Bhopal Property Fraud: पहले बिल्डर के दबाव में आकर एफआईआर, अब असलियत सामने आई 

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Bhopal Property Fraud: कोरल लाईफ अपार्टमेंट के चार फ्लैट के पजेशन और रजिस्ट्री का विवाद, दो परिवारों से ऐंठ चुके 37 लाख, पार्टनरों के खिलाफ जालसाजी और गबन का प्रकरण दर्ज

Bhopal Property Fraud
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। यदि आप मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में निवेश करना चाहते हैं तो पहले दस्तावेजों की पड़ताल कर ले। यह बात हम यूं ही नहीं कर रहे। दरअसल, बाजार में आई मंदी के कारण कई बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट दूसरे को बेचने के लिए करार किए हैं। जिस कारण घर का सपना देखने वाले परिवार पुलिस थाने और जिला प्रशासन के अफसरों की चौखट पर जाकर चक्कर काट रहे हैं। ताजा मामला भोपाल (Bhopal Property Fraud) शहर के निशातपुरा थाना क्षेत्र का है। यहां एक ही कुनबे के चार रिश्तेदारों ने एक ही प्रोजेक्ट के चार फ्लैट का सौदा किया था। लेकिन, उसमें से दो पीड़ित दो साल बाद भी अपने घर और उसकी रजिस्ट्री को लेकर एफआईआर से लेकर तमाम कागजी कार्रवाई में उलझे हुए हैं। पुलिस ने पूरे मामले की पड़ताल किए बिना ही पीड़ित परिवार पर ही मारपीट का मुकदमा दर्ज कर दिया था। जिसकी अफसरों से शिकयत हुई तो अब पूरा मामला एफआईआर में दर्ज करके उसका खुलासा किया गया।

पुलिस ने दर्ज कर दिया था मारपीट का काउंटर केस, जिसकी हुई थी शिकायत

इस मामले की शिकायत थाने में पलक चतुर्वेदी (Palak Chaturvedi) पत्नी रत्नेश चतुर्वेदी उम्र 34 साल ने दर्ज कराई है। वह आगरा में शास्त्रीपुरम में रहती है। इसकेे अलावा एक अन्य पीड़ित शौर्या चतुर्वेदी (Shaurya Chaturvedi) जैन पति एकांश जैन उम्र 33 साल ने भी थाने में आवेदन दिया था। शौया चतुर्वेदी जैन करोद में स्थित साई अस्पताल के नजदीक न्यू शिवानी होम्स (New Shivani Homes) में रहती हैं। इस मामले में आरोपी प्रवीण हिमथानी (Praveen Himthani) पिता हरीश हिमथानी और राजकुमार हिमथानी (Rajkumar Himthani) है। प्रवीण हिमथानी बैरागढ़ (Bairagarh) थाना क्षेत्र स्थित शिव मंदिर के पास रहते हैं। आरोपी राजकुमार हिमथानी की बीएम रियल्टी (BM Reality) नाम से कॉलोनाइजर की फर्म है। जिसने निशातपुरा (Nishatpura) थाना क्षेत्र में कोरल कासा (Coral Casa) नाम से फ्लैट बनाएं हैं। इसी कॉलोनी में पीड़ितों ने फ्लैट लिए थे। जिसकी रजिस्ट्री आरोपी नहीं कर रहे थे। इस विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच मारपीट भी हो चुकी है। जिसकी एफआईआर निशातपुरा थाना पुलिस ने 8 जून को दर्ज की थी। पुलिस ने इस मामले में मारपीट का काउंटर केस दर्ज किया था। जिसके बाद पीड़ित परिवारों ने पुलिस अधिकारियों से मिलकर बिल्डर के खिलाफ सबूत पेश किए थे। इन्हीं सबूतों के आधार पर निशातपुरा थाना पुलिस ने 15 जुलाई को प्रकरण 654/24 धारा 420/406/120(बी) (जालसाजी, गबन और साजिश का दर्ज) किया। पुलिस ने यह प्रकरण रात साढ़े नौ बजे दर्ज किया है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से पूर्व प्रवीण हिमथानी के भी बयान दर्ज किए थे।

यह बोलकर पैसा लेते रहे लेकिन रजिस्ट्री नहीं कराई

पुलिस को जांच में पलक चतुर्वेदी ने बताया कि उसने कोरल लाइफ (Coral Life) अपार्टमेंट (के जी ब्लॉक में 503 नंबर फ्लैट पसंद किया था। फ्लैट का सौदा 20 लाख रुपए में तय हुआ था। जिसके लिए दो लाख रुपए की बयाना राशि एनईएफटी के जरिए दी गई थी। यह रकम बीएम रियल्टी (Bhopal Property Fraud) के खाते में जो लालघाटी में स्थित बैंक आफ बडौदा (Bank Of Baroda) में हैं। पलक चतुर्वेदी ने शेष राशि का भुगतान करने के लिए स्टेट बैंक आफ इंडिया (Bank Of India) से लोन लिया। यह रकम भी आरोपियों के संयुक्त खाते में जमा करा दी गई थी। आरोपियों को फ्लैट का पजेशन फरवरी, 2022 में देना था। प्रवीण हिमथानी से मैसर्स बीएम रियल्टी के प्रोपराइटर राजकुमार हिमथानी से सौदा किया था। राजकुमार हिमथानी के पास इसे बेचने का एग्रीमेंट केशव नाचानी (Keshav Nachani) से मिला था। वह मैसर्स ग्लोबल लाईफ स्टाइल प्रायवेट लिमिटेड (Global Life Style Private Limited) फर्म के मालिक है। दोनों फर्म के बीच 31 जनवरी, 2022 को बकायदा एक एग्रीमेंट भी हुआ है। इसी तरह शौर्या चतुर्वेदी जैन ने भी 505 नंबर का फ्लैट पसंद किया था। जिसके लिए बुकिंग राशि एकांश जैन के खाते से दी गई थी। बाकी रकम बैंक से लेकर आरोपियों के खाते में जमा कराई गई। पीड़ित परिवार ने एक ही ब्लॉक में चार फ्लैट बुक किए थे। इसी रजिस्ट्री न कराने को लेकर 8 जून को दोनों पक्षों का विवाद हुआ था। जिसमें पुलिस ने मारपीट का काउंटर केस दर्ज कर दिया था।

इस कारण थाने में पहुंचा था विवाद

Bhopal Property Fraud
निशातपुरा थाना, जिला भोपाल— फाइल फोटो

पीड़ित परिवार का कहना है कि बिल्डरों के पार्टनरों में मनमुटाव चल रहा है। जिस कारण कोरल कोसा के कई फ्लैट आधे बने हैं। जबकि पीड़ित परिवार बैंकों से लोन लेकर उसकी किस्त जमा कर रहे हैं। इधर, बिल्डर के पजेशन न देने के कारण पीड़ित परिवारों को स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री में अतिरिक्त शुल्क का बोझ बढ़ रहा है। इसी बात को लेकर बिल्डरों से पीड़ित परिवार विरोध जता रहा था। जबकि बिल्डर का कहना है कि बनाने की लागत बढ़ गई है और वह ज्यादा रकम मांग रहा है। पुलिस ने इस पूरे प्रकरण को भूमाफिया के दबाव में आकर काफी पेचीदा बना दिया है। जिस कारण कई परिवार थाने और पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

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(सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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