MP School Education News: शिक्षा माफिया के दबाव में झुकी सरकार 

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MP School Education News: कोरोना के चलते सैंकड़ों निजी स्कूलों ने हजारों बच्चों को शिक्षा से वंचित किया, सरकार का दावा परिवार का रोजगार की तलाश में अन्य स्थानों पर चले जाने के कारण बने हालात

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शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, फाइल फोटो

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा माफिया की नीतियां काफी हावी है। यह मामले कोरोना के दौरान सार्वजनिक भी हुए। हालांकि मध्यप्रदेश सरकार इन आरोपों को नकारती है। कोरोना के दौरान सैंकड़ों स्कूलों (MP School Education News) ने हजारों बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया। इसमें सर्वाधिक निजी स्कूलों में यह घटनाएं प्रकाश में आई। इस कारण प्रदेश में ड्राप आउट बच्चों की बेतहाशा वृद्धि हो गई। निजी स्कूलों ने कोरोना के दौरान फीस जमा नहीं करने के चलते मार्कशीट और टीसी नहीं दी। इसलिए कई बच्चों को अगली कक्षाओं में या तो दाखिला नहीं मिला या फिर शपथ पत्र देकर कई अभिभावकों को अपने बच्चों का एक साल बर्बाद भी करना पड़ा। ऐसे कई परिवार की जानकारी द क्राइम इंफो के पास मौजूद है। हालांकि परिवार का कहना है कि वे उनके नामों को उजागर न करें। इधर, सरकार निजी स्कूलों के दबाव में ऐसा कोई कारण नहीं मानती है।

मैदानी हकीकत से दूर एमपी के शिक्षा मंत्री

पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक तरूण भनोत (Ex Minister Tarun Bhanot) ने विधानसभा में एक प्रश्न पूछा था। जिसमें उन्होंने परियोजना बोर्ड मंजूरी की रिपोर्ट को आधार बनाकर सरकार से जानकारी चाही थी। उन्होंने ड्राप आउट के कारण सरकार से जानना चाहे थे। इसके अलावा ड्राप आउट बच्चों को वापस शिक्षा में जोड़ने को लेकर योजना की जानकारी चाही थी। जिसके जवाब में एमपी के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Education Minister Inder Singh Parmar) ने 19 दिसंबर कको विधानसभा में कहा कि परियोजना बोर्ड ड्राप आउट बच्चों की रिपोर्ट नहीं बनाता। बल्कि इस बोर्ड के जरिए शिक्षा में बच्चों को जोड़ने के लिए योजना बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि 2020—2021 के मुकाबले 2021—2022 में माध्यमिक कक्षाओं यानि छठवीं से लेकर आठवीं तक के 50 हजार 854 छात्रों की कमी आई है। मंत्री के जवाब पर यकीन करें तो इतने बच्चों की शिक्षा छूट गई है। जिसकी सुध सरकार नहीं ले रही है।

मंत्री महोदय के तर्क सुनकर आप भी रह जाएंगे हैरान

कमी के पीछे कारण बताते हुए मंत्री ने कहा कि कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने के कारण कई बच्चों ने अगले सत्र में दाखिला ही नहीं लिया। दूसरा तर्क दिया गया कि कई परिवार रोजगार की तलाश में पलायन कर गए। इस कारण बच्चों का भी दाखिला नहीं होना। सवाल अब यह है कि कोरोना में जब स्कूल (MP School Education News) बंद थे तो अभिभावकों को रोजगार किस राज्य में मिला। मंत्री ने बताया कि स्कूल चले हम और गृह संपर्क अभियान के जरिए बच्चों को वापस शिक्षा में जोड़ने का काम जारी है। मैदानी हकीकत यह है कि निजी स्कूलों में यह आदेश प्रभावी ही नहीं होता है। राजधानी भोपाल के कई बच्चों के अभिभावकों ने विधायक और बाल आयोग से लेकर तमाम सरकारी दरवाजों पर जाकर आवेदन दिए। लेकिन, निजी स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई ही नहीं की गई। वहीं जन हित से जुड़े इस विषय को लेकर पूछे गए सवाल की हर समाचार पत्र से मीडिया रिपोर्टिंग ही गायब थी।
नोट: हम इस विषय पर आगे भी पड़ताल कर रहे हैं। यदि आपके पास ऐसे बच्चों की जानकारी या अभिभावक हैं तो उनकी जानकारी हमें मुहैया अवश्य कराए। यह एक लोक हित का विषय है जिसमें जनता से ज्यादा सहयोग की अपेक्षा की जाती है।

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