ED Attach Property: सुप्रीम कोर्ट केे आदेश पर प्रवर्तन निदेशालय कर रहा था मामले की जांच, बीएस—3 वाहनों को बीएस—4 में बदलकर बेचने का मामला
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के पूर्व विधायक जेसी प्रभाकर रेड्डी की करोड़ों रूपए की संपत्ति अटैच ((ED Attach Property)) हो गई। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की गई जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने की है। इस जांच के दायरे में अशोक लीलैंड कंपनी (Ashok Leyland Company) भी फंसती नजर आ रही हैं। अटैच संपत्ति करीब 22 करोड़ रूपए की बताई जा रही है। पूर्व विधायक के अलावा उनके करीबियों की संपत्ति ईडी ने अटैच की है।
इस कारण हुए थे जांच केे आदेश
इस पूरे घोटाले को मीडिया जगत में बीएस—4 वाहन स्कैम के नाम से जाना जाता है। पूर्व विधायक जेसी रेड्डी (EX MLA JC Reddi ) अभी अनंतपुर जिले के तड़ीपत्री नगर पालिका के अध्यक्ष है। संपत्ति अटैच करने की पुष्टि प्रवर्तन निदेशालय ने आधिकारिक बयान जारी करके की है। यह पूरा मामला मार्च, 2017 में सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका के बाद सामने आया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण सुरक्षा को देखते हुए आदेश दिया था कि अप्रैल, 2017 से बीएस—4 उत्सर्जन नियमों का पालन न करने वाले किसी भी वाहन की बिक्री नहीं होगी। इसके साथ ही उसके रजिस्ट्रेशन पर रोक लगादी गई थी। जबकि पूर्व विधायक रेड्डी की जाटधारा इंडस्ट्रीज प्रायवेट लिमिटेड (Jaatdhara Industries Private Limited) ने ऐसा नहीं किया। बल्कि बचाव के लिए उसने फर्जीवाड़ा किया।
ऐसे सामने आया पूरा सच
पूर्व विधायक जेसी रेड्डी ने आदेश जारी होते उससे पहले कई वाहन खरीद लिए थे। खबर है कि सुप्रीम कोर्ट केे आदेश (ED Attach Property) से बचने के लिए अशोक लेलैंड के जरिए बीएस—3 वाहनों केे बिलों को फर्जीवाड़ा करके बीएस—4 में बदला गया था। बचने के लिए रेड्डी ने वाहनों का पंजीयन नागालैंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कराया। फिर इनमें से कुछ वाहनों को बेच भी दिया गया था। जबकि कुछ वाहनों से लिए गए काम के कारण लाभ भी हुआ। यह सबकुछ मिलाकर करीब 38 करोड़ रूपए की आय हुई थी। ईडी ने बताया है कि जेसी प्रभाकर रेड्डी, उनके परिवार से नियंत्रित कंपनी दिवाकर रोड लाइंस, जाटधारा इंडस्ट्रीज, प्रायवेट लिमिटेड और सी गोपाल रेड्डी (C Gopal Reddi) की करीब छह करोड़ 31 लाख रूपए की संपत्तियों को धन शोधन रोकथाम कानून यानि पीएमएलए केे तहत जब्त किया गया है। ईडी ने अशोक लीलैंड कंपनी को क्लीनचिट नहीं दी है।