MP Child Death: जानिए शहडोल के सरकारी अस्पताल में 6 बच्चों की मौत की वजह

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तीन डॉक्टरों के भरोसे तीन जिलों के बच्चे, सरकार और सिस्टम की नाकामी की भेंट चढ़े नवजात बच्चे, सतना के बाद शहडोल में 6 नवजात बच्चों की मौत से हिला स्वास्थ्य महकमा

MP Children Death
सांकेतिक चित्र

शहडोल। यदि बच्चे बोल पाते तो वेंटीलेटर पर चल रहे हेल्थ सिस्टम कब का मुद्दा बन जाता। वे बोल ही नहीं पाए और उनकी चीख और दर्द की वेदना उनके सांस उखड़ने के साथ ही शांत हो गई। बात हो रही है मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh News) राज्य के स्वास्थ्य विभाग की। सोमवार को सतना (Children Death In Satna) से हैरान कर देने वाला समाचार अभी मंत्रालय के गलियारों में पहुंचा ही था कि पीछे से शहडोल (Children Death In Shahdol) में 6 बच्चों की मौत से सरकार हिल गई। आनन—फानन में सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट (Minister Tulsi Silavat) सामने आए। उन्होंने बहुत ही करुण वेदना के साथ शोक संतप्त परिवार के प्रति अफसोस जताते हुए जांच कराने का राजनीतिक बयान देकर मामले से पीछा छुड़ा लिया। लेकिन, हकीकत से वे भी वाकिफ थे पर बोल नहीं सकते थे। शहडोल में हुई 6 बच्चों की मौत के बाद यह कड़वा सच सामने आया है। बच्चों को लेकर यह एक बहुत बड़ा कारण है जिसको सरकार कबूल भी नहीं सकती है।

जानकारी के अनुसार 24 घंटे के भीतर शहडोल जिले के सरकारी अस्पताल में 6 बच्चों की मौत हो गई। जिन बच्चों की मौत हुई उनमें खरला गांव की चेत कुमारी, भटगांव की फूलमती, पढ़मनिया की सूरज बैगा, कोटमा की अंजली और हर्रा टोला की सुभाष है। इसके अलावा एक अन्य बच्चे का नाम ही नहीं रखा जा सका था। डॉक्टरों ने बताया कि शहर का यह सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां आस—पास दूसरे जिलों से भी बच्चे यहां रैफर कर दिए जाते हैं। जब यहां आते हैं तो उनकी हालत नाजुक होती हैं। जिन बच्चों की मौत हुई उनमें दो गहन चिकित्सा इकाई में थे। दो आईसीयू में थे जबकि दो बच्चों की जन्म से पूर्व कमजोर पैदा हुए थे। दो बच्चों की मौत मल्टी आर्गन फैल होने के कारण हुई। एक बच्चे का वजन महज एक किलो था। जबकि औसतन वजन ढ़ाई किलो होता है। एक अन्य बच्चे ने गंदा पानी पी लिया था। जिसकी वजह से वह सांस लेने की परेशानी से जूझ रहा था।

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दो मंत्री के बयान केवल दिखावा
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Health Department) के सतना (Satna News) फिर शहडोल (Shahdol News) से आए दुख देने वाले इन समाचारों को लेकर प्रदेश के दो मंत्रियों के बयान सरकार की गंभीरता को उजागर करते हैं। एक बयान स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने जारी किया जबकि दूसरा बयान कमलेश्वर पटेल (Minister Kamleshwar Patel) ने दिया। दोनों के बयान संवेदनशील मुद्दे पर गंभीर नजर नहीं आए। दोनों मंत्रियों ने मामले की जांच का भरोसा देकर पूरे मामले से ऐसे पल्ला झाड़ लिया जैसे कोई बड़ी बात नहीं हो। प्रदेश में दो दिन के भीतर 8 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं कमलेश्वर पटेल सरकारी अस्पताल भी पहुंचे। उनके पहुंचने की खबर पहले से थी। इसलिए सबकुछ चकाचक दिखाया गया। कोई कमी मंत्री को दूर—दूर तक नजर नहीं आई।

यह है मैदानी हकीकत
जब सिलसिलेवार हो रही बच्चों की मौत के मामले में मैदानी हकीकत www.thecrimeinfo.com (द क्राइम इंफो डॉट कॉम) ने मालूम की तो वह चौकाने वाली थी। जब प्रतिक्रिया मांगने के लिए फोन लगाया गया तो स्वास्थ्य विभाग के सारे अफसर किनारा करने लगे। जानकारी के अनुसार शहडोल के अस्पताल में क्लास 1 के 37 पद खाली हैं। इनमें से केवल 3 डॉक्टर ही मौजूद हैं। इसके अलावा क्लास 2 में दो डॉक्टर की पोस्ट है जो मौजूद तो है लेकिन, उनकी सेवाएं जनरल ड्यूटी में ली जाती है। क्लास 1 में जो डॉक्टर है उनमें से एक सर्जन भी है। इसलिए वे अधिकांश समय व्यस्त रहते हैं। इसलिए ग्रामीण अंचल वाले इस संभाग के बहुत बुरे हालात हैं। शहडोल संभाग में अनूपपुर और उमरिया जिले आते हैं। इस कारण यहां स्वास्थ्य महकमे को ज्यादा चुनौतियां मिलती है। दरअसल, स्वास्थ्य के प्रति शिक्षा का स्तर यहां ज्यादा नहीं हैं।

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