नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बढ़ी रार, भारत—नेपाल के बीच चीन बढ़ा रहा तकरार
नई दिल्ली। पडोसी देशों से भारत के संबंध लगातार बिगड़ रहे है। पाकिस्तान से तो जानी दुश्मनी है ही, लेकिन अब श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश के बाद नेपाल से भी रिश्तें बिगड़ने की कगार पर है। ये दावा हम नेपाल में सुलग रही आग को देखते हुए कर रहे है। दरअसल नेपाल में भारत का विरोध शुरु हो गया है। सीधे तौर पर नेपाल सरकार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराज है। इस नाराजी की वजह पुरानी है, लेकिन हाल ही कश्मीर और लद्दाख को लेकर किए गए निर्णय की वजह से इस मुद्दें को हवा मिल गई है। ऐतिहासिक तौर पर भारत और नेपाल के रिश्तें करीबी रहे है। लेकिन जानकारों का कहना है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से कडवाहट आनी शुरु हो गई है। दोनों तरफ से बढ़ रही आग में, चीन घी डालने की भरपूर कोशिश कर रहा है।
नेपाली मीडिया (Nepal Media) में आए दावे के अनुसार नेपाल का कहना है कि भारत देश नेपाल के साथ हुई सुगौली संधि (Sugauli Treaty) का उल्लंघन कर रहा है। इस संबंध में गुरुवार नेपाल सरकार के संचार मंत्री (Communications Minister) गोकुल बास्कोटा (Gokul Baskota) ने भारत सरकार के फैसले के खिलाफ पत्रकार वार्ता आयोजित की थी। इसमें उन्होंने दावा किया कि संधि जो ब्रिटेन (Britain) की मध्यस्थता के साथ हुई थी। भारत उस संधि की धारा 5 (Article 5) का सीधा उल्लंघन कर रहा है। नेपाल सरकार का यह भी दावा है कि इस बात को वे भारत सरकार से बातचीत के जरिए सुलझा लेंगे। इसके लिए नेपाली सरकार विश्व स्तर के दस्तावेज (World Wide Document) पेश करेगी। दरअसल, नेपाल का दावा है कि उसके क्षेत्र के भूभाग लिपुलेक, कालापानी और लिंपियाधुरा को भारत ने अपने नक्शे में दिखाया है। जबकि नेपाल इस क्षेत्र को अपना होने का दावा करता आया है।
विवाद के पीछे चीन का हाथ
भारत (India) जिस हिस्से को अपने नक्शे में बता रहा है नेपाल दस्तावेजों (Nepali Document) के आधार पर उसको अपने देश का होने का दावा कर रहा है। यह पहली बार नहीं हैं कि यहां के क्षेत्र को लेकर विवाद हुआ हो। दरअसल, इससे पहले भी लिपुलेक (Lipulake Dispute) को लेकर नेपाल में जमकर भारत के खिलाफ बवाल हो चुका है। ताजा घटनाक्रम को लेकर नेपाल में भारत (India Against Protest) के खिलाफ जमकर विरोध जताया जा रहा है। छात्र संगठन और नेपाली कट्टरपंथी पार्टियों (Nepali Radical Parties) के नेता गो बैक इंडिया (Go Back India) के नारे लगा रहे हैं। आलम यह है कि नेपाल में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) का पुतला भी जलाया गया। समाचार है कि बड़े स्तर पर भारत के दूतावास (Indian Embassy) का घेराव करने की तैयारियां वहां के नेता कर रहे हैं। नेपाली मीडिया में सूत्रों के हवाले से इसके पीछे चीन सरकार का हाथ बताया जा रहा है।
चीन को है ज्यादा खतरा
भारत—चीन (Indo-China War) के बीच जब 1962 में युद्ध हुआ था तब भारतीय सेना (Indian Army) ने लिपुलेक इलाके में ही कैम्प (Army Camp) किया था। इस कारण भारत इसे सामरिक (Strategic) नजरिए से महत्वपूर्ण जगह मानता है। इधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में ही सीमा विवाद का यह मामला दूसरी बार तेजी से उठा है। इस टुकड़े को लेकर नेपाल सरकार भारत के खिलाफ मुखर होकर सामने आ गई है। लेकिन, इसके पीछे चीन (China) का दुख है। दरअसल, लिपुलेक तीन राष्ट्रों के बीच का एक अहम हिस्सा है। यहां से चीन में प्रवेश किया जा सकता है। इसके नजदीक ही काली नदी (Kali River) हैं। जहां भारत की सेना अक्सर तैनात रहती हैं। जमीन का विवाद भारत—नेपाल के बीच है जिसको चीन बनाए भी रखना चाहता है।
कब से चल रहा है बवाल
नेपाल में भारत के खिलाफ शुरू हुआ यह बवाल इसी महीने चालू हुआ है। दरअसल, भारत ने आर्टिकल 370 (Article) को समाप्त करके दो नए केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू—कश्मीर (Jammu & Kashmir) और लद्दाख (Ladakha) बनाए हैं। इनको बनाए जाने से पाकिस्तान (Pakistan) एक तरफ भारत से नाराज है। वह कई मौर्चे पर भारत के खिलाफ बयान जारी कर चुका है। इधर, नेपाल में शुरू हुए विवाद के बाद चीन—पाकिस्तान इस मामले को हवा दे रहे हैं। दरअसल, भारत ने नए राज्यों के गठन के बाद यहां का नक्शा (India Release Map) जारी किया था। इसी नक्शे के बाद नेपाल में बवाल शुरू हो गया। विरोध पहले जनता स्तर पर शुरू हुआ था। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी ओली (Nepal PM KP Oli) की विरोधी पार्टियों ने इसे सरकार की कमजोरी बताकर उसको घेरने का काम शुरू किया। प्रदर्शन किए गए जिसके बाद सरकार को ही सामने आकर भारत के खिलाफ बयान जारी करना पड़ा।