जेट एयरवेज के कर्मचारी ने बिल्डिंग से कूदकर दी जान, जानिए क्यों बिगड़े हैं कंपनी के हालात

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आर्थिक तंगी से जंग हार गया कैंसर पीड़ित कर्मचारी

फाइल फोटो

मुंबईः नौकरी जाने की वजह से डिप्रेशन में आए जेट एयरवेज के एक कर्मचारी ने शनिवार को बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या कर ली। नालासोपारा  इलाके में एक अपार्टमेंट में रहने वाले 43 वर्षीय कर्मचारी कैंसर से भी पीड़ित था। 3 साल से वो कैंसर से लड़ाई लड़ रहे था। दूसरी तरफ नौकरी जाने की वजह से वो परेशान हो गया और आर्थिक तंगी की लड़ाई वो हार गया। बता दें कि आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयवरेज को फिलहाल बंद कर दिया गया है। जिसके कारण उसके 20 हजार कर्मचारी बेरोजगार हो गए है।

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जानिए क्यों बंद हुई जेट एयरवेजः

  • आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के प्रमोटर्स ने इमरजेंसी फंड रिलीज नहीं किया। जिसकी वजह से वो इस संकट से उभर नहीं पाई। प्रतिस्पर्धी कंपनियों का किराया कम और उड़ाने ज्यादा होने का असर भी जेट एयरवेज पर पड़ा।
  • एक्सपर्ट्स की माने तो जेट एयरवेज में आर्थिक संकट की शुरुआत 2006 से हो गई थी। जब उसने एयर सहारा को 350 करोड़ में खरीदा था। जानकारों के मुताबिक ये गलत सौदा था। प्रोफेशनल एसोसिएट्स ने जेट के फाउंडर नरेश गोयल को सलाह भी दी कि सहारा को ज्यादा कीमत चुकाई जा रही है।
  • हाल ही की रिपोर्ट्स ने खुलासा कर दिया था कि जेट एयरवेज घाटे मे चल रहीं है और सहारा की तरह बिक भी सकती है। इस बात का असर निवेशकों पर पड़ा।
  • सस्ती दरों में हवाई सेवा देने के लिए जेट एयरवेज ने जेट लाइट के नाम से प्रोजेक्ट शुरु किया था। जो नाकामयाब रहा, बाद में वो कंपनी के लिए एक ऐसा पत्थर बन गया जो हलक में अटक गया हो।
  • अन्य कंपनियां जैसे इंडिगो, स्पाइस जेट और गो-एयर के बीच जेट अपनी पकड़ नहीं बना पाया। जिन रूट्स पर कोई हवाई सेवा नहीं थी वहां भी प्राइस कट किया गया, जिससे नुकसान हुआ। जेट मेनेजमेंट को लगा कि वो लंबी दूरी तक खेल पाएंगे जो कि गलत साबित हुआ।
  • जेट एयरवेज ने कार्पोरेट्स पर फोकस किया। लेकिन दूसरी तरफ वो सस्ती हवाई सेवाएं देना चाहते थे। कंपनी दो प्लानिंग्स के बीच फंस कर रह गई।
  • जानकारों के मुताबिक जेट के बंद होने के बीच उसके फाउंडर नरेश गोयल का दोषपूर्ण मैनेजमेंट है। वे अकेले ही सारे बड़े फैसले लिया करते थे। उन्होंने लगातार बड़ी गलतियां की। नरेश गोयल जेट की उड़ानों से संबधित सेवाओं को संभाल रहे थे। वहीं दूसरी टीम बजट का काम संभाल रही थी।
  • दरअसल जेट एयरवेज के पास कोई कांक्रीट बिजनेस मॉडल नहीं था जिसके कारण निवेशक और कंस्टमर दोनों कंन्फ्यूज रहते थे। दूसरी तरफ नरेश गोयल ने कई गलत जगहों पर निवेश किया था। मार्केट से भी उन्होंने बड़ी मात्रा में नगदी उधार ली थी। वो कमाई से ज्यादा खर्च कर रहे थे।
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