगातार चालीस से ज्यादा कॉल कर चुकी थी, लेकिन सुनील ने उसका कॉल रिसीव नहीं किया था। बाद में जब राहगीर मीणा ने सुनील तिवारी को कॉल किया तो उसने कहा था कि मैं भोपाल से बाहर हूं आप उसे कैब से घर भेज दो, लेकिन सुनील तिवारी की टावर लोकेशन भोपाल में ही मिली थी।
नहीं किया था सहेली का कॉल रिसीव
जिस समय घटना हुई थी उस समय लक्षिका की सहेली ने उसे कॉल किया था, लेकिन लक्षिका का मोबाइल रिसीव नहीं हो सका। जबकि लक्षिका अपनी सहेली को सारी बातें बताती थी और उसका कॉल भी तत्काल रिसीव करती थी। उस दिन लक्षिका कॉल रिसीव नहीं कर सकी। रामराज मेहरा का आरोप है कि घटना के समय उनकी बेटी के साथ सुनील तिवारी और अन्य लोग मौजूद थे, जिन्होंने लक्षिका की हत्या की है।
पंद्रह दिन से सहमी थी लक्षिका
9 सितंबर की सुबह लक्षिका के साथ यह घटना हुई थी। लक्षिका करीब पंद्रह दिन पूर्व से ही काफी डरी हुई थी। वह गुमशुम रहने लगी थी उसका पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा था, जबकि लक्षिका काफी होनहार थी और उसका रिजल्ट अव्वल ही रहा है।
अब तक नहीं मिला मोबाइल
रामराज मेहरा ने बताया कि जिस पानी के गड्ढे में लक्षिका गंभीर रूप से झुलसी मिली थी, वहां से उसका मोबाइल, पर्स, हेलमेट और चेहरा बांधने का स्टॉल अभी तक नहीं मिला है। लक्षिका की एडढ़ी, पैर, जांघ, पिंडली पीछे कमर वाला हिस्सा झुलसा था, लेकिन उसके बाल नहीं जले, जहां एसिड फेंका गया था, वहां केवल शरीर जला, जबकि कपड़े सही सलामत मिले। इतना ही नहीं अंदर के कुछ कपड़े एकदम ठीक मिले, लेकिन कपड़ों के अंदर का शरीर झुलसा हुआ था।
यह था मामला
मैनिट में एमटेक कर रही लक्षिका मेहरा पिता रामराज मेहरा (21) ग्रीन पार्क अशोका गार्डन में रहती थी। गत 9 सितंबर की सुबह आठ बजे वह घर से कॉलेज जाने के लिए निकली थी। करीब 10.50 पर राहगीर ने मोबाइल पर जानकारी दी थी कि लक्षिका सेमरी जोड़ रातीबड़ में गड्ढे में घायल अवस्था में पड़ी हुई है। उसे चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया था, वहां से हमीदिया बर्न वार्ड में भर्ती करा दिया गया। करीब एक सप्ताह बाद लक्षिका की मौत हो गई थी।