विशेष अदालत के फैसले के तहत सभी को उम्रकैद की सजा
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या (Haren Pandya) की हत्या के मामले में सभी 12 आरोपियों को दोषी करार दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट (Gujrat High Court) का फैसला पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई (CBI) और गुजरात सरकार की याचिकाओं पर ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने जनवरी में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआइएल) की जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें इस हत्या की शीर्ष अदालत की निगरानी में फिर से जांच कराने की मांग की गई थी। अदालत ने एनजीओ पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
बता दें कि 26 मार्च 2003 को गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या कर दी गई थी। पांड्या रोज की तरह लॉ गार्डन के समीप मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। उसी दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या को गुजरात दंगों के बदले के तौर पर देखा गया। सीबीआई के मुताबिक राज्य में 2002 के सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए उनकी हत्या की गई थी।
इस मामले में विशेष अदालत ने 2007 में अपने फैसले में आतंकवाद रोधी कानून (पोटा) के तहत सभी 12 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जबकि 29 अगस्त 2011 को गुजरात हाई कोर्ट ने फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। सीबीआइ ने 2012 में हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
गृह मंत्री की हत्या के इस मामले में गुजरात कैडर के पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा पर सुपारी देने का आरोप लगा था।
पांड्या हत्याकांड के आरोपियों में असगर अली, मो. रऊफ, मो. परवेज अब्दुल कयूम शेख, परवेज खान पठान उफ अतहर परवेज, मो. फारुक उर्फ हाजी फारुक, शाहनवाज गांधी, कलीम अहमद उर्फ कलीमुल्ला, रेहान पुठावला, मो. रियाज सरेसवाला, अनिज माचिसवाला, मो. युनूस सरेसवाला, मो. सईफुद्दीन शामिल हैं।