MP Cop Gossip: सायबर क्राइम के आंकड़ों को कम दिखाने का जानदार फॉर्मूला

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MP Cop Gossip: पत्रकार की पत्नी और चोर पुलिस की रोचक कहानी

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमे के भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ सक्रिय पत्रकारों की नजरें से बच जाती है। यह वे मामले होते हैं जिनके सबूत नहीं थे। इसलिए वे पुलिस महकमे के लिए गॉसिप (MP Cop Gossip) का विषय बन जाते हैं। ऐसे ही कुछ गॉसिप की खबरें इस बार आपके लिए हैं। हमारा मकसद किसी को छोटा—बड़ा दिखाना नहीं है।

धीरे से कैडर बढ़ाने की चल रही चर्चा

पिछले दिनों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई। इस व्यवस्था से एक दर्जन आईपीएस अफसरों को मैदान में काम करने के मौके नजर आने लगे। इनमें से कई पुलिस मुख्यालयों के गलियारों में फाइलों को निपटा रहे हैं। इधर, खबर है कि इन दोनों शहरों में आईपीएस अफसरों की तैनाती के बाद कैडर बनाने की सरगर्मी शुरु हो गई है। इसके तार दिल्ली से जुड़े है। जिसके लिए अब पुलिस विभाग के पास पर्याप्त एक्सक्यूज है।

महकमे में बनने लगे नए कैडर

प्रदेश में आईपीएस बनाम राज्य पुलिस सेवा होता ही है। आईपीएस की सीधी भर्ती से आने वाले अफसर प्रमोशन पाकर आईपीएस बनने वाले अफसरों के प्रति अलग ही नजरिया रखते हैं। यह तो ठीक था ले​किन अब थानों में भी राज्य पुलिस सेवा के दो कैडर बन गए हैं। एक वह कैडर जो सीधे भर्ती होकर सीएसपी के पद पर पहुंचता है। दूसरा कैडर कार्यवाहक अफसरों का है। कार्यवाहक को उतना एडवांटेज नहीं मिलता है। इस कारण कई थानों में सीनियर—जूनियर के किस्से सुनने मिल रहे हैं।

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सायबर के मामले कौन बोल रहा है बढ़े

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एमपी में सायबर क्राइम के मामले बिलकुल चरम पर है। भोपाल में ही छह महीने के भीतर 500 से अधिक मुकदमे दर्ज कर लिए गए है। लेकिन, इन प्रकरणों की खासियत यह है कि यह जालसाजी के प्रकरण है। जबकि होना यह चाहिए कि इसमें आईटी एक्ट की धारा लगाकर उसकी एफआईआर दर्ज की जाए। इसमें दूसरा चौंका देने वाला पहलू यह भी है कि सभी मामलों की शुरुआती जांच सायबर क्राइम ने ही दर्ज की है। इससे महकमे की फजीहत होने से बच सकती है। इसके अलावा भोपाल में सायबर क्राइम का नोडल थाना ही नहीं बनाया गया है। इसलिए क्राइम ब्रांच के खाते में मुकदमा दर्ज करके वहां क्राईम रिकॉर्ड बढ़ाया जा रहा है।

पुलिस जानती है यह राज

पिछले दिनों मध्यप्रदेश पुलिस महकमे की एक विंग ने महिला को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। जब उसे पूछताछ के लिए बुलाया उस वक्त अफसर एक बात नहीं जानते थे। यह बात महिला के पति से जुड़ी है। वह पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय है। महिला को पूछताछ के लिए इसलिए लाया गया था क्योंकि वह जिस व्यक्ति से ज्यादा बातचीत करती थी वह चोरी के एक बड़े मामले का संदेही था। जब यह बात पत्रकार को बताई तो मामले ने तूल नहीं पकड़ा और पुलिस की फजीहत होने से बच गई।

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