Bhopal Court News: दो सौ से अधिक किसानों से 16 करोड रूपए की जालसाजी करने के मामले में अदालत ने सुनाया फैसला
भोपाल। रमाकांत विजयवर्गीय को भोपाल जिला अदालत (Bhopal Court News) ने दोषी माना है। उसके खिलाफ सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने फैसला सुनाया। इस मामले में भोपाल सिटी स्थित कोहेफिजा थाने में 11 साल पहले मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें पिछले साल रमाकांत विजयवर्गीय की दोबारा गिरफ्तारी हुई थी। दरअसल, वह प्रकरण दर्ज होने के बाद फरार चल रहा था। जिसकी लंबे समय से भोपाल पुलिस तलाश कर रही थी। रमाकांत विजयवर्गीय के खिलाफ आधा दर्जन से अधिक जालसाजी के मुकदमे दर्ज हैं।
इनके साथ किया फर्जीवाड़ा
भोपाल जिला अदालत से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कोहेफिजा में दर्ज 337/10 में आरोपी रमाकांत विजयवर्गीय पिता स्वर्गीय बापूलाल विजयवर्गीय को धारा 420 में 7 वर्ष के सश्रम कारावास और 10000 हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 467 में आजीवन कारावास और 20000 हजार रुपए, धारा 468 में 7 वर्ष सश्रम कारावास और 10000 रूपए अर्थदण्ड और धारा 471 में 2 वर्ष सश्रम कारावास और 10000 हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। अर्थदण्ड की राशि जमा न करने पर सभी धाराओं में 6-6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास से दण्डित करने के आदेश हुए हैं। रमाकांत विजयवर्गीय (Ramakant Vijayvargiya) के खिलाफ दलीलें निसार अहमद मंसूरी ने पेश की थी। दोषी करार दिए गए रमाकांत विजयवर्गीय ने ग्राम लाउखेडी स्थित पंचवटी कॉलोनी में स्थित 25 एकड कृषि भूमि को भूस्वामी महाराज सिंह, दिलीप सिंह, राम बाई व अन्य किसानों से 20 लाख रूपये प्रति एकड के हिसाब से उक्त भूमि पर विकास कार्य करने हेतु विक्रय अनुबंध किया।
ऐसे किया था फर्जीवाड़ा
उक्त अनुबंध 6 वर्ष का हुआ था। जिसे उसे संपूर्ण कृषि भूमि के पैसे 6 माह के अन्तराल में देने थे। रमाकांत विजयवर्गीय ने आधी जमीन कंपनी डीआईएल के नाम से अनुबंध किया और आधी जमीन श्रीराम बिल्डकॉन्स के नाम से अनुबंध पत्र बनाया। आरोपी ने श्रीराम बिल्डकॉन्स में अपने पार्टनर से भी छल किया। जिसके कारण डीआईएल कंपनी से अपना अनुबंध-पत्र निरस्त कर दिया था। इसी तारतम्य में डीआईएल फेस-3 की जमीन के संबंध में फर्जी लेआउट प्लान फर्जी दस्तावेज बनाकर उस जमीन पर विकास कार्य नहीं (Bhopal Court News) करवाते हुऐ किसानों की अनुमति के बिना उक्त प्लाटों को 250 उपभोक्ताओं को बेचा और उनसे करोडों रूपये ऐंठ लिए। आरोपी ने प्लाट के आवंटियों को न तो प्लाट पर कब्जा दिया और न रजिस्ट्री कराई। अभियुक्त रमाकांत विजयवर्गीय विदेश भागने की फिराक में था।
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