Bhopal Crime : कानून से लंबे शराब माफिया के हाथ

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Bhopal CrimeBhopal Crime poor Investigation : चौबीस घंटे बाद भी कई धाराओं पर खामोश हुई भोपाल पुलिस, मीडिया में खड़े हुए सवाल तो सारे कानूनों की आई पुलिस को याद, लीपापोती का काम अभी भी जारी

भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पदभार संभालने के बाद पुलिस मुख्यालय में ऐलान किया था कि उनकी सरकार संगठित तरीके से चल रहे नशे के कारोबारियों को सीखचों के पीछे पहुंचाएगी। लेकिन, भोपाल पुलिस की एक कार्रवाई इस ऐलान को केवल बयान साबित कर रही है। दरअसल, पिपलानी पुलिस ने दो दिन पहले लगभग सवा तीन लाख रूपए की अवैध शराब बरामद की थी। इस बरामदगी के बाद पुलिस ने आरोपियों के प्रति जो सहानुभूति दिखाई है वह उसकी कार्रवाई पर सवाल खडे कर रही है।

इन कारणों से फंसी पुलिस

पिपलानी पुलिस ने जिस सूमो को बरामद किया वह फर्जी नम्बर पर चल रही थी। उसमें सीरीज और नम्बर तो सही था लेकिन जिले का रजिस्टर्ड कोड गलत था। इस कारण मामला जालसाजी का बनता था। पर पुलिस ने ऐसा न करते हुए आरोपियों को राहत पहुंचाने की कोशिश की हैं। पुलिस ने जब सूमो जब्त की तो उसमें भोपाल का नम्बर था जो फर्जी है। वास्तविक नम्बर इंदौर जिले में रजिस्टर है। इस मामले में थाना प्रभारी राकेश श्रीवास्तव का दावा है कि पुलिस उस शराब कारोबारी को भी आरोपी बनाएगी जिसने इतनी भारी मात्रा में आरोपी शैलेन्द्र को माल दिया। यह मामला शराब बिक्री के बने नियमों का उल्लंघन है। शैलेन्द्र ने दीपक जायसवाल से यह शराब ली थी। लेकिन, उसके लायसेंस की जानकारी नहीं मिल सकी है। इसके अलावा सूमो मालिक के खिलाफ मोटर व्हीक्ल एक्ट के उल्लंघन की कार्रवाई की जाएगी। बताया जाता है कि यह सूमो देवेन्द्र सिंह बैस के नाम रजिस्टर्ड है। इसको लेकर भी थाना प्रभारी का तर्क है कि अभी दस्तावेज नहीं मिले हैं इसलिए धारा तय नहीं की सकी है।

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क्या है मामला

पिपलानी पुलिस ने मूलतः रायसेन निवासी शैलेन्द्र ठाकुर को गिरफ्तार किया था। जब उसकी गिरफ्तारी हुई तो वह सूमो में सवार था। उसकी सूमो और भोपाल के पटेल नगर में स्थित घर से भारी मात्रा में शराब बरामद की थी। पुलिस ने इस मामले में केवल आबकारी एक्ट का मामला दर्ज करके उसे जेल भेज दिया। बाकी मामले के तथ्यों और खुलासों को लेकर पुलिस ने जांच का विषय बताकर मामले से किनारा कर लिया।

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