MP Scholarship Scam: कैग रिपोर्ट ने पिछले साल पकड़ा था घोटाला, अब एफआईआर

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MP Scholarship Scam: अनुसूचित जाति और जनजातीय कार्य विभाग के क्लर्क और चपरासी ने अपने रिश्तेदारों के खाते में डाले साढ़े चालीस लाख रूपए, तीन साल से चल रही थी धांधली, कलेक्टर के प्रतिवेदन पर पांच महीने बाद थाना प्रभारी ने लिया एफआईआर का फैसला

MP Scholarship Scam
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भोपाल। एमपी में दलितों के उत्थान के लिए बनी योजना में किए जा रहे भ्रष्टाचार पर आखिरकार प्रकरण दर्ज कर लिया गया। यह गड़बड़ी कैग की रिपोर्ट में सामने आई थी। मामला भोपाल के अनुसूचित जाति और जनजातीय कार्य विभाग  (MP Tribal Department) की तरफ से चल रही स्कीम से जुड़ा है। हालांकि इस मामले में विभाग ने भ्रष्टाचार ((MP Scholarship Scam)) का ठीकरा सिर्फ बाबू और चपरासी पर फोड़ दिया। कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने करीब दो दर्जन अपात्रों के खाते में करीब साढ़े चालीस लाख रूपए का ट्रांसफर किया। जिनके खातों में रकम पहुंची वह उनके रिश्तेदार थे। हालांकि निगरानी करने वाले अफसरों को जांच रिपोर्ट में क्लीनचिट दे दी गई है। अब पुलिस इस मामले की नए सिरे से जांच करेगी।

सात साल पहले कर चुके थे फर्जीवाड़ा

कोहेफिजा (Kohefiza) थाना पुलिस के अनुसार 14 जून की शाम लगभग साढ़े छह बजे 351/23 धारा 420/406/409 (जालसाजी, अमानत में खयानत और लोकसेवक की तरफ से किया गया गबन का मुकदमा) दर्ज किया गया है। जिसमें आरोपी सहायक ग्रेड—3 खड़क बहादुर सिंह (Khadak Bahadur Singh) , भृत्य विनोद मांझी (Vinod Manjhi) और मनोज मांझी (Manoj Manjhi) को बनाया गया है। शिकायत अवनीश चतुर्वेदी (Avnish Chaturvedi) की तरफ से दर्ज कराई गई है। इस संबंध में प्रतिवेदन पुलिस को जनवरी, 2023 में दिया गया था। प्रतिवेदन कलेक्टर कार्यालय के अधीनस्थ अनुसूचित जाति एवं जनजातीय कार्य विभाग की तरफ से बनाया गया था। मामला अनुसूचित जाति एवं जनजाति समाज के युवाओं के लिए दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के घोटाले से जुड़ा था। यह फर्जीवाड़ा महालेखाकार कार्यालय ने 2017 से 2020 के बीच किए गए आडिट के दौरान पकड़ में आया था। जालसाज कर्मचारी यह फर्जीवाड़ा 2014 से कर रहे थे। हालांकि विभागीय जांच में यह गड़बड़ी साढ़े ग्यारह लाख रूपए से अधिक की सामने आ रही है।

इन रिश्तेदारों पर भी गिर सकती है गाज

पुलिस के अनुसार पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना घोटाले में हितग्राहियों के अलावा कई अन्य अपात्रों को भुगतान किया गया। ऐसे 22 खाते कैग ने चिन्हित किए थे। जिसकी रिपोर्ट भोपाल कलेक्टर को सौंपी भी गई थी। उसी रिपोर्ट की जांच के बाद प्रतिवेदन (MP Scholarship Scam) बनाया गया। आरोपी कर्मचारियों ने 40 लाख 51 हजार रूपए का फर्जीवाड़ा किया। इसके अलावा कार्यालय ने जब जांच कमेटी बैठाई तब तक तीनों कर्मचारी करीब पांच लाख 84 हजार रूपए का नया घोटाला कर चुके थे। ऐसा करने के लिए आरोपियों ने फर्जी आईडी बनाई थी। उनकी जानकारी भी पुलिस को मुहैया कराई गई है। इस मामले में पैसा लेने वाले कर्मचारियों के रिश्तेदारों को भी पुलिस आरोपी बयानों के आधार पर बनाएगी। इसमें दयाराम, जितेंद्र, मीना, प्रमिला, फूलवती, सुरभि, रमा, मनोज कुमार, रीना मालवीय, राजकुमार, लता परिहार, संतोष, गिरजेश मेहर, राम सिंह, विनोद कुमार, मधु, पुष्पा, बाबूलाल और रचना का नाम भी सामने आया है। यह नाम अधिकारियों से भुगतान की अनुमति लेने के बाद भुगतान के लिए बाद में जोड़े जाते थे।
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