Bhopal News: भाजपा के विधायक पुलिस की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में आधा घंटा देरी से पहुंचे, वहां भी राजनीतिक बयान देकर पुलिस के तटस्थ आयोजन को पार्टी का बना दिया
भोपाल। भारतीय न्याय संहिता 01 जुलाई से शुरु हो गई है। इसको लेकर भोपाल (Bhopal News) शहर में जागरुकता कार्यक्रम जारी है। इसी कार्यक्रम के दौरान भोपाल दक्षिण पश्चिम से भाजपा विधायक भगवान दास सबनानी को आमंत्रित किया गया था। यह आयोजन टीटी नगर थाना पुलिस की तरफ से गुजराती भवन में आयोजित किया गया था। जिसमें विधायक आधा घंटा देरी से पहुंचे। उन्होंने यहां पर पूरी तरह से राजनीतिक मंच जैसा बयान देकर भोपाल पुलिस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। मंच में भोपाल जोन—1 की डीसीपी प्रियंका शुक्ला समेत अन्य अधिकारी मंच पर बैठे हुए थे।
जब्ती और तलाशी के वक्त वीडियो बनाना नए कानून में अनिवार्य किया गया
कार्यक्रम की शुरुआत में टीटी नगर थाना प्रभारी मनोज पटवा (TI Manoj Patwa) ने बताया कि पहले 511 धाराएं हुआ करती थी। अब भारतीय न्याय संहिता में 358 रह गई है। उन्होंने जालसाजी और हत्या जैसे मामले की धाराएं बदलने को लेकर जानकारी दी। कार्यक्रम के अगले चरण में एसीपी टीटी नगर संभाग चंद्रशेखर पांडे (ACP Chandrashekhar Pandey) ने शायरी से शुरुआत करते हुए बोले ” कैसी मशाल लेकर चले थे आप, जो रोशनी थी वह भी सलामत नहीं रही….हिम्मत से कहो! बुरा मानते हैं, तो अब डर—डर के कहने की आदत नहीं रही”। एसीपी ने नए कानूनों में ई—एफआईआर की समय सीमा और समन जारी करने को लेकर बातें बताई। एसीपी ने बताया कि नए कानूनों में पुलिस विभाग से जुड़ी एजेंसियां जैसे डॉक्टर, न्यायालय से लेकर सभी अंगों को समय सीमा में कार्य करने के लिए कहा है। इसके अलावा पीड़ित को बयान देने के लिए अपने स्थान पर बुला भी सकता है। वहीं जांच को चौदह दिन के भीतर में निपटाने के लिए कहा गया है। उन्होंने अपना संबोधन शायराना अंदाज में ही खत्म किया। कार्यक्रम में एडीसीपी जोन—1 रश्मि अग्रवाल दुबे (ADCP Rashmi Agrawal Dubey) ने कहा कि अब दंड की जगह न्याय वाला यह कानून है। जनता या पीड़ित को प्रकरण से अवगत कराने का आदेश नए कानून में हैं। यदि किसी भी व्यक्ति की चार्जशीट जमा करने से लेकर समय सीमा में उसे अदालत में सौंपने के लिए कानून में प्रावधान बने हैं। महिला हिंसा और बालकों के संरक्षण के तहत कानून में नए बदलाव किए गए हैं। जब्ती और तलाशी के लिए वीडियोग्राफी थाना पुलिस को नए कानून में अनिवार्य कर दिया गया है।
पीड़ित ने विधायक के सामने थाना पुलिस की पोल खोल दी
डीसीपी जोन—1 प्रियंका शुक्ला (DCP Priyanka Shukla) ने बताया कि यह कानून सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है। नए कानून में 35 ऐसी धाराएं जिसको समय सीमा पर लाया गया है। केस डायरी कोर्ट में दाखिल करने से लेकर जांच की समय सीमा तय की गई है। ऐसे में आम नागरिकों को कानून में देरी के कारण होने वाली असुविधा से निजात मिल जाएगी। कार्यक्रम के अंत में भाजपा विधायक भगवान दास सबनानी (MLA Bhagwan Das Sabnani) ने कहा कि हर व्यक्ति नए कानून (Bhopal News) को जानना चाहता है। इस बात को लेकर पार्लियामेंट भवन में चल रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते थे कि कानून ऐसा हो कि उससे जनता को न्याय जल्द मिल सके। प्रधानमंत्री की मंशा के अनुसार गृहमंत्री अमित शाह ने वह कर दिखाया। उन्होंने कहा कि संगठित तरीके से बच्चों से अपराध कराया जाता है। पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर में यह ज्यादा है। वहां छोटे—छोटे बच्चों से अपराध कराया जाता है। उसको रोकने का काम अब शुरु हुआ है। अब संगठित अपराध की श्रेणी में लाकर उसको भी आरोपी बनाने का प्रावधान किया गया है। आगे उन्होंने कहा कि कई अनुपयोगी धाराओं को खत्म करके मौजूदा चुनौतियों के अनुसार बनाया गया है। पंजाब का वातावरण लोग खराब कराना चाहते हैं। कुछ लोग लंदन और कनाड़ा में बैठकर पंजाब में अपराध करा रहे हैं। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा दुनिया के किसी भी कोने में वह रहे लेकिन वह भी अपराधी होगा। उल्लेखनीय है कि भाजपा विधायक ने जिन तीन राज्यों का उदाहरण दिया वहां भाजपा की सरकार नहीं हैं। लेकिन, भाजपा विधायक मध्यप्रदेश के कानून व्यवस्था को लेकर कोई भी बातचीत नहीं कर सके।
भाजपा विधायक के सामने पहले ही सवाल पर दाएं—बाएं होने लगे अफसर
भाजपा विधायक भगवान दास सबनानी ने देरी को लेकर किसी तरह की बातचीत नहीं बोली। इसके बाद नए कानूनों को लेकर जनता से सवाल बुलाए गए। जिसमें पहला सवाल हेमलता गुर्जर ने दाग दिया। उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले मेरे घर में चोरी हुई थी। उस वक्त मैं अस्पताल में भर्ती थी। आज तक उस मामले का कोई खुलासा नहीं किया गया। उस वक्त सबनानी मंच पर ही मौजूद थे। यह देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने कहा कि नए कानून को लेकर ही यहां चर्चा की जाए। यदि कोई शिकायत है तो वह कार्यालय में उपस्थित होकर चर्चा कर सकता है। वहीं सीआरपीसी की धारा 155 को लेकर द क्राइम इंफो की तरफ से सवाल पूछा गया। प्रति उत्तर में एसीपी ने कहा कि अब वह भारतीय न्याय संहिता धारा 174 हो गई है। इसे पहले पुलिस के अहस्तक्षेप योग्य अपराध माना जाता था। ऐसा करके कई एफआईआर को पुलिस दबा देती थी। लेकिन, एसीपी ने बताया कि अब एनसीआर काटना आसान नहीं होगा। क्योंकि थाना पुलिस को न्यायालय के समक्ष जाकर ऐसा करने का कारण बताना होगा। जिसकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी।
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