भारतीय नौ सेना ने चार दिन के भीतर दो बड़ी मुहिम ट्राइडेंट और पायथन चलाकर दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था
दिल्ली। भारतीय नौ सेना के ऐतिहासिक गौरव दिवस (#IndianNavyDay) की शुरूआत 4 दिसंबर, 1971 से हुई थी। इसी दिन भारत (India) ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया था। इस कारण इस दिन को इंडियन नैवी डे (#Indian Navy Day) के रूप में मनाया जाता है। भारत की पनडुब्बी (India Submarine) ने दुनिया के साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) को अहसास करा दिया था कि जितना वह जमीन—आसमान में ताकतवर है उतना ही वह समुंदर (Indian Sea Border) में अपनी दखल रखता है। इसी दिन भारत (#India) ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान (#Pakistan) को धूल चटा दी थी। क्या है इस ऐतिहासिक इतिहास की गौरव गाथा और उसकी सच्चाई जानिए इस कहानी से।
भारत (@India) की आजादी के बाद जमीन पर भारतीय सेना (#Indian Navy) अपनी ताकत दिखा चुकी थी। लेकिन, समुंदर में उसने अपनी ताकत 1971 में दिखाई थी। इसके लिए वह दो महीने तक लगातार तैयारियां करता रहा। उस वक्त नौ सेना प्रमुख एडमिरल एमएस नंदा (Admiral MS Nanda) हुआ करते थे। युद्ध से दो महीने पहले उन्होंने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (EX Prime Minister Indira Gandhi) से बातचीत की थी। इसके बाद नंदा ने पूरे मुहिम की तैयारियां की थी। एडमिरल नंदा कराची (Karachi Port) के पोत को बखूबी जानते थे। उन्होंने ऐसा तमाचा पाकिस्तान (@Pakistan) को मारा था कि कराची का पोत (#Karachi Port) लगभग एक सप्ताह तक धूं—धूं करके जलता रहा। दरअसल, कराची में पाकिस्तान (*Pakistan) का बड़ा तेल डिपो (Pak Oil Dipot) था। जिसको भारतीय युद्ध पोतों (#Indian Submarine) ने तबाह करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया था। एडमिरल नंदा की सटीक प्लानिंग की वजह से भारत भविष्य का संकट भांप गया था। इसलिए चार दिन के भीतर उसने पाकिस्तान को दो बार पटखनी (Indo-Pak War) दी थी। इससे तमतमाया पाकिस्तान आज भी उस दिन को याद करके सहम जाता है।
अमेरिका भी रह गया था भौंचक्का जानिए क्यों
भारतीय नौ सेना (#Indian Navy) को सागर के रक्षक नाम से पुकारा जाता है। हालांकि भारतीय नौ सेना (#Indian Navy) का इतिहास काफी पुराना है। नौ सेना की स्थापना 1621 में हुई थी। उस वक्त भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) का राज हुआ करता था। उस वक्त इसको रॉयल इंडियन नैवी (Royal Indian Navy) नाम से पुकारा जाता था। आजादी के बाद 1950 में इसका नया नाम भारतीय नौ सेना रखा गया। भारतीय नौ सेना ने अपनी पहचान 1971 में दिखाई थी। दरअसल, पाकिस्तान समुंद के रास्ते भारत पर हमले की योजना पर काम कर रहा था। जिसकी भनक भारतीय नौ सेना के अफसरों को लग गई थी। भारतीय नौ सेना ने 3 दिसंबर, 1971 की रात को ट्राइडेंट (Operation Trident) मुहिम चलाया था। भारतीय नौ सेना ने 4 दिसंबर को पाकिस्तान की पनडुब्बियां (Pakistan Submarine) तबाह कर दी थी। उस वक्त भारत के पास अत्याधुनिक रडार और ईधन की कमी वाली पनडुब्बी होती थी। लेकिन, सेना के हौसलों ने इन चुनौतियों को स्वीकार किया था। भारत की नौ सेना दूसरी मुहिम पायथन चलाई। इसमें पाकिस्तान की सबसे प्रतिष्ठित पनडुब्बी गाजी (Submarine Ghazi) नैस्तेनाबूद हो गई थी। गाजी पनडुब्बी अमेरिका (#America) से पाकिस्तान ने लीज पर ली थी। अमेरिका को जब पता चला कि भारतीय नौ सेना उसकी पनडुब्बी तबाह कर दी है तो वह भी भौंचक्का रह गया था।
ऐसे बना इतिहास
भारत के पास त्रिशूल (Submarine Trishul) और तलवार (Submarine Talvar) जैसी पनडुब्बी थी। इन दोनों पनडुब्बी ने ही गाजी (#Ghazi) को तबाह करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया था। इस घटनाक्रम पर बॉलीवुड फिल्म भी बना चुका है। नौ सेना के इस हमले के बाद पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद नौ सेना में काफी विस्तार हुआ और आज दुनिया के सामने भारतीय नौ सेना आदर्श के रूप में देखी जाने लगी है। भारतीय नौ सेना का यह दिवस अपने 48 साल पूरे कर चुका है। इस दौरान उसने कई उपलब्धियां हासिल की है।