Bhopal Cop Extortion: साढ़े पांच लाख रूपए लेकर पहुंचाए गए व्यक्ति ने दो लाख रूपए में किए थे हेर—फेर, शहर के ही एक थाने में तैनात दो पुलिस कर्मचारियों के भूमिका की हो रही जांच, कारोबारी गवाह के साथ गुजरात हुआ रवाना, रूपए लेने वाले दोनों सिपाही भी फरार
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भोपाल। आभूषण कारोबारी को कार से अगवा कर साढ़े पांच लाख रूपए लेने के मामले में कई पेंच सामने आ गए हैं। यह मामला भोपाल (Bhopal Cop Extortion) शहर के कोलार रोड थाना क्षेत्र का है। हालांकि अब तक चल रही जांच में कोई ठोस सबूत पुलिस के अधिकारियों को नहीं मिला है। पूरी कहानी फरियादी और उसके आस—पास ही केंद्रीत की गई है। जबकि इस घटनाकांड के बाद हुई एफआईआर को एक सप्ताह बीत चुका है। प्रकरण से जुड़े डीसीपी जोन—4 विजय कुमार खत्री (DCP Vijay Kumar Khatri) फोन नहीं उठा पा रहे। वहीं जांच कर रहे हबीबगंज थाना प्रभारी गोलमोल जवाब दे रहे हैं। इधर, इस पूरे मामले की गूंज पुलिस मुख्यालय के गलियारे में भी पहुंच गई है।
ऐसे सामने आया था रंगदारी दिखाने का पूरा मामला
कोलार थाने में 16 फरवरी की शाम लगभग पौने पांच बजे 128/23 धारा 419/170/342/384/323/506/34 (दस्तावेजों की कूटरचना, पुलिस वर्दी का गलत इस्तेमाल, बंधक बनाकर, ब्लैकमेलिंग करना, मारपीट, धमकाना और एक से अधिक आरोपी) का प्रकरण दर्ज किया गया था। यह घटनाक्रम 14 फरवरी के अपरान्ह पौने चार बजे घटित हुआ था। घटना की शुरूआत बंजारी दशहरा मैदान से हुई थी। जिसकी शिकायत थाने पहुंचकर गौरव जैन पिता नवीन कुमार जैन उम्र 38 साल ने दर्ज कराई थी। इस मामले में आरोपी देवेन्द्र श्रीवास्तव (Devendra Shrivastav), रोहित शर्मा (Rohit Sharma) और दो अन्य हैं। नामजद आरोपी कोलार थाने में तैनात पुलिस कर्मचारी है। आरोप है कि चारों ने मिलकर गौरव जैन (Gaurav Jain) से साढ़े पांच लाख रूपए की रंगदारी वसूली थी। आरोपी पुलिसकर्मियों को पता चला कि मामले की शिकायत गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (HM Narrottam Mishra), डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना (DGP Sudhir Kumar Saxena) को हो गई है तो रकम लौटाई भी गई थी।
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हमने लाल और हरी गोली का अंतर न समझाया होता तो अस्पताल में वह आती ही नहीं…समाचार के बाद अस्पतालों में दवा का इंतजाम तो हुआ। वीडियो को पूरा एक बार जरूर सुनना। शायद आपको हमारी गंभीर पत्रकारिता के जज्बे का अहसास हो सके।
पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गया पूरा मामला
एफआईआर के बाद कोलार थाने के दोनों पुलिस कर्मचारी देवेंद्र श्रीवास्तव और रोहित शर्मा को सस्पेंड (Bhopal Cop Extortion) करने की कार्रवाई कर दी गई। इतना ही नहीं कोलार रोड थाना प्रभारी चंद्रकांत पटेल (TI Chandrakant Patel) को स्टाफ में नियंत्रण नहीं पाने के आरोपों पर लाइन हाजिर कर दिया गया। मां पार्वती नगर निवासी गौरव जैन आभूषण कारोबारी हैं। जिन्हें बुलाकार उनकी ही कार से अगवा किया गया। फिर पिस्टल अड़ाकर गौरव जैन (Gaurav Jain) से रकम मांगी थी। यह मामला सामने आने के बाद कोलार रोड थाने के कई कर्मचारियों को शहर के दूसरे थानों में भेजा गया। इसमें कुछ कर्मचारी वे भी थे जिन्हें विधायक रामेश्वर शर्मा (MLA Rameshwar Sharma) के हटाने की सिफारिश करने पर भी रवानगी नहीं दी गई थी। गौरव जैन वाले मामले के बाद विधायक रामेश्वर शर्मा ने डीजीपी से भी बातचीत की थी। सूत्र बताते हैं कि इसी बातचीत के बाद कोलार थाने में बहुत बड़े पैमाने पर सर्जरी की गई।
अब तक की जांच में यह बातें आ रही सामने
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इस पूरे मामले की जांच हबीबगंज थाना प्रभारी मनीष राज सिंह भदौरिया (TI Manish Raj Singh Bhadouriya) को सौंपी गई है। वे अब अभिमन्यु नाम के व्यक्ति के बयान दर्ज कर सके हैं। जबकि प्रकरण के आरोपी पुलिसकर्मी फरार चल रहे हैं। वहीं गौरव जैन पारिवारिक कारणों से गुजरात (Gujrat) में हैं। टीआई का कहना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद दो अन्य नाम सामने आ सकेंगे। वहीं बाकी अन्य पूछे गए सवालों को उन्होंने अब तक भ्रामक ही बताया। हालांकि उन सवालों की जानकारी मिलने की तस्दीक की। खबर है कि रोहित शर्मा जो कि एटीएस से कुछ महीने पहले ही कोलार रोड थाने आए थे वह मामले के मास्टर माइंड है। वहीं दो अन्य नाम जो रहस्य है वह शहर के ही एक अन्य थाने में तैनात दो पुलिसकर्मी है। जिनकी जानकारी जुटाने के लिए उनकी हाजिरी और ड्यूटी के संबंध में गुपचुप तरीके से पड़ताल की जा रही है। इधर, खबर यह भी है कि गौरव जैन का एक वारंट भी निकला था। वह किस संदर्भ में जारी हुआ था उसे पर्दे पर रखा जा रहा है। इसके अलावा डीसीपी जोन—4 विजय कुमार खत्री (DCP Vijay Kumar Khatri) पूरे प्रकरण में तटस्थ बने हुए हैं। मीडिया से बातचीत करना तो दूर वह फोन भी उठा नहीं पा रहे।
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