Bhopal News: सरकार ने पिछले दरवाजे के रास्ते गैस पीड़ितों के लिए खोले गए अस्पतालों को लेकर बनाई ऐसी रणनीति, संगठनों की चेतावनी सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करेंगे अफसरों और नेताओं को
भोपाल। एशिया की भयावह त्रासदी गैस कांड की 39वीं बरसीं 03 दिसंबर को हैं। कारखाने की भयावह त्रासदी झेल चुके इस भोपाल (Bhopal News) शहर में उसके निशान आज भी बाकी हैं। इस प्रकरण से जुड़े किसी भी आरोपी को जेल में नहीं पहुंचाया गया। इधर, सुप्रीम कोर्ट की दखल और केंद्र सरकार के बजट से बने गैस कांड पीड़ितों के इलाज के लिए खोले गए छह अस्पताल और नौ डिस्पेंसरी को सरकार एमपी चिकित्सा शिक्षा विभाग में समायोजित करने की रणनीति बना रही है। इस फैसले की सुगबुगाहट से पूर्व गैस पीड़ित संगठनों ने सरकार के खिलाफ चेतावनी जारी कर दी है।
यह करके अफसर कोर्ट के सामने बचने का कर रहे प्रयास
यह जानकारी देते हुए गैस पीड़ित संगठन की नेता रचना ढ़ींगरा (Rachna Dhingra) ने बताया कि डाउ केमिकल्स के मालिक को भारत में लाने का फैसला हमारे कारण हो सका है। हम चाहते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री अमेरिकी दूतावास के जरिए उसे जल्द से जल्द कोर्ट में हाजिर करने के लिए दबाव बनाए। यह प्रकरण सीबीआई के अधीन है जिसके मुखिया प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने पत्रकार वार्ता में बताया कि तत्कालीन गैस राहत मंत्री ने भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पताल और डिस्पेंसरी को समायोजित करने की संक्षेपिका बनाई है। यह संक्षेपिका उन्होंने प्रेस से भी साझा की है। ढ़ींगरा ने बताया कि ऐसा करना न्याय संगत नहीं हैं। क्योंकि इसके निर्माण में राशि केंद्र सरकार की तरफ से लगाई गई है। ऐसा करने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार गैस पीड़ित के खोले गए अस्पताल और डिस्पेंसरी में स्टाफ से लेकर डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कर पा रही है। जिसको लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में गैस पीड़ित संगठनों की तरफ से याचिका लगाई गई थी। इसमें सुनवाई के बाद एमपी सरकार को व्यवस्थाएं सुधारने और भर्ती करने के आदेश दिए थे। इन बातों में नाकाम अफसर अब पिछले दरवाजे के रास्ते समायोजित करके अपना बचाव करना चाह रहे हैं।
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