MP Scam News: शिवपुरी में स्थित तीन सरकारी बैंकों में हुए एक अरब घोटाले के कारण ग्रामीणों ने अपनी जमा पूंजी निकालने लगाए सैंकड़ों आवेदन, बैंक में मौजूदा खजाना खाली होने के कारण नहीं हो पा रहा भुगतान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, सरकार के खजाने से राशि निकालकर बैंक को देने की रखी मांग
भोपाल। मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति से किसी से छुपी नहीं हैं। सरकार दो साल के भीतर में 30 बार कर्ज ले चुकी है। ताजा कर्ज इसी महीने सरकार ने पांच हजार करोड़ रुपए का लिया है। इसे मिलाकर अब तक सरकार 100 करोड़ रुपए का कर्ज उठा चुकी है। इधर, प्रदेश के सरकारी तंत्र (MP Scam News) में फैले भ्रष्टाचार पर नकेल नहीं लग पा रही है। ताजा मामला सौरभ शर्मा को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बना हुआ है। इसमें कार्पोरेट जगत, नेताओं और ब्यूरोक्रेट का गठबंधन अभी उजागर होना बाकी है। इसी भ्रष्टाचार की दीमक की भेंट शिवपुरी में स्थित तीन सरकारी बैंक चढ़ गए हैं। जिस कारण शिवपुरी से सटे दूसरे जिलों में भी उसका असर फैलने लगा हैं।
तीन बार कलेक्टर राज्य सरकार को लिख चुके हैं पत्र
शिवपुरी (Shivpuri) के अलग—अलग तीन सरकारी बैंकों के घोटालों को लेकर सरकार ने मुकदमे दर्ज करा दिए हैं। इन घपलों के कारण कोलारस, बैराड़ और करेरा की सरकारी बैंकों में अफरातफरी का माहौल हैं। सर्वाधिक 80 करोड़, 56 लाख रुपए का गबन कोलारस सरकारी बैंक (Kolaras Government Bank) में हुआ है। करेरा सरकारी बैंक में तीन करोड़ 82 लाख और बैराड में पांच लाख रुपए का गबन हुआ है। इन घोटालों के कारण बैंक के ग्राहकों में संशय का भाव पैदा हो गया है। जिस कारण यहां जमा पूंजी निकालने के लिए मांग 20 गुणा बढ़ गई है। इसी मांग के चलते वहां काफी तनाव की स्थिति बन गई है। बैंकों में निर्भरता ग्रामीण अंचलों में ज्यादा है। खाद—बीज खरीदने से लेकर तमाम अन्य काम किए जाते हैं। इस संबंध में एक रिपोर्ट शिवपुरी कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी (DM Ravindra Kumar Chaudhry) ने भी दी है। वहां बनी परिस्थितियों के चलते जून, 2024 से लेकर अब तक तीन बार पत्राचार कलेक्टर कर चुके हैं। तीनों बैंकों में लगभग 99 हजार से अधिक लोगों के खाते हैं। जिनकी जमा राशि करीब 295 करोड़ रुपए हैं। इसमें 70 करोड़ रुपए अलग—अलग योजनाओं में किसानों को जारी की गई योजनाओं से जुड़ी है। बैंकों में करीब 271 करोड़ रुपए का कर्ज भी बाकी है। इतना ही नहीं बैंकों को मार्कफेड को 20 करोड़ रुपए का भुगतान करना बाकी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने सीआरआर मापदंड को लेकर बैंक पर करीब दो करोड़ रुपए का भी जुर्माना लगाया है।
मंत्री के वायरल पत्र के बाद राजनीति होना तय
आलम यह है कि बैंकिंग लायसेंस निरस्त होने की अवस्था आ चुकी है। हालांकि करीब साढ़े चौदह करोड़ जमा करके उसे फिलहाल टाल दिया गया है। वहां बैंक की समस्याओं के समाधान के लिए भारी पैसों की आवश्यकता है। बैंक ने सरकार से 70 करोड़ की राशि भी मांगी है। इस मदद के लिए केंद्र में संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Minister Jyotiraditya Scindia) ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव (CM Mohan Yadav) को भी पत्र लिखा है। यह सारी बातें सिलसिलेवार पत्र में बताई भी गई है। यह पत्र गुरुवार को सोशल मीडिया में वायरल हो गया। राज्य सरकार कर्ज के बोझ तले हैं। जिस कारण प्रदेश के प्रत्येक नागरिक पर 55 हजार रुपए का कर्ज है। यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विधानसभा भवन में जब यह मुद्दा उठा था तो सरकार ने कहा था कि विकास के लिए कर्ज लेना कोई गलत बात नहीं हैं। लेकिन, मैदानी हकीकत यह है कि भ्रष्टाचार के दीमक के कारण सरकारी की माली हालत रसातल में जा रही है। इस ताजा पत्र के सोशल मीडिया में आने के बाद विपक्ष को एक बार फिर सरकार को घेरने का मौेका मिल गया है। इसलिए साफ है कि विपक्ष इस विषय को मुद्दा बनाकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगी। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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