MP Loan Fraud : मोदी सरकार के ऐलान की आड़ में फर्जीवाड़ा, ऐसे बंट रहे थे “20 लाख करोड़”

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MP Loan Fraud : इंटर स्टेट रैकेट का सायबर सेल ने किया भंड़ाफोड़, मुख्य सरगना समेत छह आरोपी गिरफ्तार

MP Loan Fraud Case
पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के सभागार में गिरफ्तार आरोपी

भोपाल। कोरोना कॉल में लॉक डाउन की वजह से ध्वस्त हुए अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने देश से अपील की थी कि आपदा को अवसर बनाना है। लेकिन, मोदी सरकार के इस बड़े ऐलान में ही फर्जीवाड़ा करने वालों ने अवसर तलाश लिया।जालसाज छह साल से लोगों को लोन दिलाने का झांसा देकर ठगी (MP Loan Fraud) की वारदात कर रहे थे।

यह रैकेट आगे भी लोगों को फंसाता। लेकिन उन्होंने कंपनी कंमाडर को चपत लगाई तो प्रकरण सायबर सेल के पास पहुंच गया। घटना मध्य प्रदेश (MP Cyber Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Cyber Crime News) की है। इसका खुलासा भोपाल सायबर सेल की टीम ने किया है। पुलिस ने इस मामले में आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह (Loan Dilane Ka Jhansa) ने कंपनी कमांडर से ही करीब दो लाख रुपए झांसा देकर ऐंठ लिए थे। ऐसा करने से पहले जालसाज अखबारों में बकायदा विज्ञापन निकालते थे। इस गिरोह का भोपाल पुलिस ने सोमवार शाम खुलासा किया है।

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ऐसे मिला सुराग

गिरोह का खुलासा करते हुए भोपाल रेंज के आईजी एडीजी उपेन्द्र जैन (ADG Puendra Jain) ने बताया कि कंपनी कमांडर कवरसेन नेहरा (Kavarsen Nehra) ने इस मामले की शिकायत की थी। कवरसेन नेहरा (Kavarsen Loan Fraud Case) भोपाल में स्थित सातवीं वाहिनी में कंपनी कमांडर हैं। जालसाजों ने उनसे रजिस्ट्रेशन फीस समेत कई अन्य कागजात भरने के नाम पर करीब एक लाख 81 हजार रुपए ऐंठ लिए थे। जिसकी शिकायत कवरसेन नेहरा ने भोपाल सायबर क्राइम सेल (Bhopal Cyber Crime News) में की थी। इसी शिकायत की जांच के बाद यह आरोपी गिरफ्तार हुए। अधिकांश आरोपी मध्य प्रदेश के श्योपुर (Sheopur News) जिले के रहने वाले हैं।

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यह हुआ बरामद

उपेन्द्र जैन के अनुसार गिरफ्तार आरोपी सुरेश राजपूत पिता ओम प्रकाश राजपूत​, बृजपाल (Brijpal Rajput) पिता ज्ञानचंद्र राजपूत, बृजेश कुमार (Brikesh Kumar Rajput) पिता त्रिलोक चंद्र राजपूत, पंकज कुशवाह (Pankaj Kushwah) पिता जयप्रकाश कुशवाह निवासी गाजीपुर, संजू राजपूत (Sanju Rajput) पिता वंशीलाल राजपूत और प्रिंस कुमार सिंह (Prince Kumar Singh) पिता बृजमोहन सिंह अमनोर बिहार है। आरोपियों के कब्जे से 16 मोबाइल फोन, 8 रजिस्टर लेन—देन वाले, 36 पॉकेट डायरी और कुछ फर्जी पैन, आधार कार्ड (Fake Aadhar Card) जब्त किए गए हैं। आरोपियों ने कवरसेन नेहरा से मिली रकम फर्जी दस्तावेज से खोले खाते में डाले थे।

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ऐसे करते थे वारदात

आईजी भोपाल के अनुसार आरोपी सुरेश राजपूत (Mastermind Suresh Rajput) गिरोह का सरगना है। वह 10वीं तक पढ़ा है। आरोपी समाचार पत्रों में विज्ञापन (Fake Loan Advertisement Case) देते थे। जिसके बाद आने वाले फोन पर वह झांसा (Loan Cheating Case) देकर लोगों को फंसाते थे। अधिकांश लोगों को कृषि और हाउसिंग लोन (Fake Housing Loan Case) के लिए फंसाया गया था। आरोपी शर्तियां लोन दिलाने के नाम पर लोगों से पैन, आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज हासिल कर लेते थे। इसके बाद चूना लगाने के बाद वह फोन बंद कर लेते थे।

जिनके दस्तावेज उनके खाते खोले

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पत्रकारों को गिरोह की जानकारी देते हुए एडीजी उपेन्द्र जैन

आईजी ने दावा किया है कि आरोपी बेहद शातिर है। आरोपियों ने जिन लोगों से दस्तावेज लिए थे। उनके ही नाम पर खाते (Fake Bank Account Case) भी खुलवा लिए थे। उनके ही खातों से रकम भी निकाल लेते थे। इसके लिए वे उनसे बैंक पासबुक और एटीएम को गिरवी रख लेते थे। आईजी ने दावा किया है कि जब्त लेन—देन के रजिस्टर से करीब 600 से अधिक लोगों के नाम और लेन—देन की जानकारी मिली है। इसमें यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश समेत अन्य प्रांतों के लोग हैं।

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नोडल अफसर तैनात

आईजी ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा बहुत व्यापक है। इस मामले की तफ्तीश के लिए नोडल अफसर सौरव पांडे (Saurav Pande) को बनाया गया है। वे दूसरे राज्यों के फरियादी से संपर्क करके फर्जी गिरोह (Sheopur Bank Loan Fraud Case) के संबंध में पूछताछ करेंगे। इधर, दूसरी टीम गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर रही है। तीसरी टीम को आरोपियों के बैंक खातों की जानकारी जुटाने के लिए लगाया गया है। आरोपियों को अदालत में पेश किया जा रहा है। जहां से रिमांड पर लेने के बाद पूछताछ की जाएगी।

पहले नौकरी फिर कमीशन

आईजी ने बताया कि अभी आरोपियों के बैंक रिकॉर्ड लिया जाना बाकी है। जिसके मिलने पर यह पता चल सकेगा कि आखिर आरोपियों ने खाते बैंक में कैसे खुलवाए। उनकी किसी बैंक में किसी अन्य व्यक्ति ने मदद तो नहीं की। यह सारी पड़ताल अभी किया जाना बाकी है। आरोपी सुरेश राजपूत ने पहले लोगों को नौकरी पर रखा था। फिर वह रैकेट से जुड़े लोगों को ग्राहकों को फंसाने के अनुसार कमीशन देने लगा।

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