सख्त पहरे में रखा गया है आरोपी, अदालत में पेश कर जेल दाखिल किया
उज्जैन। देश में यह बहस छिड़ गई है कि अपराधी से निपटने की तकनीक (Criminal Handling Techniques) अब बदलनी होगी। यह बात गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक कार्यक्रम में भी कही थी। उनकी समझ को अब उज्जैन के छह पुलिस वाले समझ गए होंगे। आखिर नेता इतनी आगे की क्यों सोचते हैं।
क्या है मामला
घटना जानने से पहले आप जिस व्यक्ति के कारण बवाल हुआ उसकी वजह समझ लीजिए। मामला उज्जैन जिले के इंगौरिया इलाके का है। पुलिस ने भरत मीणा और उसके पिता हीरालाल को हिरासत (Ujjain Crime) में ले रखा था। दोनों पर आरोप था कि उन्होंने एक युवती की हत्या कर दी है। युवती भरत की बहन और हीरालाल की बेटी थी। मामला संदिग्ध भी है लेकिन जांच के बाद पूरा खुलासा हुआ। आरोप है कि भरत और हीरालाल युवती को चोरी करने के शक में पीट रहे थे। उसी दौरान दुपट्टे से फंदा कस गया और उसकी दम घुटने से मौत (Ujjain Murder Case) हो गई। पुलिस ने दोनों को पूछताछ के लिए थाने में बैठा रखा था।
अब नया क्या
भरत और हीरालाल थाने के लॉकअप में थे। लेकिन, पिता—पुत्र दोनों बैचेन थे। क्योंकि सामाजिक जीवन (Social Life) में इन आरोपों को लेकर उनकी स्थिति को सोच—सोचकर ग्लानि हो रही थी। इन बातों को समझने की बजाय पुलिस उन्हें डंडे की तरह ही ट्रीट कर रही थी। मुश्किल तो भरत ने उस वक्त बढ़ाई जब उसने टॉयलेट जाने की इजाजत पुलिस कर्मियों से मांग ली। उसे जाने दिया गया पर वहां जाकर उसने एसिड गटक लिया। यह एसिड थाने के टॉयलेट की सफाई के लिए रखा गया था। भरत की हालत अभी ठीक है और वह सुरक्षित है। लेकिन, उसके इस कदम की जानकारी पुलिस अफसरों तक पहुंच गई। धीरे—धीरे बात एसपी सचिन अतुलकर तक भी आई। एसपी ने एसआई शिवपाल सिंह, एएसआई भूपेन्द्र सिंह और चार आरक्षकों को सस्पेंड कर दिया गया। अब इन कर्मचारियों को अहसास हो ही गया होगा कि कोई अपराधी भावनात्मक लिहाज से संवेदनशील होकर भी उनके लिए ही मुसीबत खड़ी कर सकता है।