प्रकरण में लापरवाही बरतने पर पहले ही टीआई पर गिरी गाज, अब दिल्ली की रिपोर्ट का इंतजार
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Crime) के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former CM Shivraj Singh Chouhan) मनुआभान टेकरी में हुए एक बारह साल की बच्ची की हत्या (Minor Rape & Murder) के मामले में धरने (EX CM Protest) पर बैठे थे। इसी मामले में गुरुवार को चौंकाने वाला खुलासा (Shocked News ) हुआ है। इस मामले में एक आरोपी जिसे पुलिस ने बनाया था उसकी रिपोर्ट नैगेटिव आई है। जिसके बाद अब असली और नकली आरोपी (Fake Accused) को लेकर बहस छिड़ गई है। इस मामले में भोपाल पुलिस (Bhopal Police) ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। जिसको दाखिल करने के बाद उसकी जमकर किरकिरी हुई। नैगेटिव रिपोर्ट और पूरे मामले को लेकर रिपोर्ट सोशल मीडिया में भी वायरल हुई। इससे पहले मामले की जांच कर रहे तत्कालीन कोहेफिजा प्रभारी अमरेश बोहरे (Amresh Bohre) को अफसरों ने पहले ही चलता कर दिया था। अब इस ताजा खुलासे से उसकी आंच अफसरों के पास पहुंच रही है।
सूत्रों के अनुसार भोपाल पुलिस के अफसर इस मामले में गुपचुप तरीके से हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों मदद ले रहे हैं। ताकि बिगड़े हुए मामले को दोबारा सुधारा जा सके। भोपाल पुलिस के अफसर डीएनए रिपोर्ट में उलझ गए हैं। इस रिपोर्ट की वजह से भोपाल पुलिस की साख भी दांव पर लग गई है। इस मामले में पुलिस ने जस्टिन राज और अविनाश साहू को आरोपी बनाया है। जिनकी सागर फोरेंसिक लैब से डीएनए रिपोर्ट निगेटिव आई है। यह डीएनए रिपोर्ट पुलिस अफसरों के लिए गले की फांस बन गई है। लेकिन, पुलिस अफसर निगेटिव रिपोर्ट को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। अब ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अपराध जस्टिन राज औरप अविनाश ने नहीं किया तो उसे अंजाम देने वाला कौन था। आखिर ऐसी कौन सी वजह रही जिसके चलते दोनों के नाम एफआईआर में लिखे गए।
सीसीटीवी फुटेज और बयानों से माना आरोपी
गिरफ्तार हुए दोनों युवकों को लेकर पुलिस ने चालान अदालत में पेश किया है। जिसमें बताया गया कि सीसीटीवी फुटेज और आरोपी युवकों के बयानों के साथ मृतका की बुआ के बयानों के आधार पर दोनों को दोषी बनाया गया। लेकिन, अब आठ महीने बाद प्रकरण वापस उसी चौराहे पर आकर खड़ा हो गया जहां से पुलिस ने पहले शुरूआत की थी। पुलिस ने इस मामले में छात्रा के शरीर पर मिले शुक्राणु और आरोपी बनाए गए अविनाश साहू और जस्टिन राज के (सीमन) वैजाइनल स्वाब और ब्लड सैंपल की जांच के लिए सागर भेजे थे। दोनों ही डीएनए रिपोर्ट का मिलान नहीं हुआ और रिपोर्ट निगेटिव आई।
अब तक क्या
इस मामले में सागर से आई डीएनए रिपोर्ट को झुठलाने के लिए फिर से एक रिपोर्ट तैयार की गई। जिसको 21 अगस्त 2019 को हैदराबाद फोरेंसिक लैब भेजा गया। हैदराबाद लैब में पैंडेंसी अधिक होने के चलते रिपोर्ट नहीं बन सकी। इस कारण अब उसे दिल्ली भेजा गया है। सूत्र बता रहे है कि अफसरों ने पुलिस विभाग की किरकिरी से बचने के चलते यह कदम उठाया है। अफसरों ने रिपोर्ट नैगेटिव आने के चलते चालान पेश नहीं किया। इस घटना में पुलिस ने 45 गवाह बनाए हैं। दोनों आरोपी अविनाश साहू और जस्टिन राज सलाखों के पीछे हैं।
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