Bhopal Court News: नसबंदी के दौरान महिला की हुई थी मौत 

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Bhopal Court News: थाना पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया तो कोर्ट की शरण में पहुंचा था पति, डॉक्टर कैलाश नाथ काटजू अधीक्षक समेत कई लोगों के खिलाफ न्यायालय ने प्रकरण दर्ज करने दिए आदेश, जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी पुलिस

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ग्राफिक डिजाईन टीसीआई

भोपाल। डॉक्टर कैलाश नाथ काटजू अस्पताल में करीब सात महीने पहले एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। वह आशा कार्यकर्ता के कहने पर नसबंदी कराने पहुंची थी। उसकी ऑपरेशन थियेटर में मौत हुई थी। इस मामले की जांच भोपाल (Bhopal Court News) शहर के टीटी नगर थाना पुलिस कर रही थी। जिसकी जांच से पीड़ित परिवार असंतुष्ट था। जिस कारण पति ने भोपाल अदालत का दरवाजा खटखटाया था। तमाम दलीले सुनने के बाद अदालत ने पुलिस को प्रकरण दर्ज कर जांच रिपोर्ट पेश करने के दस दिन पूर्व आदेश दिए थे।

यह है वह घटना जिस पर थाना पुलिस ने चुप्पी साध ली थी

टीटी नगर (TT Nagar) थाना पुलिस के अनुसार रीना गौर(Reena Gaur)  की 14 मई को डॉक्टर कैलाश नाथ काटजू अस्पताल (Kailash Nath Katju Hospital) में मौत हुई थी। आरोप है कि इस मामले में पुलिस की तरफ से कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो पति अविनाश गौर (Avinash Gaur) कोर्ट पहुंचे थे। उनके ही आवेदन पर अब पुलिस ने अस्पताल अधीक्षक कर्नल प्रवीण सिंह (Cornell Praveen Singh) , डॉ सुनंदा जैन (Dr Sunanda Jain) , निशेतना विभाग के कर्मचारियों, पैरा मेडिकल स्टाफ और केलू ग्रेवाल को आरोपी बनाया गया है। मामले में अविनाश गौर पिता अनिल गौर उम्र 38 साल ने घटना के कुछ दिन बाद ही थाने में शिकायत की थी। वे मूलत: नर्मदापुरम (पुराना नाम होशंगाबाद) जिले के सिवनी मालवा तहसील में स्थित ग्राम सोमलवाड़ा के रहने वाले हैं। फिलहाल बागसेवनिया (Bagsewania) में स्थित विद्या नगर (Vidya Nagar) में सी—सेक्टर में रहते हैं। उनकी शिकायत पर पुलिस ने गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनंदा जैन, डॉक्टर कैलाश नाथ काटजू के अधीक्षक कर्नल प्रवीण सिंह, पैरा मेडिकल स्टाफ विभाग के कर्मचारियों, एनी​स्थीया विभाग के कर्मचारियों, गांधी मेडिकल कॉलेज में तैनात मेडिकल आफिसर केलू अग्रवाल के खिलाफ याचिका लगाई थी। जिस पर न्यायाधीश अग्निध्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने प्रकरण दर्ज कर कोर्ट को रिपोर्ट सबमिट करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश भोपाल कोर्ट की तरफ से 24 दिसंबर को जारी हुए थे। जिसमें 06 जनवरी की शाम लगभग पौने पांच बजे प्रकरण 20/25 दर्ज किया गया है। इससे पहले टीटी नगर पुलिस मर्ग 21/24 दर्ज किया था। इसी मर्ग में पुलिस की तरफ से जांच नहीं करने पर अदालत में याचिका लगाई गई थी। अविनाश गौर के दो बच्चे भी है। पत्नी रीना गौर ने आशा कार्यकर्ता की समझाईश पर नसबंदी कराने फैसला लिया था। जिसके लिए 14 मई की सुबह भर्ती कराया गया था। पत्नी की जब मौत हुई तब वह बच्चों को घर पर छोड़कर पति अस्पताल आ रहा था। अस्पताल से कॉल आया और उसे तुरंत आने को बोला। वह पहुंचा तो वहां जबरिया कागजात में हस्ताक्षर करने का दबाब डाला गया। इसी दौरान उसे कुछ शक हो गया था। वह ओटी में पहुंचा तो पत्नी का पेट फूला हुआ था और दांत के बीच जीभ दबी थी। उसे जनरल वार्ड में पहुंचाने के बाद मृत्यु होने की जानकारी अविनाश गौर को दी गई।

पीएम करने वाली डॉक्टर इस कारण विवादों में आईं

अस्पताल पीएम कराने के लिए भी राजी नहीं था। इसलिए रीना गौर के पति ने छोटे भाई अखिलेश गौर (Akhilesh Gaur) को टीटी नगर थाने पहुंचकर मर्ग की जानकारी दी थी। टीटी नगर पुलिस ने मर्ग कायम करने से तुरंत इंकार कर दिया। उन्हें सलाह दी गई कि वे बागसेवनिया थाने में जाकर सूचना दे। बागसेवनिया थाना प्रभारी अमित सोनी (TI Amit Soni) ने भी मर्ग कायम करने से मना कर दिया। इसके बाद तत्कालीन कार्यवाहक प्रभारी सुनील भदौरिया (Sunil Bhadauriya) को लिखित में आवेदन दिया गया। इसके बाद पीएम के लिए शव भेजा गया। शव का पोस्टमार्टम डॉक्टर केलू अग्रवाल (Kelu Agrawal) ने किया था। उनकी रिपोर्ट विरोधाभासी थी। जिस पर पति ने बचाव करने का आरोप लगाया। वहीं एसआई शंकर लाल कासदे (SI Shankar Lal Kasde) ने बिसरा सुरक्षित करने की मांग ही नहीं की थी। जबकि पीएम रिपोर्ट जो तथ्य बताए गए उसमें बिसरा सुरक्षित रखने जैसी परिस्थितियां बन रही थी। इस लापरवाही के मामले में मुख्यमंत्री से लेकर हर स्तर के अधिकारी से पति ने लिखित में शिकायत भी की थी। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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