NEWS IMPACT : क्राइम ब्रांच में तैनात 11 पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, डीआईजी ने किया लाइन अटैच

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Bhopal crime branchफिर विवादों में आने के चलते की गई कार्रवाई, शहर के 26 एएसआई और आरक्षकों के तबादला आदेश जारी

भोपाल। राजधानी की कमाई ब्रांच (Crime branch) पर आखिरकार डीआईजी सिटी इरशाद वली ने डंडा चला ही दिया। यहां जमे और विवादों से घिरे एएसआई समेत 11 आरक्षकों को लाइन अटैच कर दिया गया। इन कर्मचारियों के खिलाफ रंगदारी, अड़ीबाजी या जांच बदलने जैसे संगीन आरोपों को लेकर शिकायतें हुई थी। इस वसूली और रंगदारी को लेकर एक सप्ताह पहले ही द क्राइम इन्फो (thecrimeinfo.com) ने खुलासा (News impact) किया था। इस खुलासे में चार बड़े मामले की जानकारी देते हुए कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। डीआईजी सिटी इरशाद वली के आदेश को उसी समाचार से जोड़कर देखा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार गुरुवार को सोशल मीडिया में एक गोसिप चला था। इसमें शैलेन्द्र विश्वकर्मा नाम के व्यक्ति की तरफ से खुलासा करते हुए बताया गया था कि उसने दो किलो सोना पिछली बार पकड़ाने के दौरान दे दिया था। इसमें चार लोगों की संदिग्ध भूमिका पता चल रही थी। यह जानकारी शैलेन्द्र विश्वकर्मा स्वयं अफसरों को भी देना चाहता है। इस तरह के संदेश प्रसारित होने के बाद दोपहर में एक (News impact) तबादला आदेश जारी हो गया। इस तबादला आदेश में क्राइम ब्रांच के 11 अफसर और कर्मचारियों के नाम थे। इसमें एएसआई पप्पू कटियार, शेष नाथ सिंह और विजय सिंह कर्चुली, हवलदार अरूण मलिक, उमेश जाट और सर्जन सिंह, आरक्षक दिनेश मिश्रा, सुरेश शर्मा, अजय शर्मा, लोकेन्द्र सोलंकी और गिरिजा शंकर के नाम हैं। इन सभी का पुलिस लाइन में (News impact) तबादला कर दिया गया है। इसके अलावा डीआईजी सिटी इरशाद वली ने नजीराबाद से एएसआई कोमल प्रसाद राय को एमपी नगर, छोला मंदिर थाने से दिनेश कुमार शर्मा को थाना अशोका गार्डन भेजा है।

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विवादों में पहले भी रही है क्राइम ब्रांच

क्राइम ब्रांच (Bhopal crime branch) ने अगस्त, 2017 में एक ऑन लाइन चलने वाला सट्टा पकड़ा था। इसके आरोपियों में पुलिसकर्मी नीलम विश्वकर्मा का रिश्तेदार भी फंस गया। उसने क्राइम ब्रांच के अफसरों से संपर्क साधा। उससे भेंट चढ़ाने की मांग की गई। विभागीय होने के बावजूद कोई रियायत न देते हुए मोटी रकम मांगी गई। इस बात की रिकॉर्डिंग कर ली गई। नीलम उस वक्त ईओडब्ल्यू में तैनात थी। मामला काफी दिन तक दबा रहा। इसी बीच रिश्वत मांगने का ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। यह सुनने और भोपाल पुलिस की फजीहत होने के बाद टीआई नीरज वर्मा समेत अन्य को लाइन हाजिर कर दिया गया।

इसी तरह क्राइम ब्रांच ने मार्च, 2017 में सर्वधर्म पुलिया के नजदीक एक स्कार्पियो पकड़ी थी। इसमें लगभग तेरह किलो गांजा बरामद हुआ था। इस मामले में यावेंद्र प्रताप सिंह और चंद्र प्रकाश सिंह दांगी को गिरफ्तार किया गया था। आरोपी यावेंद्र प्रदेश के कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री बिसाहू लाल का बेटा है। क्राइम ब्रांच (Bhopal crime branch) ने इस मामले में तोड़ करने के लिए एक बड़ा षडयंत्र रचा। जिस स्कार्पियो को जब्त किया गया था उसका नंबर क्राइम ब्रांच में बदला गया। वह इसलिए क्योंकि वाहन एक केन्द्रीय कर्मचारी का था जिसमें वह भी फंस रहा था। इस काम के बदले में छह लाख रुपए दिए गए थे। मामला मीडिया में भी आया लेकिन क्राइम ब्रांच देखने वाले जिम्मेदार अफसरों ने इंजन या फिर चेचिस नंबर देखकर भी वास्तविक वाहन स्वामी का पता ही नहीं लगाया।

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अधिकारों का किया जाता है गलत इस्तेमाल

क्राइम ब्रांच अपने एक अधिकार का जमकर दुरूपयोग करती है। उसे शहर में कहीं भी दबिश देने का अधिकार है। वह किसी थाने को सूचना भी नहीं देती। इस कारण कोई अफसर सवाल-जवाब भी नहीं करता। इसका ही फायदा उठाकर क्राइम ब्रांच के कर्मचारियों ने एक जुए के अड्डे पर दबिश देकर उसे लूट लिया था। कर्मचारियों (Bhopal crime branch) की यह करतूत अफसरों तक पहुंच गई। जिसके बाद गुपचुप एक जांच कमेटी डीएसपी क्राइम की अगुवाई में बनाई गई। रिपोर्ट मिलने के बाद डीआईजी सिटी ने पांच पुलिस कर्मचारियों को लाइन हाजिर कर दिया था। घटना को छुपाने के लिए अफसरों ने तर्क दिया कि यह कर्मचारी लंबे अरसे से क्राइम ब्रांच में जमे हुए थे। इसलिए प्रशासनिक कारणों के चलते हटाया गया है।

ढाबा मालिक ने भी की थी शिकायत

ढाबा मालिक मुकेश पठारिया खजूरी सड़क में पंजाब ढाबा नाम से कारोबार चलाता है। मामले की शिकायत 4 जून, 2019 को आईजी भोपाल जयदीप प्रसाद से की गई। व्यापारी ने बताया कि एक दिन पहले रात आठ बजे बोलेरो से सिविल ड्रेस में 10 लोग सादी वर्दी में थे। वे लोग मेरे कर्मचारी राहुल नागर को पकड़ ले गए। ग्राहकों को भगा दिया गया। मुझे छह पेटी शराब के साथ झूठे केस (Bhopal crime branch) में फंसाने की धमकी दी गई। मुझसे जो बातें कर रहा था वह महेश धाकड़ नाम बता रहा था। प्रकरण से बदलने के एवज में मुझसे पहले दो लाख रुपए मांगे। फिर 60 हजार रुपए लिए गए।

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