खटलापुरा हादसा- प्रशासन की गंभीर लापरवाही का नतीजा, जनसंपर्क मंत्री के वीडियो से खुली पोल
गणेश जी का अनन्य भक्त था परवेज, फुटबाल टीम के सदस्य थे अधिकांश युवक
भोपाल। वो धर्म से मुस्लिम था लेकिन आस्था भगवान गणेश में थी। हर साल गणेश जी की झांकी में परवेज हिस्सा लेता था। पूरे 10 दिन धूमधाम से गजानन की आरती करता था। हिन्दू धर्म के प्रति परवेज का झुकाव इतना था कि वो चाहता था कि लोग उसे दीपक नाम से पुकारें। लेकिन अब परवेज कभी वापस नहीं आएगा। गुरुवार रात गणेश विसर्जन में शामिल हुआ 15 वर्षीय परवेज भी छोटे तालाब में समा गया।
इस दर्दनाक हादसे में 11 युवकों की मौत हो गई। खटलापुरा घाट पर गणेश विसर्जन के दौरान बीच तालाब में नाव पलट गई। नाविकों ने तो तैरकर अपनी जान बचा ली लेकिन नावों में सवार युवकों की जल समाधि हो गई। गणेश प्रतिमा बहुत बड़ी थी लिहाजा दो नावों को जोडा गया था, जिसमें से एक नाव बीच तालाब में पलट गई।
सभी युवक एक ही समिति के सदस्य थे। भोपाल के पिपलानी थाना इलाके में स्थित 100 क्वार्टर इलाके में गणेश जी की झांकी बैठाया करते थे। साथ ही इन युवकों की दोस्ती की वजह फुटबाल भी थी। मैदान में भी अधिकांश युवक साथ खेला करते थे।
राहुल अब नहीं आएगा
हादसे में जान गंवाने वाले राहुल मिश्रा की मां एसओएस बालग्राम में नौकरी करती है। घटना की सूचना मिलने के बाद से ही वो बेसुध है, बार-बार बस यहीं करती हैं कि मेरा राहुल अब नहीं लौटेगा।
बोलकर गया था पिपलानी से लौट आऊंगा
डूबने वाला अरुण जब घर से निकल रहा था तो उसकी मां सावित्री ने उसे रोका था। मां उसे जाने नहीं देना चाहती थी। लेकिन अरुण नहीं माना, उसने मां से वादा किया था कि वो प्रतिमा के साथ पिपलानी पेट्रोल पंप तक जाएगा और घर लौट आएगा। लेकिन उसने वादा तोड़ दिया। मां रात 1 बजे तक इंतजार करती रहीं और अब ये इंतजार कभी खत्म नहीं होगा।
लापरवाह प्रशासन, बोगस दावे
इस पूरे हादसे में सबसे बड़ी लापरवाही प्रशासन की सामने आई है। विसर्जन के नाम पर तमाम तैयारियों का दावा करने वाला प्रशासन बौना साबित हुआ। उसकी सारी बातें बोगस निकली। जिस घाट (खटलापुरा) पर ये हादसा हुआ उसके ठीक सामने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनडीआरएफ) का हेड ऑफिस है। यूं तो एनडीआरएफ तमाम आपदाओं से निपटने का दावा करती है और उसी की नाक के नीचे 11 युवकों की जल समाधि हो गई।
मंत्री पीसी शर्मा ने ही खोली पोल
व्यवस्थाओं की पोल तो खुद मंत्री जी ने खोल दी। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा भी खटलापुरा घाट पर ही रात 2 बजे गणेश विसर्जन करने पहुंचे थे। वीडियो में आप देख सकते है कि मंत्री ही बिना लाइफ जैकेट पहने नाव से तालाब के बीच में जा रहे है। ये साबित करता है कि मौके पर कोई जिम्मेदार अधिकारी मौजूद ही नहीं था। जो लोगों को लाइफ जैकेट उपलब्ध कराता और उसे पहनकर ही तालाब में उतरने की अनुमति देता। क्या मंत्री पीसी शर्मा ने भी लाइफ जैकेट की मांग नहीं की थी ? उनका दावा है कि गणेश विसर्जन के साथ वो जायजा भी लेने गए थे, लेकिन उन्हें मौके पर कोई अधिकारी नहीं मिला था। ऐसे में भी मंत्री जी वहां रुककर व्यवस्थाएं सुधरवाने की बजाए घर लौट गए।
इन अधिकारियों की लापरवाही से हुआ हादसा
पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों की खटलापुरा घाट पर गणेश विसर्जन कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। घाट का नोडल अधिकारी नगर निगम के डिप्टी सिटी इंजीनियर आरके सक्सेना को बनाया गया था। फायर ब्रिगेड के अधिकारी साजिद खान की ड्यूटी भी खटलापुरा पर लगाई गई थी। जहांगीराबाद थाना प्रभारी वीरेंद्र सिंह चौहान, एसआई आरके सिंह, एएसआई अशोक शर्मा, एक हवलदार और 5 सिपाहियों को तैनात किया गया था। सूत्रों के मुताबिक जब मूर्ति को नाव पर रखा जा रहा था उस दौरान मौके पर एडिशनल एसपी दिनेश कौशल पहुंचे थे। उन्होंने मौके पर तैनात जवानों को टोका भी था कि इतनी बड़ी मूर्ति के साथ इतने लोग नाव में कैसे बैठे है। इन्हें रोका क्यों नहीं गया।
हर बार की तरह अब जांच ही होगी
हादसे के बाद अब घटना की मजिस्ट्रीयल जांच होगी। आईएएस सतीश कुमार को जांच सौंपी गई है। हादसे के बाद मृतकों के परिजन को 11-11 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की गई है। नींद से जागे प्रशासन ने अब मृतकों के परिजन की सुध ली है। उनके लिए राजहंस होटल से खाना बुलवाया जा रहा है। घर की टपकती छतों पर तिरपाल लगा दी गई है। मौके पर तमाम बड़े आला अधिकारी मौजूद है। 6 एडिशनल एसपी निगरानी कर रहे है। जिला प्रशासन के तमाम अधिकारी व्यवस्था जुटाने में लगे है। लेकिन हादसे के बाद जितनी संवेशनशीलता दिखाई जा रहीं है। उतनी सतर्कता पहले बरती जाती तो ये दिन ही नहीं देखना पड़ता।
कीचड़ उछालना शुरु
वहीं दूसरी तरफ राजनीति भी गरमा रही है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाने शुरु कर दिए है। कांग्रेस का कहना है कि दुख की घड़ी में राजनीति नहीं करना चाहिए।
नाविकों पर दर्ज मामले पर उठे सवाल
घटना के तुरंत बाद पहली कार्रवाई नाविकों पर की गई है। दो नाविकों को हिरासत में लिया गया है। उनके खिलाफ धारा 304 (अ) के तहत मामला दर्ज किया गया है। लेकिन आरोपियों पर जिस धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है, उस पर सवाल उठ रहे है। 304 (अ) के तहत गिरफ्तार आरोपी को थाने से ही जमानत मिल जाती है। जानकारों का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया जाना था। ताकि लापरवाही की सजा तो मिले।