जानिए मध्यप्रदेश के बासमती चावल पर क्यों तेज हुई सियासत, बासमती की जीआई टैगिंग को लेकर पंजाब और मध्यप्रदेश में विवाद, पढ़िए पंजाब के मुख्यमंत्री ने क्यों लिखा पीएम मोदी को पत्र, कौन सच बोल रहा- कमलनाथ या शिवराज ?
भोपाल। मध्यप्रदेश के बासमती चावल (MP Basmati Rice) की जीआई टैगिंग (GI Tag) को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। इस बार मामले में पंजाब सरकार (Punjab Govt) भी बीच में आ गई है। इसका कनेक्शन पाकिस्तान (Pakistan) से भी जुड़ गया है। शिवराज सरकार (Shivraj Govt) दावा कर रही है कि वो राज्य में पैदा होने वाले बासमती चावल (Basmati Rice) को जीआई टैग दिलाने की पुरजोर कोशिश करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री से मांग भी की है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार को ही कटघरे में खड़ा किया है। उनका आरोप है कि मध्यप्रदेश सरकार ने ही अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा।
जानिए क्या है मामला
मध्यप्रदेश सरकार ने 13 जिलों में पैदा होने वाले बासमती राइज के लिए जीआई टैग की मांग की है। सरकार चाहती है कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल को भी जीआई टैग मिले। सरकार ऐसी मांग 2017-18 में भी उठा चुकी है। मामला मद्रास हाईकोर्ट में भी जा चुका है। 2020 में एक बार इस मामले में सियासत तेज हो गई है।
पंजाब सरकार ने किया विरोध
पंजाब के मुख्यमंत्री केप्टन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा है कि बासमती राइज पंजाब और उसके आसपास के स्टेट में होता है। और जीआई टैग पंजाब राज्य का है। पंजाब के अलावा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, वेस्टर्न उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर के कुछ जिलों के पास बासमती राइज की जीआई टैगिंग है।
साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि हम हर साल 33 हजार करोड़ टन बासमती राइज एक्सपोर्ट करते है। अगर हम ऐसे ही किसी को भी जीआई टैगिंग रजिस्ट्रेशन दे देंगे। तो पाकिस्तान में भी बासमती राइज होता है। वो भी इसका फायदा उठा सकता है। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा अगर हम मध्यप्रदेश के बासमती राइज को जीआई टैग देते है तो उसका राज्य के एग्रीकल्चर और बासमती राइस के एक्सपोर्ट में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मध्यप्रदेश कह रहा है कि हमारे 13 जिलों के बासमती राइस को जीआई टैगिंग चाहिए। कैप्टन अमरिंदर ने मोदी से निवेदन करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के बासमती को जीआई टैग देने के लिए अथॉरिटी को निर्देश न दे। नहीं तो इसका असर सीधे तौर पर निर्यात और बासमती पैदा करने वालों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
जीआईजी एक्ट 1999 के तहत टीआई टैग दिया जाता है। जहां उसकी उत्पत्ति हुई हो। और साथ में उसकी क्वालिटी और रेपुटेशन और उसके गुण के आधार पर जीआई टैग दिया जाता है।
बासमती राइज को जीआई टैग, उसकी स्पेशल क्वालिटी, टेस्ट और साथ में वे हिमालय की तलहटी विशेष आधार पर उत्पन्न होता है। केप्टन ने कहा कि मध्यप्रदेश बासमती राइस जोन में नहीं आता है। इसका जीआई टैग मांगने का हक बेवुनियाद है।
केप्टन ने कहा कि 2017-18 में भी मध्यप्रदेश मांग कर चुका है। रजिस्ट्रार ने जीआई गुड्स एक्ट 1999 के तहत जब इन्वेस्टिगेट किया तो इनकी डिमांड को रिजेक्ट कर दिया।
मुख्यमंत्री शिवराज का कैप्टन पर वार
‘मैं पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के बासमती चावल को GI टैगिंग देने के मामले में प्रधानमंत्री जी को लिखे पत्र की निंदा करता हूँ और इसे राजनीति से प्रेरित मानता हूँ।‘
‘मैं पंजाब के मुख्यमंत्री श्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से यह पूछना चाहता हूँ कि आखिर उनकी मध्यप्रदेश के किसान बन्धुओं से क्या दुश्मनी है? यह मध्यप्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है।‘
सीएम शिवराज का दावा
‘सिंधिया स्टेट के रिकॉर्ड में अंकित है कि वर्ष 1944 में प्रदेश के किसानों को बीज की आपूर्ति की गई थी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राईस रिसर्च, हैदराबाद ने अपनी ‘उत्पादन उन्मुख सर्वेक्षण रिपोर्ट’ में दर्ज किया है कि मध्यप्रदेश में पिछले 25 वर्ष से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है।’
‘पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्यप्रदेश से बासमती चावल खरीद रहे हैं। भारत सरकार के निर्यात के आँकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। भारत सरकार वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही है।’
‘पाकिस्तान के साथ APEDA के मामले का मध्यप्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह भारत के GI Act के तहत आता है और इसका बासमती चावल के अंतर्देशीय दावों से इसका कोई जुड़ाव नहीं है।’
सीएम शिवराज की पीएम मोदी से मांग
‘भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि मध्यप्रदेश के किसानों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें। प्रदेश के बासमती को GI दर्जा प्रदान किये जाने के संबंध में सर्व-संबंधितों को निर्देशित करने का कष्ट करें, ताकि बासमती किसानों को उनका हक मिल सके।’
‘मध्यप्रदेश के बासमती को GI दर्जा देने के लिए रजिस्ट्रार ज्योलॉजिकल इंडीकेशन, चेन्नई ने APEDA को आदेशित किया है। प्रदेश में बासमती की खेती परम्परागत रूप से होने के संबंध में IIRR हैदराबाद एवं अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा प्रतिवेदित किया गया है।’
‘मैं मध्यप्रदेश के अपने बासमती उत्पादन करने वाले किसानों की लड़ाई लड़ रहा हूं। उनके पसीने की पूरी कीमत उन्हें दिलाकर ही चैन की सांस लूंगा। GI टैगिंग के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। मुझे विश्वास है कि प्रदेश के किसानों को न्याय अवश्य मिलेगा।’
कमलनाथ का पलटवार
‘भाजपा हर मामले में झूठ बोलने व झूठ फैलाने में माहिर है। मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जी.आई टेग मिले , मैं व मेरी सरकार सदैव से इसकी पक्षधर रही है और मैं आज भी इस बात का पक्षधर हूँ कि यह हमें ही मिलना चाहिये।’
‘मैं प्रदेश के किसानो के साथ खड़ा हूँ , सदैव उनकी लड़ाई को लड़ूँगा। इसमें कांग्रेस – भाजपा वाली कुछ बात नहीं है। इस हिसाब से तो केन्द्र में तो वर्तमान में भाजपा की सरकार है , फिर राज्य की अनदेखी क्यों हो रही है ?’
‘उसके बाद 10 वर्षों तक प्रदेश में भाजपा की सरकार रही। जिसने इस लड़ाई को ठीक ढंग से नहीं लड़ा। जिसके कारण हम इस मामले मे पिछड़े। केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकार के दौरान ही 5 मार्च 2018 को जी.आई.रजिस्ट्री ने मध्यप्रदेश को बासमती उत्पादक राज्य मानने से इंकार किया।’
‘प्रदेश हित की इस लड़ाई में अपनी सरकार के दौरान 10 वर्ष पिछड़ने वाले आज हमारी 15 माह की सरकार पर झूठे आरोप लगा रहे है , कितना हास्यास्पद है। हमने हमारी 15 माह की सरकार में इस लड़ाई को दमदारी से लड़ा।’
‘अगस्त 2019 में इस प्रकरण में हमारी सरकार के समय हुईं सुनवाई में हमने दृढ़ता से शासन की ओर से अपना पक्ष रखा था। पंजाब के मुख्यमंत्री वहाँ के किसानों की लड़ाई लड़ रहे है।’
‘मैं प्रदेश के किसानो के साथ खड़ा हूँ , सदैव उनकी लड़ाई को लड़ूँगा। इसमें कांग्रेस – भाजपा वाली कुछ बात नहीं है। इस हिसाब से तो केन्द्र में तो वर्तमान में भाजपा की सरकार है , फिर राज्य की अनदेखी क्यों हो रही है ?’
‘बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जी.आई.टेग मिले , इसको लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र का जवाबी पत्र हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री को लिखने की बजाय सोनिया गांधी जी को पत्र लिख दे रहे है ?’
‘इसी से समझा जा सकता है कि उनको इस मामले में कितनी समझ है ? उन्हें सिर्फ़ राजनीति करना है , किसान हित से व प्रदेश हित से उनका कोई लेना- देना नहीं है।’
‘यदि वो अपनी पिछली सरकार में 10 वर्षों में इसके लिये ठोस प्रयास कर लेते तो शायद आज प्रदेश के किसानो को अपना हक़ मिल चुका होता। लेकिन उस समय भी कुछ नहीं किया और अब भी सिर्फ़ राजनीति।’
‘बेहतर हो कि वो सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश के किसानो के हित में इस मामले में सारे तथ्य रखकर इस लड़ाई को ठोस ढंग से लड़े। पंजाब के मुख्यमंत्री के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के जवाब में प्रदेश के बासमती चावल से जुड़े सारे तथ्य प्रधानमंत्री को पत्र लिख भेजे।’
‘यह कांग्रेस – भाजपा का मामला नहीं है , यह केन्द्र सरकार का विषय है। वहाँ के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के किसानो का हक़ देख रहे है , हमें अपने प्रदेश के किसानो का हक़ देखना है।’
‘मद्रास हाईकोर्ट से 27 फ़रवरी 2020 को याचिका ख़ारिज होने के बाद हमने 3 मार्च 2020 को ही इस मामले में बैठक बुलायी और प्रधानमंत्री व देश के कृषि मंत्री को पत्र लिखा लेकिन शिवराज जी तो उस समय सरकार गिराने में लगे थे।’
’23 मार्च से आज तक शिवराज सरकार ने इस मामले मे क्या किया , यह भी सामने लाये ? शिवराज जी , आप इस मामले में झूठे आरोप व सस्ती राजनीति की बजाय ठोस कदम उठाये , जिससे प्रदेश के किसानो का भला हो व प्रदेश को उसका हक़ मिले।’
सीएम शिवराज का जवाब
‘कमलनाथ जी, हर विषय पर राजनीति करनी चाहिये, लेकिन नीति पहले होनी चाहिए। नियत के खोटे लोग अपनी असफलता छुपाने के लिए हमेशा दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। कांग्रेस झूठ पर झूठ बोले जा रही है, APEDA की सुनवाई के समय कांग्रेस सरकार द्वारा वकील ही नहीं भेजे जाते थे।’
‘पंजाब के मुख्यमंत्री नहीं चाहते कि मध्यप्रदेश को बासमती चावल का GI टैग मिले। कमलनाथ जी यदि किसानों के हितैषी हैं तो पंजाब के मुख्यमंत्री से अपनी मांग वापस लेने के लिए क्यों नहीं आग्रह करते? किसानों से उनके कल्याण का वादा करने और उस वादे पर अमल करने में बहुत अंतर होता है!’
‘आपके ट्वीट से लगता है कि आप पंजाब की कांग्रेस सरकार को अपनी मौन स्वीकृति प्रदान चुके हैं और प्रदेश के किसानों के विरुद्ध खड़े हैं। हमें पंजाब के GI टैग पर कोई आपत्ति नहीं, लेकिन मध्यप्रदेश को GI टैग ना मिले, इसके लिए कांग्रेस सरकार प्रयास करे तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा!’
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