Lesbian Relationship Story: नेपाली मूल की शादीशुदा युवती की भोपाल में रहने वाली लड़की के साथ ‘अवैध संबंधों’ की दिलचस्प कहानी
कल्पना मिश्रा@भोपाल की रिपोर्ट
प्यार अंधा होता है और वह जाति—धर्म भी नहीं देखता है। यह हमने कई बार सुना है और देखा भी है। लेकिन, एक ऐसा प्यार (Lesbian Relationship Story) जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है। वह भोपाल में देखने को मिला। यह प्यार दो लड़कियों के बीच हुआ था। इसमें एक नेपाली मूल की लड़की है। वह दुल्हन बनकर भोपाल में रहने लगी थी। ऐसा करने से पहले उसने पति और दो छोटे मासूम बच्चों को छोड़ने का भी फैसला ले लिया। हालांकि जब परामर्श के जरिए उसको समझाईश दी गई तो वह शिमला (Shimla) वापस लौटने को तैयार हो गई। यह विषय द क्राइम इंफो के संज्ञान में आया। जिसे भोपाल पुलिस के जिम्मेदार अफसरों से साझा करके समस्या का समाधान निकाला गया। हालांकि उससे पहले भोपाल और शिमला के कुछ अन्य अफसरों से हमें कड़वे अनुभव भी मिले।
वीडियो में सुनिए शिमला से भोपाल आई नेपाली युवती की परामर्श से पहले उसकी क्या थी सोच।
चौखट पर सिर्फ ज्ञान मिलता रहा
इस मामले में हमने जानकारी भोपाल पुलिस के कई अधिकारियों को दी थी। एडिशनल डीसीपी दिनेश कौशल (ADCP Dinesh Koushal) को 5 फरवरी को बता दिया गया था। इसके बाद अगले दिन जब हमारी टीम निशातपुरा स्थित टॉप रेसीडेंसी पर पहुंची तो वहां शिमला से लापता युवती मिली। जिसके बाद एडिशनल डीसीपी को कॉल लगाया गया। उन्होंने कई फोन लगाने के बावजूद फोन नहीं उठाया। उसके बाद थाना प्रभारी निशातपुरा महेन्द्र सिंह चौहान (TI Mahendra Singh Chouhan) को जानकारी दी गई। उन्होंने काम्बिग गश्त की व्यस्तता बताते हुए तुरंत सहयोग करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद भोपाल पुलिस के दो अन्य अधिकारियों से भी मदद मांगी गई। लेकिन, सिर्फ हमें कानूनी ज्ञान दिया गया। इसके बाद एडिशनल डीसीपी रिचा चौबे (ADCP Richa Choubey) से सहयोग मांगा। उन्होंने हमारी मांग पर गोविंदपुरा परामर्श केंद्र में आवेदन देने की सलाह दी थी।
पति से आवेदन लाने बोला
रविवार को गोविंदपुरा एसीपी राकेश श्रीवास्तव (ACP Rakesh Shrivastava) नहीं मिले। दरअसल, वे पेशी पर गए हुए थे। अगले दिन उन्होंने आवेदन लेकर कार्यालय बुलाया। स्थानीय स्तर पर नगेन्द्र ढकाल की तरफ से आवेदन दिया गया। क्योंकि वे लापता युवती के पति के संपर्क में थे। मंगलवार सुबह आवेदन लेकर परामर्श केंद्र में मौजूद महिला हवलदार सोनिया पटेल को बिना मार्क किए आवेदन दे दिया गया। इसके बाद काउंसलर सुषमा संजीव अपरान्ह चार बजे केंद्र में आई। उन्होंने कहा कि उन्हें पति का ही आवेदन चाहिए। जबकि हमने युवती की जान के संभावित खतरे या दूसरे स्थान पर जाने की संभावना को लेकर चिंता जताई। जिसके बाद उन्होंने शिमला के रोडकू थाने से गुमइंसान की रिपोर्ट एसीपी कार्यालय में भेजने की सलाह दी। शिमला से थाना प्रभारी ने रिपोर्ट एसीपी कार्यालय को मेल पर भेज दी गई। जिसके बाद काउंसलर और महिला पुलिस अधिकारियों की टीम मौके पर रवाना हुई। हालांकि इस दौरान कार्रवाई में सहयोग के लिए एडिशनल डीसीपी राजेश सिंह भदौरिया, रिचा चौबे और एसीपी राकेश श्रीवास्तव से मार्गदर्शन लिया जाता रहा।
गृहमंत्री ने दिए थे पहले यह बयान…
समलैंगिक संबंधों (Lesbian Relationship Story) को मध्यप्रदेश में भी अभी मान्यता नहीं दी गई है। इसके बावजूद भोपाल पुलिस की तरफ से कार्रवाई में देरी की गई। उसकी वजह संविधान की धारा 14 और 21 के संदर्भ में परिभाषाएं बताई गई। जबकि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सिर्फ डाबर कंपनी के एक विज्ञापन दिखाने पर उसको हटाने और डीजीपी से कार्रवाई करने के लिए बयान जारी किया था। उन्होंने कहा था कि हिंदू धर्म के त्यौहारों को लेकर ही इस तरह के विज्ञापन बनाए जाते हैं। आज वो दो लड़कियों को करवाचौथ मनाते दिखा रहे हैं वह कल दो लड़कों को शादी के फेरे लेते हुए दिखाने लगेंगे। इसके बावजूद शहर में समलैंगिक दो युवतियों के मामले के निपटारे में उतनी फुर्ती पुलिस ने नहीं दिखाई। इस कारण पहले दिन हमें शिमला से भोपाल आई नेपाली मूल की युवती नहीं मिल सकी। वह दूसरी युवती के साथ इंदौर जा चुकी थी।
नेपाली संगठन ने दिखाई सक्रियता
यह पूरा मामला अखिल भारत नेपाली एकता मंच के सेंट्रल कमेटी के सचिव नगेन्द्र ढकाल (Nagendra Dhakal) की मदद से द क्राइम इंफो के पास पहुंचा था। इस सराहनीय काम में नेपाली सामाजिक कार्यकर्ता ऋषि लुईटेल (Rishi Luitel) ने भी बखूबी भूमिका निभाई। इन दोनों की अगुवाई में एक टीम उस फ्लैट में पहुंची थी जहां शिमला से भोपाल आई नेपाली युवती ठहरी थी। दोनों ने मिलकर उसको काफी समझाने का प्रयास किया। जब बात नहीं बनी तो द क्राइम इंफो के जरिए एडिशनल डीसीपी ऋचा चौबे तक पूरा घटनाक्रम को पहुंचाया गया। इसके बाद गोविंदपुरा संभाग में उर्जा महिला डेस्क की काउंसलर सुष्मा संजीव (Counselor Sushma Sanjeev) और लिंक अधिकारी हवलदार सोनिया पटेल (HC Soniya Patel) ने नेपाली युवती को काउंसलिंग के लिए तैयार किया। इसके बाद शिमला पुलिस को भोपाल आने के लिए बोला गया। इस मुहिम में एएसआई रामकुंवर धुर्वे, हवलदार सोनिया पटेल और काउंसलर सुष्मा स्वराज की पहल में नेपाली मूल की युवती को परामर्श के बाद शिमला पहुंचाया गया। तीनों अधिकारियों की पूरे मामले में सराहनीय भूमिका रही।
शिमला पुलिस केवल फोन करती रही
इस मामले (Lesbian Relationship Story) में शिमला जिले के थाना प्रभारी प्रवीण कुमार (TI Pravin Kumar) ने कोई उत्सुकता नहीं दिखाई। जबकि सबसे पहले उन्हें ही नेपाली युवती के भोपाल में होने की जानकारी दी गई थी। वे केवल फोन पर बातचीत करते रहे। इतना ही नहीं उन्हें भोपाल टीम पहुंचाने के लिए कहा गया तो वे पीड़ित पति के पास पहुंच गए। वह आर्थिक रुप से कमजोर है। यह जानते हुए उसको टैक्सी बुक करने के लिए कहा गया। उसने अपनी माली हालत बताई तो पुलिस भोपाल में हमें केवल टालती रही। नतीजतन, वीडियो कॉल करके पति को भोपाल बुलाया गया। इस दौरान नेपाली युवती का ध्यान भोपाल में नगेन्द्र ढकाल और ऋषि लुईटेल ने बखूबी रखा। नेपाली युवती ने बताया कि भोपाल में उसकी पहचान फेसबुक के जरिए दूसरी युवती से हुई थी।
इसलिए इस विषय पर नहीं लेता कोई संज्ञान
समलैंगिक संबंध पहले अपराध की श्रेणी में थे। जिसे सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बैंच ने आईपीसी की धारा 377 के एक हिस्से को निरस्त कर दिया था। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में मिले आम नागरिकों के अधिकारों को देखते हुए लिए गए थे। संविधान पीठ में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश आरएस नरीमन, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनंजय वाय.चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल थी। समलैंगिक संबंधों को 26 देश मान्यता दे चुका है। इस फैसले के बाद आठ समलैंगिक जोड़ों ने अदालत में फिर याचिका लगाई थी। यह याचिका विवाह पंजीयन को लेकर लगाई गई थी। जिसमें केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में कहा गया था कि इस विषय में उसके पास विशेषज्ञता नहीं है। इस विषय पर अभी भी अदालत में बहस चल रही है।
क्या है परेशानी
दि प्रिंट न्यूज वेबसाइट में शीर्ष अदालत की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार अनूप भटनागर की इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर उत्थान नाम की सामाजिक संस्था ने आपत्ति जताई है। संस्था की तरफ से कहा गया है कि भारत में हिन्दू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954 और विदेशी विवाह अधिनियम 1969 में कई तरह की समस्याएं हैं। इसलिए उसका समाधान सामाजिक स्तर पर किया जा सकता है। वहीं केंद्र सरकार ने यह बोलकर अपने आपको किनारे कर लिया है कि समलैंगिक दंपत्ति के अधिकार और उसके नियम तय करने में वह सक्षम नहीं है। इसमें बच्चे को गोद लेने, उसके अधिकार, समलैंगिक जोड़े (Lesbian Relationship Story) के अधिकार और उसकी विशेषज्ञता तय करने का पैमाना वह तय नहीं कर सकती है। इसी कारण केंद्र सरकार ने मामले में हाथ खड़े कर लिए हैं।
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यह है एलजीबीटी
विश्व में पहले पुरुष और महिला को मान्यता दी गई थी। इसमें पुरुष का स्त्री के या विपरीत लिंग के बीच आकर्षण को बाइसेक्सुअल कहा जाता है। यही आकर्षण पुरुष का पुरुष के प्रति होता है तो उसे गे कहते हैं। इसी तरह स्त्री का स्त्री पर जो आकर्षण होता हैं उसको महिला समलिंगी और अंग्रेजी में लेस्बियन उच्चारित किया जाता है। समान लिंग के प्रति आकर्षण होने की अवस्था को होमोसेक्सुअल कहा जाता है। इन्हीं शब्दों के प्रथम अक्षर को मिलाकर समलैंगिक संबंध रखने वाले समूह एलजीबीटी कम्युनिटी कहलाते हैं। इनके कई देशों में संगठन भी है जो दूसरे देशों में इस विषय को लेकर कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। कई देशों में स्त्री, पुरुष, थर्ड जेंडर के बाद एलजीबीटी कम्युनिटी जेंडर घोषित करने की मांग भी उठने लगी है।
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