Finger Print News: लाश ने अपना नाम-पता बताया, खोजने वाले अफसर को मिला पुरस्कार

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Finger Print News: महाराष्ट्र के एक सनसनीखेज कांड के खुलासे के बाद अदालत से मिली सजा ने छीन लिया पहले पायदान हासिल करने का अवसर, जानिए पुलिस की कहानी

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जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा को घटनास्थल की जानकारी देते हुए फिंगर प्रिंट प्रभारी अखिलेश चौकसे- फाईल फोटो

भोपाल। आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन ऐसा मध्यप्रदेश में हुआ है। एक ऐसी लाश पुलिस को मिली थी जिसके पास पहचान से संबंधित कुछ नहीं था। हालांकि पुलिस प्रशिक्षण के दौरान बताए गए एक तरीके को आजमाया गया। जिसके बाद वह मामला (Finger Print News) सनसनीखेज हत्याकांड में तब्दील हो गया। इस खुलासे पर दिल्ली दरबार गदगद हुआ। इस बार मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय को बहुत गर्व भी हुआ। उसे मायूसी तब लगी जब महाराष्ट्र पुलिस के उसी तकनीक पर अपनाए गए फाॅर्मूले को पहले स्थान के लिए चुन लिया गया। फर्क इतना था कि महाराष्ट्र वाली घटना में पुलिस की मदद से दोषियों को फांसी की सजा मिली थी। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की तरफ से आयोजित दो दिवसीय 23वीं ऑल इंडिया फिंगर प्रिंट डायरेक्टर मीट आयोजन की। इस प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश फिंगर प्रिंट को सिवनी के एक हत्याकांड को सुलझाने पर दूसरा ईनाम मिला है।

यह है पूरा मामला

पुलिस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पुरस्कार स्मार्ट यूजेस ऑफ फिंगर प्रिंट कैटेगरी में मिला है। यह घटना बेहद पिछड़े सिवनी जिले के कुरई थाना क्षेत्र की थी। ग्राम रैयाराव के नजदीक जंगल में 24 अप्रैल, 2022 को वन रक्षक नरेश परते ने लाश देखी थी। जिस पर कुरई पुलिस मर्ग 32/22 दर्ज कर फिंगर प्रिंट अमेल को बुलाया गया। यहां फिंगर प्रिंट एसआई रितु उईके (SI Ritu Uikey) मौके पर पहुंची थी। लाश करीब चैबीस घंटे पुरानी थी। थाना पुलिस उसे सड़क दुर्घटना का प्रकरण मान रही थी। लेकिन, रितु उईके ने स्पून विधि इसमें लाश के फिंगर प्रिंट को डिवाइस के जरिए हासिल किया जाता है। फिर उसको कागज में लेने का काम होता है। उसके फिंगर प्रिंट लिए गए। ऐसा करने पर थाना पुलिस को सहयोग मिला। अज्ञात शव की पहचान हुई और पुलिस ने उसके परिजनों को तलाशने का काम शुरू किया।

ऐसे हत्याकांड में बदला मामला

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क्राइम सीन पर एफएसएल जांच का साभार सांकेतिक चित्र

शव की पहचान ईश्वर सिंह पिता करन सिंह सोलंकी के रूप में हुई। वह उज्जैन के माकडोन थाना क्षेत्र के रूपाखेड़ी चैकी के तहत लसुडिया अमरा का रहने वाला था। ईश्वर सिंह (Ishwar Singh) को आखिरी बार उज्जैन पुलिस ने 2017 में गिरफ्तार किया था। उसकी तलाश करते हुए पुलिस पहुंची तो पता चला कि वह 2018 से नागपुर के मनसर इलाके में स्थित ससुराल में रहने लगा है। पुलिस ने ससुराल में जाकर पड़ताल की तो उसे संदिग्ध मौत के मामले (Finger Print News) में सिरा मिल गया। ईश्वर सिंह आखिरी बार 19 अप्रैल, 2022 को कालू सिंह पिता रघुनाथ सिंह रामटेक नागपुर निवासी और योगेश आमाझर पिता रामेश्वर के साथ आखिरी बार देखा गया था। इधर, सिवनी पुलिस को पीएम रिपोर्ट में पता चला गया था कि ईश्वर सिंह की हत्या की गई है। दोनों संदेही कालू सिंह और योगेश आमाझर को दबोचा गया। उन्होंने पूछताछ में बताया कि मनसर में पांच लाख रूपए कीमत के बिजली तार उन्होंने चोरी किए थे। जिसकी रकम के बंटवारे को लेकर ईश्वर सिंह से विवाद हुआ था। इसी विवाद के कारण उसकी निर्मम हत्या कर दी थी। मामला दुर्घटना का प्रतीत हो इसलिए लाश सड़क किनारे जंगल में फेंकी गई थी।

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इन्हें मिला पुरस्कार

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नई दिल्ली में आयोजित कांफ्रेस में मध्यप्रदेश की तरफ से पुरस्कार लेते हुए अफसर- पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी चित्र

मनसर में दर्ज चोरी और सिवनी में दर्ज हत्या के मामले में दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी की गई। यह सबकुछ मध्यप्रदेश पुलिस के नेफीस सिस्टम की बदौलत हो सका। इससे पहले प्रदेश में एफिस सिस्टम चलता था। एफिस और नेफीस में काफी अंतर है। एफिस में पहले गिरफ्तार आरोपियों अथवा दोषी करार दिए गए व्यक्तियों के फिंगर प्रिंट कम्प्यूटर में स्टोर किए जाते थे। यह काम मध्यप्रदेश में एससीआरबी के पास था। अब नेफीस सिस्टम की निगरानी एनसीआरबी करता है जिसका सर्वर दिल्ली में हैं। सिवनी के पूरे मामले के खुलासे का प्रस्तुतीकरण जबलपुर जोन के फिंगर सेल प्रभारी अखिलेश चौकसे (Akhilesh Chauksey) ने किया। नेफीस की मदद से अज्ञात शव और उसकी पहचान फिर आरोपियों को चिन्हित करके उन्हें गिरफ्तार करने पर प्रतियोगिता में दूसरा स्थान मिला है। इस तरह का प्रयोग किसी अन्य राज्य ने नहीं किया था।

इस कारण रह गया पहला पुरस्कार

नई दिल्ली में 20 और 21 सितंबर को आयोजित कांफ्रेंस (Finger Print News) में मध्यप्रदेश पुलिस को यह गौरव मिला। पहला पुरस्कार महाराष्ट्र पुलिस को मिला। दरअसल, फिंगर प्रिंट की मदद से ही अदालत ने गैंगरेप के बाद मासूम की निर्मम हत्या के मामले में दोषियों को फांसी की सजा दी गई थी। यह मुंबई का बेहद चर्चित मामला था। यह बिलकुल दिल्ली के निर्भया कांड की तरह का था। इस प्रकरण को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अफसरों को पहला पुरस्कार मिला।

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