गृहमंत्री बनने के बाद मिनिस्टरी स्टाफ से हुई अमित शाह की चर्चा, कड़े फैसले लेने के दिए संकेत, देश की सुरक्षा पहली प्राथमिकता
नई दिल्ली। देश की इंटेलीजेंस कई टुकड़ों में बिखरी हुई है। सेना, आईबी, रॉ और फॉरेनर्स इंटेलीजेंस। इसके अलावा आर्थिक मामलों की इंटेलीजेंस डीआरआई, सीबीआई और आईबी के पास हैं। इतनी सारी एजेंसियां होने के बावजूद अपराधी चकमा देकर या वारदात करके भाग जाता है। कहीं न कहीं सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी हैं। यह कहते हुए मोदी सरकार-2 में गृह मंत्री अमित शाह ने सबको चौका दिया। उन्होंने अफसरों से फीडबैक लिया जिसके बाद जल्द उनकी तरफ से कोई बड़ा फैसला लिए जाने के संकेत दिए हैं।
पहली ही बैठक में पसीना ला दिया
गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यभार संभाला। इसे संभालने के बाद कैबिनेट की बैठक में पहुंचे। बैठक के बाद शाह अपने विभाग से जुड़े अफसरों को कार्यालय में बुलाकर फीडबैक ले रहे थे। वे देश की इंटेलीजेंस यूनिट को लेकर असंतुष्ट नजर आए। उन्होंने कई बातें अफसरों से साझा करते हुए कहा कि ऐसी गुप्त सूचनाओं का क्या मतलब जब हमें बाद में जवाब देना पड़े। अफसर की तरफ से विभागीय संरचना के अलावा महत्वपूर्ण उपलब्धियों को अमित शाह के सामने पेश किया जा रहा था। इसी दौरान शाह ने अफसरों की कार्यप्रणाली और अधिक चौकस बनाने की नसीहत देते हुए पसीने ला दिए।
आंतरिक सुरक्षा पर चर्चा
शाह की आंतरिक संकटों पर भी चर्चा हुई। इशारों ही इशारों में गृहमंत्री की तरफ से कहा गया है कि वे एजेंसियों के बीच समन्वय करने वाली कमेटी के स्वरूप पर मंथन करने के बाद उस संबंध में फैसला लेंगे। अफसरों ने बैठक में बताया कि यह समिति पूर्व से काम कर रही है। लेकिन, राज्य और केन्द्र स्तर पर मिलने वाली सूचनाएं धरातल पहुंचने तक बदल जाती है। समिति के पास तुरंत ही सूचना को तस्दीक करने की कोई प्रणाली नहीं हैं। इसलिए उसी एजेंसी के माध्यम से तस्दीक भी किया जाता है। शाह ने इस तकनीक को बदलने की तरफ इशारा किया गया है।
किसी बदलाव से अच्छा हो सकता है तो उसे करना चाहिए
इस विषय पर मध्यप्रदेश के लिहाज से निर्णय पूर्व सुगबुगाहट पर सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक एसके राउत से चर्चा की गई। thecrimeinfo.com से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई बदलाव करने से समाज या देश के लिए अच्छा हो सकता है तो उसे प्राथमिकता में किया जाना चाहिए। लेकिन, मेरी जानकारी में यह है कि यह सभी काम पहले से ही अलग-अलग एजेंसियां कमेटियां बनाकर कर रही है। इस कमेटी का मुखिया सीनियर आईपीएस अफसर होता है। इसके अलावा डीआरआई, सीबीआई और आईबी नकली करेंसी या वित्तीय मामलों से जुड़े बिंदुओं पर इंटेलीजेंस कलेक्ट करके वह देता हैं। इन दोनों बातों के अलावा तीसरा मुख्य काम नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी का भी होता है। जिसके पास सभी यूनिटों से सीधे आउटपुट पहुंचता रहता है।