CAA Protest: शाहीन बाग का मजमा हटाने पुलिस का कूटनीतिक पैंतरा

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धरने पर बैठे लोगों को खाना बनाकर सप्लाई करने वाले 7 लंगर संचालकों को पुलिस ने हिरासत में लिया

Citizenship Amendment Act
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन की तख्ती— फाइल फोटो

नई दिल्ली। सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट (CAA) के खिलाफ नई दिल्ली (New Delhi) के शाहीन बाग (Shahin Bag Protest) को लेकर पुलिस पर कोर्ट के साथ—साथ सरकार जबरदस्त दबाव है। इस दबाव के चलते शुक्रवार को निपटने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल किया। पुलिस ने धरने पर बैठे लोगों को भोजन सप्लाई करने वाले 7 लंगर संचालकों को हिरासत में ले लिया। ताकि धरने पर बैठे लोगों को भूख की वजह से वहां से उठना पड़े। हालांकि यह पेंतरा पुलिस के लिए मुसीबत बन गया। इस कार्रवाई से खफा प्रदर्शनकारी थाने पहुंच गए। उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए लंगल संचालकों को रिहा करने की मांग की।

जानकारी के अनुसार जिन्हें हिरासत में लिया गया वे मंच पर बैठे हुए थे। शाहीन बाग में करीब पांच लंगरो का निंरतर संचालन किया जा रहा था। लंगर संचालकों को पुलिस ने गोपनीय स्थल पर भेज दिया है। इसके अलावा वहां लगा तंबू को हटाया गया। सड़क किनारे लगी अवैध दुकानों पर भी कार्रवाई के संकेत पुलिस की तरफ से दिए गए। पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय दुकानों को बंद कराना शुरू कर दिया। विरोध प्रर्दशन में हर उम्र की महिलाएं बड़ी संख्या भी मौजूद हैं। दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों की तरफ से थाने के घेराव की तैयारी की जा रही है। प्रदर्शन के कारण शाहीन बाग से कालिंदी कुंज वाला मार्ग पूरी तरह से बंद है। इसके चलते नोएडा से दिल्ली और दिल्ली से नोएडा आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही नहीं छात्रों, दफ्तर आने—जाने वालों, मरीजों और अस्पताल कर्मचारियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस कारण कुछ नागरिकों की तरफ से अदालत में समस्या का निदान की मांग के लिए अर्जी लगाई गई है। जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिए थे कि वह जनहित को ध्यान में रखकर निर्णय करें। साथ ही कानूनी व्यवस्था को बनाया जाए। पुलिस कई दिनों शाहीन बाग में धरने पर बैठे लोगों को हटाने और रास्ता खाली करने के लिए उन्हें मना रही है। लेकिन, प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग की है कि प्रधानमंत्री उनसे मुलाकात करें और यह कानून वापस लिया जाए।

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