Corrupt Officer : अधिकारी के खिलाफ आजादी से पहले बने कानून के तहत हुई कार्रवाई, जब्त हो गई जीवन भर की कमाई

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Corrupt Officer
भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

मध्यप्रदेश की आर्थिक प्रकोष्ठ विंग के आवेदन पर अदालत ने जारी किया आदेश, पीएचई के रिटायर एसडीओ, उसकी पत्नी और बेटे की संपत्ति खरीदी और बिक्री पर लगी रोक

भोपाल। प्रदेश के इतिहास में आजादी के पहले बने एक कानून का इस्तेमाल मध्यप्रदेश के आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (EOW) ने किया है। यह कानून उन भ्रष्ट अफसरों (Corrupt Officer) के खिलाफ बनाया गया था जो पद में रहते हुए काली कमाई से संपत्ति बनाते हैं। इस कानून का इस्तेमाल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के रिटायर एसडीओ पर किया गया है। इस संबंध में जबलपुर हाईकोर्ट ने आदेश भी जारी कर दिए हैं।

कौन सा है कानून
जानकारी देते हुए स्पेशल डीजी ईओडब्ल्यू केएन तिवारी ने बताया कि क्रिमनल लॉ अध्यादेश 1944 में लागू हुआ था। यह कानून आजादी से मिलने के तीन साल पहले अंग्रेजों ने ही बनाया था। इस कानून का इस्तेमाल सरकारी अफसर (Corrupt Officer) जिसने भ्रष्टाचार की मदद से संपत्ति जमा की हैं उसे जब्त करने के लिए किया जाता है। स्पेशल डीजी के अनुसार यह संभवतः पहली बार होगा जिसमें इस कानून के तहत कार्रवाई की गई। इस संबंध में अगस्त, 2019 में ईओडब्ल्यू की तरफ से टीआई छविकांति आर्मो ने जबलपुर स्थित अदालत में अर्जी लगाई थी। प्रस्तुत सूची के आधार पर संपत्ति को कुर्क करने का आदेश जारी कर दिया गया है।

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केएन तिवारी, डीजी, ईओडब्ल्यू

क्या है मामला
जबलपुर निवासी सुरेश उपाध्याय लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पीएचई में अनुविभागीय अधिकारी एसडीओ थे। उपाध्याय के खिलाफ फरवरी, 2010 में भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत हुई थी। शिकायत जांच में 2014 में सही प्रमाणित हुई। उस दौरान 27 संपत्तियों जिनकी बाजार की कीमत साढ़े तीन करोड़ रूपए पाई गई। प्रमाणित शिकायत पर जून, 2019 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धारा में प्रकरण दर्ज कर लिया गया। प्रकरण दर्ज करने के बाद ईओडब्ल्यू की टीम ने जून, 2019 में ही उनके ठिकानों पर छापा मारा था।

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करोड़ों रूपए की जमीन
छापे के दौरान सुरेश उपाध्याय, उनकी पत्नी अनुराधा और बेटे सचिन उपाध्याय के नाम से 62 रजिस्ट्री मिली। पड़ताल में तीनों के नाम पर करीब सवा तीन सौ एकड़ की जमीन मिली। चल-अचल संपत्ति लगभग नौ करोड़ रूपए की निकली। बेटे सचिन और आदर्श अग्रवाल के साथ मैसर्स चेतन्य प्रमोटर्स एंड डेव्हलपर्स के साथ पार्टनरशिप भी पाई गई। इस पार्टनरशिप में 26 एकड़ जमीन पर निर्माण किया जा रहा है। अदालत ने उक्त समस्त चल-अचल संपत्ति की खरीदी-बिक्री पर रोक लगा दी है। वहीं इन संपत्तियों को अटैच करने के आदेश न्यायालय ने जारी कर दिए हैं।

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