BHOPAL CRIME : आखिर क्यों बदनाम हो रही भोपाल पुलिस, जानिए दो कड़वे उदाहरण

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चौबीस घंटे के भीतर पुलिस महकमे के मैदानी कर्मचारियों के अमानवीय चेहरे उजागर, जांच के नाम पर आवेदन लेकर ठंडे बस्ते में डाले जाते हैं प्रकरण

भोपाल। पुलिस मुख्यालय के आदेश है कि कम्यूनिटिंग पुलिसिंग पर फोकस किया जाए। लेकिन, मैदानी अमला इसे अफसरों की किताबी बात समझकर अपनी ही नीतियों पर चल रहा है। इसका ही नतीजा है कि भोपाल शहर में ही चौबीस घंटों के भीतर मैदानी अमले के दो अमानवीय उदाहरण सामने आए हैं। यह कौन से मामले है जो पुलिस अफसरों की नीतियों पर बट्टा लगा रहे हैं वह जानिए।
पहली कहानी : कार पलटी, आरोप लगा दिया हमले का
अवधपुरी थाना क्षेत्र के दीप नगर निवासी मुकुल पाल पेशे से ठेकेदार हैं। वे बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात दो बजे अपने व्यवसायिक मित्रों से मुलाकात करके घर लौट रहे थे। मुकुल ने शराब पी रखी थी। वह कार से जब जा रहे थे तो कोलार थाने के दो पुलिसकर्मियों ने रोकना चाहा। उनकी कार बहुत तेज रफ्तार में थी। कार नियंत्रित करते तब तक पुलिस के जवान उनके सामने आ गए। उन्हें बचाने के लिए कार सड़क किनारे उतार दी गई। नतीजतन वह खंभे से टकराकर पलट गई। हालांकि कार का अगला हिस्सा पुलिस वाहन में टकरा गया। मुकुल पाल का आरोप था कि उनकी कार से सुरक्षा के लिए लगा एयर बैलून में वह फंसे हुए थे। काफी मशक्कत के बाद वह बाहर निकले। इसके बाद उन्हें पुलिसकर्मियों ने घेर लिया और बेरहमी से पीटते रहे। थाने में भी रात भर पीटते रहे। सुबह पत्नी थाने पहुंची तो उससे बदसलूकी हुई। इसके बावजूद मुझे गिरफ्तार नहीं किया। मुझे घर जाने दिया गया। मेरा मेडिकल भी नहीं कराया गया। पुलिसकर्मी मेरी पिटाई में आई चोट में फंस सकते थे इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया। इस मामले में भी शिकायत डीआईजी सिटी इरशाद वली को की गई। चौबीस घंटे बाद भी डीआईजी सिटी ने कोई एक्शन नहीं लिया।

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आप खुद सुन लीजिए वह दर्द जो कोलार थाने के कर्मचारियों ने ठेकेदार को दिया

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दूसरी कहानी : झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर पैसे मांगे
यह ताजा मामला ईटेखेड़ी थाना क्षेत्र का है जिसमें थाने के एक एसआई पर रिश्वत मांगने के आरोप लगे हैं। इस मामले में पीडि़त ने डीआईजी सिटी इरशाद वली को अपने जख्म दिखाकर जांच करने और न्याय दिलाने की मांग की है। शिकायत लांबाखेड़ा निवासी विवेक गौर पुत्र प्रहलाद सिंह (30) ने की थी। उसने डीआईजी सिटी को बताया कि 26 मई को पानी भरने की बात को लेकर उसकी भाभी सुनीता गौर का प्रहलाद मीणा और उसकी पत्नी विनिता से विवाद हुआ था। इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से ईटखेड़ी थाने में मामला दर्ज हुआ था। प्रहलाद की पत्नी की शिकायत पर विवेक, उसके छोटे भाई अभिषेक, ताऊ के बेटे प्रमोद व भाभी सुनीता पर मारपीट का केस बना। जबकि भाभी सुनीता की शिकायत पर प्रहलाद व विनिता के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। विवेक का दावा है कि मामले में उनके अलावा तीन अन्य का थाने से मुचलका होना था। इस संबंध में ईटखेड़ी में पदस्थ सब इंस्पेक्टर मुकेश कनासिया उनके बड़े भाई विनोद (सुनीता के पति) को फोन लगाकर बार-बार मुचलका कराने के एवज में बीस हजार रूपए मांग रहे थे। जब वे चारों गुरुवार को ईटखेड़ी थाने पहुंचे तो एसआई ने रिश्वत के बीस हजार रूपए मांगे। जब उन्होंने कहा कि इतने पैसे हमारे पास नहीं है, तो उन्होंने पहले प्रमोद को टीआई के रूम में बुलाया। उस वक्त टीआई थाने में नहीं थे। इसके बाद एसआई कनासिया ने प्रमोद के साथ गाली-गलौच की। उन्होंने उसे धमकाते हुए कहा कि तुम ज्यादा समझदार बन रहे हो, तुम पर 376 लगाकर जेल में बंद कर दूंगा। डीआईजी भोपाल सिटी इरशाद वली ने आवेदन लेकर मामले की जांच कराकर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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