एजीएम की शिकायत पर सीबीआई ने दर्ज किया भ्रष्टाचार, जालसाजी, गबन समेत अन्य धाराओं में मामला
जबलपुर। बेहद सुनियोजित (Loan Fraud) जालसाजी का यह मामला बैंक ऑफ बड़ौदा का है। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब जबलपुर स्थित एजीएम ने दस्तावेजों की जांच की। मामला 50 से अधिक बैंक लोन से जुड़ा हैं। इस साजिश में मुख्य कर्ता-धर्ता बैंक का ही तत्कालीन मैनेजर हैं। उसने एक आभूषण कारोबारी और उसकी मां के साथ मिलकर बैंक को करीब पांच करोड़ रुपए का चूना लगा दिया।
सीबीआई से मिली जानकारी के अनुसार (Loan Fraud) इस मामले की शिकायत बैंक ऑफ बड़ौदा के एजीएम बाबूलाल राधाकृष्ण वर्मा ने की थी। यह शिकायत जून, 2019 में सीबीआई से की गई थी। एजीएम ने 2018 में नरसिंहपुर स्थित करेली शाखा से जारी किए गए 50 से अधिक बैंक लोन के दस्तावेजों की जांच की थी। इस जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया था। मामले को गंभीर और आपराधिक मानते हुए एजीएम ने (Loan Fraud) पूरे घोटाले की प्राथमिक रिपोर्ट बनाकर जबलपुर सीबीआई को भेज दिया। रिपोर्ट को आधार बनाकर जबलपुर सीबीआई ने नरसिंहपुर स्थित लुनावत ज्वैलर्स के मालिक हर्षित लुनावत, उसकी मां अर्चना लुनावत, बैंक के तत्कालीन मैनेजर अन्वेष मिश्र समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी होना अभी बाकी है।
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ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
जांच में यह सामने आया है कि (Loan Fraud) घोटाला लगभग 489 लाख रुपए से अधिक का है। यह रकम जारी करने के पहले जो नियम-कानून है उसका पालन बैंक मैनेजर अन्वेष मिश्र ने नहीं किया। एजीएम की रिपोर्ट के अनुसार यह षडयंत्र बैंक मैनेजर ने ही रचा। जिसका फायदा हर्षित, उसकी मां अर्चना अन्य रिश्तेदारों और नौकरों ने भी उठाया। लोन बांटने से पहले बैंक मैनेजर ने किसी तरह की संपत्ति बंधक ही नहीं रखी। गड़बड़ी का पता तब मालूम हुआ जब 32 लोन की जांच की गई। इसमें से (Loan Fraud) 7 लोगों के खाते में एक करोड़ 89 लाख रुपए बांटे गए। यह रकम बांटने से पहले इसका भौतिक सत्यापन ही नहीं किया गया।
जाली हस्ताक्षर किए गए
एजीएम ने (Loan Fraud) अपनी रिपोर्ट में सीबीआई को बताया है कि 32 के अलावा 15 अन्य खातों में साढ़े 3 करोड़ रुपए के लोन मंजूर किए गए। यह भी हर्षित उसके दोस्त और रिश्तेदार थे। इन लोन को जारी करने से पहले बैंक ने जिन दस्तावेजों को रिकॉर्ड में दर्शाया वह लोन मिलने के बाद उसका स्वरूप ऐसा नहीं था। इसी तरह 22 खाता धारकों को 5 करोड़ 30 लाख रुपए से अधिक की रकम बांटी गई है। इस लोन को बांटने के लिए कोई भी दस्तावेज या संपत्ति बंधक नहीं रखी गई। ऐसे 12 अन्य खाते 1 करोड़ 38 लाख रुपए से अधिक की रकम जारी की गई। लोन (Loan Fraud) लेने वालों के हस्ताक्षर जाली पाए गए। इनमें बैंक मैंनेजर ने रिजर्व बैंक के सिद्धातों का पालन ही नहीं किया। ज्यादातर खातों में जमा की गई रकम बाद में हर्षित लुनावत के खातों में ट्रांसफर हुई।
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यह नाम जो जाली लगते हैं
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में तीन नाम प्रमुखता से दर्शाए हैं उसमें हर्षित लुनावत, उसकी मां अर्चना लुनावत और तत्कालीन बैंक मैनेजर अन्वेष मिश्र हैं। इसके अलावा अन्य है जिनके नाम एजीएम ने सीबीआई को उपलब्ध कराए हैं। सीबीआई को लगता है कि (Loan Fraud) यह बोगस खाते हैं जिनके खाता धारक भी बोगस ही हैं। हालांकि सीबीआई पड़ताल करके उन्हें भी आरोपी बनाएगी। जिन लोगों पर सीबीआई को संदेह हैं उसमें अभिषेक कौरव है। उसके खाते में 5 लाख रुपए जमा कराए गए। यह रकम मई, 2018 में जमा कराई गई थी। अभिषेक कुमार नेमा के खाते में 32 लाख रुपए से अधिक की रकम जून, 2018 को जमा कराई गई। इसी तरह (Loan Fraud) अमन लुनावत, भागीरथ कौरव, दीपांशु पाठक, धर्मेन्द्र कुमार उपाध्याय, गजेन्द्र, जय ओसवाल, मनदीप सिंह चावला, मुकेश कुमार, नीलेश साहू, पूजा लुनावत, रोहित सिंह जाट, सचिन प्रजापति, संजय सिंह राजपूत, सौरभ गुप्ता, शफीक खान, शाहबाज खान, शील कुमार पटेल और तेजश्री अभय कुमार गुगलिया के भी नाम शामिल हैं।
गोल्ड लोन में भी फर्जीवाड़ा
बैंक मैनेजर ने (Loan Fraud) लोन बांटने में ही नहीं गोल्ड लोन स्कीम में भी जमकर बंदरबाट की। आरोपी अन्वेष मिश्र ने 22 गोल्ड लोन खातों में दो करोड़ रुपए से अधिक रकम डाली। इसके लिए उसने जाली बंधक संपत्ति रखी। यह रकम जारी करते हुए बैंक मैनेजर ने ही सत्यापित किया। बैंक मैनेजर की तरफ से सुरेश कुमार सोनी ने इसमें सहमति भी दी। यह सभी 22 खाते अर्चना लुनावत के रिश्तेदारों, दोस्त या नौकरों के हैं।