Corona Effect Indian Economy: आरबीआई गवर्नर का इशारा, देश में आर्थिक ढांचा नहीं रहेगा स्थिर
नई दिल्ली। देशभर के बैंकों में कोरोना महामारी (Corona Effect Indian Economy) को देखते हुए तकनीक के जरिए बहुत कुछ काम करने की नई प्रणाली शुरु होने वाली है। यदि यह लागू हुआ तो ग्राहकों को बैंक में भी आना नहीं पड़ेगा। इस संबंध में नियम जल्द भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होने वाले हैं। यह बताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत दिए हैं कि देश में अर्थव्यवस्था के अच्छे नतीजे आने वाले दिनों में नहीं मिलेंगे।
कोविड दवाओं के लिए मिलेगा कर्ज
आरबीआई गर्वनर कोविड़—19 की दूसरी लहर की वजह से बिगड़ी अर्थव्यवस्था को संवारने किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देने के लिए सामने आए थे। उन्होंने बताया कि आरबीआई अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए कई तरह के उपाय कर रही है। जिसमें मार्च, 2022 तक अस्पतालों, वैक्सीन निर्यातकों कोविड दवाओं को बनाने वाली संस्था, संगठन, कंपनियों को 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज देगी। आरबीआई 25 करोड़ रुपए तक कर्ज लेने वालों और छोटे उधारी वाले लोन लेने वालों को दूसरा मौका देगी। हालांकि इसके लिए शर्त यह रहेगी इस सुविधा का लाभ पहली लहर में न लिया हो।
अर्थव्यवस्था सुधरने का दावा
आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि राज्य सरकारों को 30 सितंबर तक ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठाने के लिए नियमों में रियायत दी जाएगी। इसके अलावा बैंकों में केवाईसी नियमों को लचीला बनाया जा रहा है। इसमें कुछ श्रेणियों में वीडियो कॉल करके केवायसी कराया जा सकता है। आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए वह सरकारी सिक्योरिटी खरीद कार्यक्रम के तहत 35 हजार करोड़ रुपए की दूसरी बार खरीदी करेगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था सुधरना शुरु हो गई थी। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर ने इसको बिगाड़ दिया है।
कर्ज लेने से यह होगा फायदा
आरबीआई गवर्नर ने खुलकर कर्जा (Corona Effect Indian Economy) लेने वाली बात को धीमी आवाज में बताया। उनका दावा है कि ऐसा करने से उसके वायरस से लड़ने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आम नागरिकों की रियायत के मसले पर उन्होंने कहा कि नागरिकों के तनाव को दूर करने के लिए सरकार के साथ मिलकर आरबीआई काम करेगी। उन्होंने कहा कि विश्व में विकास बेहद अनिश्चित है। इसलिए यहां भी गिरावट का जोखिम बरकरार रहेगा।