Bhopal Brutal Murder: ढ़ाई महीने बाद एफआईआर में चूक के साथ मामला दर्ज, परिवार को नहीं हो रहा यकीन
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के देहात क्षेत्र में स्थित गुनगा थाने में हत्या (Bhopal Brutal Murder) का एक मुकदमा दर्ज हुआ है। यह हत्या आठ साल के आदिवासी बच्चे की हुई थी। घटना ढाई महीने पहले की है। बच्चे की लाश पानी की टंकी के भीतर (Madhya Pradesh Murder) मिली थी। हालांकि परिवार पुलिस की हत्या के मुकदमे पर अब भी ऐतबार नहीं कर पा रहा है। लेकिन, पुलिस का कहना है कि बच्चे की लाश में ही हत्या की एफआईआर का महत्वपूर्ण सुराग (Bhopal Crime News) मिला है। पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज किया है। एफआईआर में एक तकनीकी चूक की गई है। इसका फायदा आरोपी अदालत में उठा सकता है। पुलिस का दावा है कि अभी आरोपी अज्ञात है।
पिता ने दी थी मौत की सूचना
गुनगा थाना क्षेत्र स्थित ग्राम रतुआ में 15 सितंबर, 2020 की सुबह नौ बजे टंकी में लाश मिली थी। लाश बच्चे की थी जिसकी खबर उसके पिता ने ही पुलिस को दी थी। सूचना के आधार पर दोपहर लगभग एक बजे मर्ग कायम (Bhopal Minor Boy Death Case) किया गया था। शव पीएम के लिए हमीदिया अस्पताल भेजा गया था। परिवार खदान में पत्थर तोड़ने का काम करता है। गरीब परिवार से जुड़ा यह मामला अब चौंका देने वाला बन गया है। इसलिए मामले की जांच थाने के प्रभारी सुनील भदौरिया (TI Sunil Bhadouriya) को सौंपी गई है। इससे पहले जांच हवलदार रईस खान (HC Rais Khan) के पास थी। घटना वाले दिन आठ साल का बच्चा घर से शौच जाने का बोलकर निकला था। उसके बाद वह वापस नहीं आया था।
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बच्चे के शरीर में यह मिला राज
डॉक्टर ने बच्चे का पीएम किया। पीएम के दौरान लाश में पुलिस को मानव शुक्राणु (वीर्य) मिले। इसकी जांच की गई तो यह किसी पुरुष का था जिसकी उम्र का पता चला। रिपोर्ट बनाकर पुलिस को सौंपी गई। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने धारा 302/201/377/5/6 (हत्या, सबूत मिटाने, अप्राकृतिक संंबंध और पॉक्सो एक्ट) का मुकमा दर्ज किया। पुलिस ने बताया कि आरोपी अभी अज्ञात है। तफ्तीश की जा रही है जिसके लिए परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर संदेही का डीएनए भी किया जा सकता है।
यह चूक भारी न पड़ जाए
पुलिस सूत्रों के अनुसार जिस बच्चे की लाश टंकी में मिली थी वह तीन दिन से लापता था। पुलिस का दावा है कि परिवार ने गुमशुदगी (Bhopal Missing Boy Death Case) दर्ज नहीं कराई थी। लाश जब सड़ी हालत में मिली तो मामला पुलिस के पास पहुंचा था। इस बात को भी पुलिस शक के दायरे में ले रही है। गुनगा थाना पुलिस ने एफआईआर में आदिवासी शब्द का इस्तेमाल किया है। लेकिन, आदिवासी होने पर वह धारा नहीं लगाई है। इस संबंध में थाना प्रभारी सुनील भदौरिया (TI Sunil Bhadouriya) का कहना है कि आरोपी अभी अज्ञात है। इसलिए हमें उसकी जाति के बारे में पता नहीं है।
इसको एफआईआर में चूक कहा जा सकता है। आखिर पुलिस को यह कैसे मालूम है कि जिस व्यक्ति ने हत्या की है वह आदिवासी ही है। अगर, आरोपी रिश्तेदार अथवा करीबी निकल आया तो ऐसी दशा में पुलिस का जवाब अदालत में क्या होगा। लेकिन, मानव वीर्य से सजा मिलना आरोपी को संभव है।
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