MP Sport News: डेढ़ दशक से एमपी पुलिस तैयार नहीं कर सकी वॉटर स्पोर्ट के खिलाड़ी, इस बार दो महिला कांस्टेबल का चयन जिसमें से एक खेलतीं थीं जूड़ो—कराटे, जिन्होंने पदक दिलाया था वे तीन महीने पहले से दे रहे कोचिंग, जबकि एक साल पहले से एमपी पुलिस मुख्यालय को पता था कि प्रदेश को करनी है मेजबानी, खेल विभाग के डायरेक्टर, कमांडेंट, नगर—निगम अधिकारियों ने क्या बोला जानिए
मेजबानी कर रहे मध्यप्रदेश की तरफ से नेतृत्व करते हुए इस तरह से सलामी देने का अभ्यास करते हुए पुलिस विभाग के कर्मचारी।
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इस महीने दो बड़े राष्ट्रीय स्तर के आयोजन हो रहे हैं। सबसे बड़ा आयोजन ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट हो रहा है। जिसमें अंतराष्ट्रीय स्तर पर कारोबारी भोपाल (MP Sport News) शहर में आने वाले हैं। इसके लिए पूरी राजधानी के चप्पे—चप्पे में रंगरोगन, सड़क नाली निर्माण से लेकर अखबारों, टीवी चैनलों और सिनेमाघरों में विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। इधर, जीआईएस से पूर्व दूसरा बड़ा आयोजन अखिल भारतीय पुलिस वॉटर स्पोर्टस किया जा रहा है। इस आयोजन में कई राज्यों के पुलिस विभाग की टीम शिरकत करने जा रही है। जिसका उदघाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव करने जा रहे हैं। यह कार्यक्रम राजधानी के बड़े तालाब में होने जा रहा है। जिसके लिए मोटर बोट के जरिए मुख्यमंत्री को सलामी दी जाएगी। जबकि मोटर बोट के संचालन में एनजीटी ने डेढ़ साल पहले रोक दी है। यदि मुख्यमंत्री ने सलामी ली तो यह एनजीटी के आदेशों की अवहेलना की जाएगी।
इन्होंने आखिरी बार दिलाया था पुलिस विभाग को पदक
बड़े तालाब में 17 फरवरी से 24वां अखिल भारतीय पुलिस वॉटर स्पोर्टस प्रतियोगिता (All India Police Water Sports Competition) शुरु होने जा रही है। जिसमें अब तक मध्यप्रदेश पुलिस विभाग को छह बार मेजबानी करने का मौका मिल चुका है। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग को 2009 में वॉटर स्पोर्टस में आखिरी बार पदक मिला था। इसके अलावा 2019 में एमपी पुलिस (MP Police) की टीम सेमीफायनल में हारने के बाद वापस लौट आई थी। यह आयोजन श्रीनगर और चंडीगढ़ में हुए थे। पुलिस विभाग की तरफ से आखिरी बार एसआई विजय करचुली (SI Vijay Karchuli) , एएसआई पवन सिंह परिहार (ASI Pawan Singh Parihar) , विनोद मिश्रा (Vinod Mishra) , हवलदार रविन्द्र मिश्रा (HC Ravindra Mishra) और सत्येन्द्र सिंह (Satyendra Singh) ने पदक दिलाया था। इनमें से अब पवन सिंह परिहार और विनोद मिश्रा इस साल होने वाले आयोजन के लिए कोचिंग देने का काम कर रहे हैं। यह कोचिंग भोपाल पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल सविता दांगी (Savita Dangi) और सुंदर दांगी (Sunder Dangi) को दे रहे हैं। इसमें से सुंदर दांगी जूड़ो—कराटे की खिलाड़ी रहीं हैं। दोनों वॉटर स्पोर्टस की रोइंग श्रेणी में पेयर कैटेगरी में बड़े तालाब से सोना—चांदी और कांस्य पदक निकालने के लिए चप्पू चलाएंगी। हालांकि इन दोनों खिलाड़ियों की प्रतिभाओं पर शंका नहीं है लेकिन उनके सामने प्रशिक्षित और लंबा अभ्यास कर चुके खिलाड़ियों के हौसले के सामने टिक पाना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।
यह है वह कमियां जिसको लेकर पुलिस मुख्यालय की चुप्पी कठघरे में लाती है
मध्यप्रदेश पुलिस विभाग में सातवीं बटालियन को खेल संबंधित गतिविधियों के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसके पास राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं के अलावा मोतीलाल नेहरु स्टेडियम में आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों की भी जिम्मेदारी होती है। पुलिस मुख्यालय (PHQ) को यह बात एक साल पहले पता था कि फरवरी, 2025 में अखिल भारतीय पुलिस वॉटर स्पोर्टस प्रतियोगिता की मेजबानी करना है। इसके बावजूद तीन महीने पहले ही वॉटर स्पोर्टस के लिए आखिरी समय में चयन किया गया। जबकि खिलाड़ियों के बीच गुणवत्ता और सुधार के साथ कई प्रतियोगितयों का चयन करने के लिए पर्याप्त अवसर था। वहीं खिलाड़ियों के पास संसाधनों की भी भारी कमी हैं। अफसरों के इसी बेरुखी भरे निर्णयों के चलते एमपी पुलिस पिछले डेढ़ दशक से अखिल भारतीय पुलिस वॉटर स्पोर्टस मीट में पदक हासिल करने के लिए डुबकी मारकर खाली हाथ लौट आ रहा है। जबकि इसी राजधानी में एसएसबी के जवानों को सिर्फ वॉटर स्पोर्टस के लिए तैयार किया जाता है। सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि मध्यप्रदेश खेल संचालनालय का मुखिया हमेशा से पुलिस विभाग की तरफ से आईपीएस ही रहा है। इसके बावजूद संसाधनों से जूझना भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के बीच समन्वय की भारी कमी को उजागर भी करता है।
पत्रकारों को बुलाकर चल रहे अभ्यास सत्र की निगरनी करते रहे कमांडेंट
अखिल भारतीय पुलिस वॉटर स्पोर्टस प्रतियोगिता के संबंध में शनिवार दोपहर जानकारी देते हुए (चित्र के मध्य में) सातवीं बटालियन के कमांडेंट हितेश चौधरी।
अखिल भारतीय पुलिस वॉटर स्पोर्टस प्रतियोगिता के संबंध में कमांडेंट हितेश चौधरी (IPS Hitesh Chaudhry) ने बताया कि चार दिनी इस आयोजन का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav) करेंगे। आयोजन में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के 557 खिलाड़ी शामिल होंगें। प्रतियोगिता (MP Sport News) में 123 महिला खिलाड़ी भी शामिल होंगी। इस बार फिनिशिंग लाइन को और अधिक ट्रांसपैरेंट बनाया जा रहा है। आयोजन की अध्यक्षता एडीजी विजय कटारिया (ADG Vijay Katariya) के नेतृत्व में हो रही है। कटारिया इसी महीने सेवानिवृत्त भी होने जा रहे हैं। इस आयोजन के दौरान 27 इवेंट होंगे। जिसमें 360 पदक बांटे जाएंगे। पुरुष—महिला वर्ग की अलग—अलग श्रेणियों में क्याकिंग, केनोइंग और रोइंग की प्रतियोगिताएं होगी। पुरुष वर्ग में 60 गोल्ड, 60 रजत और 60 कांस्य पदक रहेंगें। इतनी ही संख्या में महिला वर्ग को भी पदक बांटे जाएंगे। उन्होंने बताया कि पहली बार इस वॉटर स्पोर्टस मीट में कार्बन फाइबर बोट्स का इस्तेमाल किया जाएगा। डोपिंग टेस्ट के लिए नेशनल एंटी डोपिंग एसोसिएशन से भी मदद मांगी गई है। पुलिस विभाग के परंपरा अनुसार 20 फरवरी को लाल परेड मैदान में बड़ा खाना आयोजित होगा। इसमें प्रतिभागियों के अलावा आयोजक शामिल होंगे। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। आयोजन का समापन राज्यपाल मंगु भाई पटेल (Governer Mangu Bhai Patel) करेंगे।
अखिल भारतीय पुलिस वॉटर स्पोर्टस प्रतियोगिता 17 फरवरी से शुरु होकर 21 फरवरी तक चलेगी। इस दौरान एक दर्जन से अधिक मोटर बोट संचालित की जा रही है। जबकि एनजीटी (NGT) यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अथवा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने 31 जुलाई, 2023 में मोटर बोट, क्रूज के संचालन पर रोक लगा रखी है। यह आदेश एक दिन में जारी नहीं हुआ। इसको लेकर पर्यावरणविद सुभाष सी.पांडे (Subhash C.Pandey) की तरफ से लंबी लड़ाई लड़ी थी। जिसमें एनजीटी ने पाया कि डीजल के पानी में गिरने से जलीय जीव के अलावा मानव में कैंसर जैसे कई गंभीर बीमारी के तत्व मिलते हैं। आदेश में कहा गया कि डीजल इंजन में सल्फर और नाइट्रोजन आक्साइड होता है। यह पानी को एसिडिक बनाता था। इसके अलावा बड़े तालाब को 2017 में रामसर साइट भी माना गया है। जिस कारण इसके आस—पास निर्माण कार्य को लेकर भी रोक हैं। इस संबंध में एनजीटी के समक्ष तत्कालीन नगर निगम भोपाल के अधीक्षण यंत्री संतोष गुप्ता (Santosh Gupta) , मध्यप्रदेश प्रदूषण बोर्ड के रीजनल अधिकारी बृजेश शर्मा (Brajesh Sharma) और भोजवेट लैंड परियोजना के अधिकारी डॉक्टर दिनेश दमाडे (Dr Dinesh Damade) ने विस्तृत हलफनामा एनजीटी में पेश किया था। यह हलफनामा भोपाल कलेक्टर के आदेश पर गठित कमेटी के निष्कर्ष में बनाया गया था। इस कमेटी में तत्कालीन बैरागढ़ तहसीलदार एसएन परमार (SN Parmar), एसएलआर भोपाल दुर्गा पाटले (Durga Patle) और अधीक्षण यंत्री झील प्रकोष्ठ संतोष गुप्ता ने रिपोर्ट भी पेश की थी। यह रिपोर्ट कोहेफिजा स्थित खानूगांव निवासी मोहम्मद आफाक (Mohammed Aafaq) के निर्माण कार्य को लेकर बनीं थी।
विवादों में फंसे तो हर कोई अफसर यह बोलकर होने लगा किनारे
अलग—अलग राज्यों के पुलिस अधिकारी जो कतारबद्ध मोटर बोट में रहेंगे और मुख्यमंत्री को पुलिस बैंड में सलामी देते हुए मार्च पास्ट करेंगे।
पर्यावरण विद सुभाष सी. पांडे ने बताया कि एनजीटी के आदेश के खिलाफ मध्यप्रदेश का पर्यटन विभाग सुप्रीम कोर्ट गया था। वहां हुई सुनवाई के बाद पर्यटन विभाग (MP Tourism Department) भी हार गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एमपी एनजीटी के आदेशों को बरकरार रखा है। उन्होंने बताया कि इस मोटर बोट को लेकर मेरी तरफ से खेल संचालनालय के डायरेक्टर रवि गुप्ता (Ravi Gupta) को समस्त तथ्यों के साथ पांच पेज का नोटिस दे दिया है। यदि मोटर बोट चलेगी तो मैं एनजीटी के आदेशों की अवहेलना का मामला दर्ज कराउंगा। इधर, इस मामले में सातवीं वाहिनी के कमांडेंट हितेश चौधरी से प्रतिक्रिया मांगी गई तो वे कोई जवाब नहीं दे सके। वहीं भोपाल नगर निगम (Bhopal Nagar Nigam) के प्रवक्ता प्रेम शंकर शुक्ला (Prem Shankar Shukla) ने पूरा सवाल सुने बिना ही कहा कि बड़े तालाब में क्रूज खड़ा हुआ है। किसी तरह की बोट नहीं चल रही है। जब उन्हें बताया गया कि चार दिन मोटर बोट चलेगी तो वे कहने लगे कि पूरी जानकारी लेकर बताता हूं आप माता मंदिर स्थित मेरे कार्यालय आ जाइए।
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